Move to Jagran APP

हंगामे के बीच ओडिशा सरकार ने सदन में पेश किया सात बिल

भारी हंगामे के बीच मंगलवार से ओडिशा विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 11:54 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 05:15 AM (IST)
हंगामे के बीच ओडिशा सरकार ने सदन में पेश किया सात बिल
हंगामे के बीच ओडिशा सरकार ने सदन में पेश किया सात बिल

जासं, भुवनेश्वर (ओडिशा): भारी हंगामे के बीच मंगलवार से ओडिशा विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो गया है। पहले ही दिन राज्य सरकार ने सदन में सात बिल पेश किया। विश्वविद्यालय कानून संशोधन बिल को लेकर भाजपा व कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया। कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद वाहिनीपति ने बिल को फाड़ देने के साथ इसे काला बिल बताया। सदन में पेश किए गए अन्य बिल में संक्रामक रोग (ओडिशा संशोधन) बिल, न्यायालय-फीस (ओडिशा संशोधन) बिल, ओडिशा अधिवक्ता कल्याण कोष (संशोधन) बिल, शिल्प विवाद (ओडिशा संशोधन) बिल, ओडिशा पौर विधि (संशोधन बिल एवं ओडिशा द्रव्य एवं सेवाकर (संशोधन) बिल शामिल हैं। हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने बुधवार तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

loksabha election banner

इससे पूर्व सत्र के प्रारंभ में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, विष्णु दास, मदन मोहन दत्त के निधन पर शोक प्रस्ताव लाया गया। वहीं सैनिकों व कोविड योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी गई। नवीन निवास से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस कार्यवाही में भाग लिया। लोकसेवा भवन से भी छह वरिष्ठ विधायकों ने कार्यवाही में हिस्सा लिया। अपराह्न तीन बजे के बाद पुन: सदन की कार्यवाही शुरू हुई। सरकार की तरफ से सात बिल पेश किए गए। उच्च शिक्षा मंत्री अरुण साहू ने जैसे ही सदन में विश्वविद्यालय संशोधन बिल-2020 पेश किया, विरोधी दल के विधायकों ने विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्र ने कहा कि लोग कोरोना से परेशान हैं, ऐसे समय में विश्वविद्यालय संशोधन बिल का क्या काम। कोरोना का इससे क्या संबंध है। आखिर इस बिल पर सरकार इतनी जल्दबाजी क्यों कर रही है। उन्होंने इसके पीछे सरकार के गलत उद्देश्य होने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालय को नियंत्रण में रखने की योजना बना रही है। सिडिकेट व्यवस्था में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी रहेंगे। कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद वाहिनीपति ने इस बिल को सलेक्शन कमेटी में भेजने की मांग की। उधर, भाजपा के विधायकों ने भी इसका विरोध किया। विरोधी दल नेता प्रदीप्त नायक ने कहा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता खत्म करना चाह रही है। नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने बिल का विरोध किया। उन्होंने कोरोना के दौरान में मास्क खरीद में धांधली का भी आरोप लगाया। उधर, उच्च शिक्षा मंत्री अरुण साहू ने कहा कि विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को क्षति नहीं पहुंचेगी। सभी विश्वविद्यालय यूनिवर्सिटी एक्ट के अनुसार ही संचालित होंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.