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विकास की राह देखता नगड़ा गांव, चार साल पहले हुई थी आदर्श गांव बनाने की घोषणा

ओडिशा में आदिवासी आबादी वाला नगड़ा गांव आज भी विकास की राह देख रहा है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने चार साल पहले इसे आदर्श गांव बनाने की घोषणा की थी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 02:36 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 02:36 PM (IST)
विकास की राह देखता नगड़ा गांव, चार साल पहले हुई थी आदर्श गांव बनाने की घोषणा
विकास की राह देखता नगड़ा गांव, चार साल पहले हुई थी आदर्श गांव बनाने की घोषणा

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से 92 किमी. तथा जाजपुर जिला मुख्यालय से 54 किमी. दूर सुकिंदा तहसील क्षेत्र में बसा आदिवासी आबादी वाला नगड़ा गांव आज भी विकास की राह देख रहा है। इस गांव को आदर्श गांव बनाने की घोषणा खुद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सन् 2016 में की थी, मगर मुख्यमंत्री के घोषणा के चार साल बीत जाने के बाद भी इस गांव में ना ही पक्का रास्ता बन पाया है, ना ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है और ना ही इन गांव वालों के लिए प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री आवास योजना में रहने के लिए छत की व्यवस्था हो पायी है। स्कूल के नाम पर एक घर बनाया गया है, मगर आज उस घर पर छत नहीं है। ऐसे में 71 आदिवासी परिवार वाले इस क्षेत्र के तुमुड़ी एवं तलडीह गांव आज भी विकास की राह देख रहा है। 

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जानकारी के मुताबिक आज से ठीक चार साल पहले 2016 में यह नगड़ा गांव न सिर्फ ओडिशा बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उस समय सुर्खियों में आया जब इस गांव में कुपोषण के कारण तीन महीने के अन्दर 16 बच्चों की कुपोषण से मौत हो गई थी। इसे लेकर ओडिशा सरकार के साथ पूरे प्रदेश की बदनामी राष्ट्रीय स्तर पर हुई। इसके बाद 20 जुलाई 2016 को नगड़ा राजस्व मौजा के अलावा इसके आस-पास गांव गुहिआशाल राजस्व मौजा एवं तीन मुहल्ले तुमुड़ी, तलडीह, नलिआडाब तथा अशोकझर के सामूहिक विकास के लिए विशेष रूप से नगड़ा टास्क फोर्स गठन किया गया था। 

आदिवासी परिवाराेें को विकास का इंतजार 

कालिआपाणी में आयोजित एक आम सभा में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने आदर्श नगड़ा गांव को आदर्श गांव के रूप में घोषित किया। मुख्यमंत्री के घोषणा किए हुए आज 3 साल 7 महीने का समय गुजर गया है मगर नगड़ा के आदिवासी परिवार आज भी विकास का इंतजार कर रहे हैं। तुमणी एवं तलडीह बस्ती में जाने के लिए पक्की सड़क तो दूर अभी तक पैदल चलने का भी रास्ता नहीं बना है। यहां रहे वाले 32 जुआंग जनजाति परिवार पहले की ही तरह पहाड़ी जंगली रास्ते में पैदल आवागमन करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं 5 किमी. दूर पैदल जाकर उन्हें राशन लेना पड़ता है। रास्ता ना होने की आड़ में मोबाइल डाक्टरी दल तलडीह एवं तुमुड़ी मुहल्ले में कदम भी नहीं रखने की बात वहां के लोगों ने कही है।

आवास योजना से वंचित

गुहिआशाल, तलडीह, तुमुणी एवंअशोकझर बस्ती के 95 गरीब आदिवासी परिवार आवास योजना से वंचित हैं। स्‍थायी जमीन का पट्टा होने के बावजूद वे दयनीय अवस्था में झोपड़ी में जीने को मजबूर हैं। इसी झोपड़ी में वे अपने मुर्गा, बकरी के साथ रहते हैं। गुहिसाल एवं तुमुणी बस्ती में तीन साल से नलकूप खराब है। ऐसे में दोनों मुहल्ले के नाबालिग एवं महिलाएं पहले की ही तरह चुआ ( जंगल क्षेत्र में पानी का जमावड़ा होने वाली छोटी सी जगह) से पीने का पानी संग्रह करते हैं। इन जगहों एक बूंद भी शुद्ध पानी मिलना मुश्किल है। दो करोड़ रुपया रुपये खर्च कर नगड़ा बिजली का कार्य किया गया है मगर यहां बिजली सेवा ना के बराबर है।

 बिजली सेवा

छह महीने पहले बिजली सेवा का पुनरुद्धार किया गया था मगर पुन: पिछले तीन महीने से बिजली सेवा ठीक से काम नहीं कर रही है और विभिन्न गांव में सौर लाइट अचल पड़ी है। इन घरों में दी गई सौर लाइट में से अधिकांश नहीं जल रहे हैं। 

स्‍कूल का उड़ा छप्‍पर 

गुहिआशाल आंगनबाड़ी एवं प्राथमिक स्कूल घर का छप्पर उड़ गया है। तुमुड़ी आवासीय विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केन्द्र की अवस्था दयनीय है। इस संदर्भ में तहसीलदार विश्वजीत दास ने कहा है कि नगड़ा विकास यह सही है कि नगड़ा का विकास आशा के अनुरूप नहीं हुआ है, मगर इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकार का निरंतर प्रयास जारी है।


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