राष्ट्रवाद की कविताओं से गूंजा राजभवन
ओडिशा राजभवन में सोमवार को राष्ट्रीय कवि संगम का आयेाजन किया गया।
जासं, भुवनेश्वर : ओडिशा राजभवन में राष्ट्रीय कवि संगम का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल ने किया। इस कवि संगम में ओडिशा समेत छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड, नईदिल्ली से प्रख्यात कवियों ने शिरकत की। इनमें ओडिशा प्रांत के 13 जिलों से 62 कवियों सहित राष्ट्रीय स्तर के 8 कवियों में बाबा सत्य नारायण मौर्य, माधव पांडेय निर्मल, विजय राठौर, देवेंद्र परिहार, मधुक्षरा चौबे, कलम शर्मा प्रमुख शामिल थे। इसके अलावा ओड़िया कवि ज्ञान होता एवं साक्षीगोपाल पंडा ने भी काव्यपाठ में हिस्सा लिया।
कवियों ने कश्मीर, धारा 370, राष्ट्रप्रेम, परिवार मूल्यों के गिरते स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए अपने भावों को प्रखरता से प्रस्तुत किया। छत्तीसगढ़ से आए कवि देवेंद्र परिहार ने अभी जिंदा हूं साथी की कलम मेरी जिंदा है.., सुमन शतपथी ने मैं हूं एक फूल भगवन आपके बाग में.., मानवीय संवेदना का चित्र पेश किया। साक्षी गोपाल पंडा ने संस्कृत भाषा में अपनी कविता, त्वाम्यहम प्रणाम वंदे मातरम पेशकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। टाटानगर से आए कवि माधव पांडेय निर्मल ने भारत आत्म परिचय के जरिए राष्ट्र का गौरव गान किया। बाबा सत्य नारायण मौर्य ने हिदू समाज के बारे में फैलाई गई भ्रांतियों को दूर करने वाली ओजस्वी कविता प्रस्तुत की।
ज्ञान होता ने अपने अंदाज में पारिवारिक मूल्यबोध के जरिये माता के हृदय की व्यथा कथा सुनाई। कवि रक्षक नायक ने ओड़िया भाषा में घर विषयक कविता पेश की। राज्यपाल प्रो गणेशी लाला ने कवियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि कवि साहित्य के जरिए समाज को दिशा देने का काम भी करते है। राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने कवि संगम के उद्देश्य की चर्चा करते हुए कहा कि कविता के जरिए राष्ट्र जागरण की वार्ता जन-जन तक पहुंचने के लिए इसका गठन किया गया है। देश भर में संगठन अपना विस्तार कर रहा है। राष्ट्रीय मंत्री महेश शर्मा ने इस आयोजन की सफलता के लिए प्रांत संयोजक और कार्यक्रम संयोजक को बधाई दी। इस अवसर पर भुवनेश्वर के साहित्यकार व गणमान्य राजभवन में आमंत्रित किए गये थे।