दिल्ली में बिखरी ओडिशा के व्यंजनों की खुशबू
उद्घाटन अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा व केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया।
नई दिल्ली, जेएनएन। इंडिया गेट के लॉन में चल रहे ओडिशा पर्व महोत्सव में ओडिशा के खास व्यंजनों के साथ वहां की दस्तकारी, हस्तशिल्प के साथ लोक नृत्य का लुत्फ उठा सकते हैं। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में ओडिशा के लोगों का वीर बलिदान से परिचित होने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। ओडिशा की कला संस्कृति और खानपान की महक से सजे ओडिशा पर्व का शुक्रवार शाम भव्य आगाज हो गया। उद्घाटन अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा व केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया। यह पर्व 11 अगस्त तक चलेगा। इसमें प्रवेश मुफ्त है।
खास बात कि इस बार व्यंजनों की 80 स्टॉलें लगाई गई है, जिसमें ओडिशा के खास रसगुल्ले, छेना पोडो, रसावल, मुढ़ी मटन, रबड़ी लस्सी, दही शर्बत, ठुमका पूरी, दही-बैंगन, डालमा, माछो बेसर, उड़ीया घंटो व चकुली पिठा समेत अन्य खाने-पीने की चीजों का लुत्फ उठाया जा सकेगा। जो खास स्वाद और खुशबू समेत हुए हैं।
दिल्ली-एनसीआर वालों को राज्य का जायका चखाने खास तौर पर ओडिशा के प्रसिद्ध कारीगर आए हुए हैं। कई तो व्यंजनों को बनाने के लिए वहां से खास सामान लेकर आए हैं। इसके अलावा भगवान जगन्नाथ का प्रसाद भी खास है। पहले दिन ही पहुंचे लोगों ने इन जायकों का जमकर आनन्द उठाया। इसमें दिल्ली में रह रहे ओडिशा के लोगों की मौजूदगी भी खास रही। विशेष कि यह जेब के हिसाब से ही है।
इसी तरह पर्व में ओडिशा के हथकरघा और हस्तशिल्प की खरीदारी की जा सकती है। जूट केबैग, मुखौटे, बास के सजावटी सामान समेत अन्य है। अब बात लोक नृत्य और संगीत की, तो इस महोत्सव में आदिवासी व लोक नृत्य से लेकर शास्त्रीय नृत्य तक पैरों में ताल देने के लिए मौजूद है। पहले दिन गुरू चन्द्रकांत सूतार व उनके शिष्यों ने छोटा मोरा गांटी पर नृत्य प्रस्तुति देकर लोगों को चकित किया तो प्रवंत कुमार स्वेन द्वारा पेश किए पंच पैका नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, इस नृत्य के माध्यम से ब्रिटिश काल के दौरान ओडिशा के बहादुर वीरों के बलिदान का चित्रण किया गया। वहीं कुना त्रिपाठी ने स्टैंडअप कॉमेडी के साथ दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। आदि संस्कृति के घुमर और नागा नृत्यों ने शाम को बेहद रंगीन बनाया। इसी प्रकार जाने-माने ओडिया गायकों अभिजीत मजूमदार, प्रीति नंदा आदि ने रोचक संबलपुरी गीतों के साथ शाम को जादुई बनाई।
1857 से पहले से ही अंग्रेजों के खिलाफ फूंक दिया था बिगुल
प्रथम स्वतंत्रा संग्राम के रूप में 1857 का विद्रोह इतिहास में दर्ज है, लेकिन यहां आकर पता चलता है कि ओडिशा में तो अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल तो 1804 में ही फूंक दिया गया था। जिसे पाइको विद्रोह के रूप में जाना जाता है।
हमारे फ्रीडम फाइटर्स नामक के एक पवेलियन में 1804 से 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन और उसमें शहीद होने वाले वीर जवानों की प्रदर्शनी है। वहीं, कटक के बाराबती किला का प्रतिरूप तैयार किया गया है, जिसपर लाइट साउंड के माध्यम से ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह और वीर सैनानियों के अदम्य साहस से लोगों को परिचित कराया जा रहा है। पद्मश्री सुदर्शन साहू की मूर्तियां भी खास है। इस मौके पर ओडिया समाज के प्रधान सिद्धार्थ प्रधान ने कहा कि यह आयोजन देश की विभिन्नता और राज्यों की अहमियत के बारे में दिल्ली-एनसीआर को परिचित कराने को लेकर है। यह देश हम सभी से बना है।