हंगामे के बीच शुरू हुआ मानसून सत्र
विधानसभा मानसून सत्र के दूसरे दिन की शुरूआत पूर्व अनुमान के मुताबिक
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर
विधानसभा मानसून सत्र के दूसरे दिन की शुरूआत पूर्व अनुमान के मुताबिक हंगामेदार रही। बुधवार सुबह विधानसभा आरंभ होते ही कांग्रेस के विधायकों ने पेट्रोलियम पदार्थ के दरों में हो रही लगातार बढ़ोतरी के प्रतिवाद में हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस के विधायक सदन बीच आ गए और विधानसभा अध्यक्ष के पोडियम के पास खड़े होकर नारेबाजी करने लगे।
वहीं, दूसरी तरफ शिक्षक समस्या प्रसंग को लेकर भाजपा विधायकों ने सदन में हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप विधानसभा अध्यक्ष प्रदीप अमात ने सदन की कार्यवाही 11 बजे, 12:30 बजे और अंत में गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया।
इस दौरान कांग्रेस के विधायक तारा प्रसाद वाहिनीपति ने कहा है कि किसी भी परिस्थिति में कांग्रेस सदन की कार्यवाही नहीं चलने देगी। हालांकि इस तरह के प्रतिवाद का बीजद ने विरोध किया है। 11 बजकर 30 मिनट पर दुबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई। विरोधी दल नेता नर¨सह मिश्र ने तीन प्रसंग सदन में उठाया। सालेपुर के विधायक प्रकाश बेहेरा ने सालेपुर को एनएसी की मांग करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के पोडियम के सामने धरना पर बैठ गए। विधायक की मांग को विरोधी दल नेता नर¨सह मिश्र ने समर्थन करने के साथ सालेपुर को एनएसी घोषित करने के लिए जरूरी कदम उठाने हेतु नगर विकास मंत्री का ध्यान आकर्षित किया। मिश्र ने कहा कि नौकरी की शर्त एवं पूर्ण अनुदान की मांग को लेकर पिछले 20 दिन से विधानसभा के सामने ब्लाक ग्रांट शिक्षक धरना पर बैठे हैं। गुरु दिवस के दिन वे काला दिवस मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के हड़ताल पर जाने से राज्य में शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। सरकार का इस तरफ ध्यान ही नहीं जा रहा है। शिक्षक एवं कर्मचारी रास्ते पर हैं और उनके साथ चर्चा तक नहीं की जा रही है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा एक मौलिक अधिकार है। बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं शिक्षकों को उचित वेतन देना सरकार का पहला कर्तव्य है। हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में कई बार निर्देश देने के बावजूद सरकार इस गंभीर विषय पर ध्यान तक नहीं दे रही है। मिश्र ने शिक्षकों की समस्या का तुरंत समाधान करने की मांग की। उन्होंने राज्य में बदहाल हो चुकी शिक्षा व्यवस्था का पुनरुद्धार करने के लिए भी प्रयास करने पर जोर दिया। उन्होंने सचिवालय में कर्मचारियों की कमी पर भी सवाल उठाया। कांग्रेस ने राज्य एवं केंद्र दोनों सरकार पर हमला बोला। इसी दौरान भाजपा के विधायक भी अपनी सीट से खड़े हो गए और शिक्षकों एवं कर्मचारियों की मांग को तुरंत पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाया। विरोधी दलों के हंगामा के चलते सदन की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी। अंत में विधानसभा अध्यक्ष प्रदीप अमात ने सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।