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शरीर की पवित्रता के लिए जरूरी है पंचगव्य : शर्मा

मारवाड़ी सोसाइटी, भुवनेश्वर और पंचवटी गऊ विज्ञान अनुसंधान केंद्र, नयागढ़, गुरियाबादी के सौजन्य से चार दिवसीय आयुर्वेद चिकित्सा शिविर सोमवार से स्थानीय मारवाड़ भवन में शुरू हुआ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 04:30 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 04:30 PM (IST)
शरीर की पवित्रता के लिए जरूरी है पंचगव्य : शर्मा
शरीर की पवित्रता के लिए जरूरी है पंचगव्य : शर्मा

जासं, भुवनेश्वर : मारवाड़ी सोसाइटी, भुवनेश्वर और पंचवटी गऊ विज्ञान अनुसंधान केंद्र, नयागढ़, गुरियाबारी के सौजन्य से चार दिवसीय आयुर्वेद चिकित्सा शिविर सोमवार से नगर स्थित मारवाड़ भवन में शुरू हुआ। इसके उद्घाटन के अवसर पर सोसाइटी के अध्यक्ष संजय लाठ, बेंगलुरु के प्रख्यात आयुर्वेदिक डॉ. डीपी रमेश, भरतपुर सीआरआइ, भुवनेश्वर के अधीक्षक डॉक्टर अशोक कुमार पंडा, डॉ. सुधांशु बाला पाणिग्राही प्रमुख उपस्थित रहे। संजय लाठ ने बताया कि यह पहला मौका है जब मारवाड़ी सोसाइटी ने मारवाड़ भवन में ऐसा आयोजन किया है जो 20 दिसंबर तक चलेगा।

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पंचवटी गऊ विज्ञान अनुसंधान केंद्र के संस्थापक कमल दास शर्मा ने कहा कि शरीर की पवित्रता के लिए पंचगव्य बहुत जरूरी है। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के साथ अन्य बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। गोमूत्र में अनेक औषधीय गुण हैं। शरीर में डेली कैंसेरियस सेल तैयार होता है और उसे मारने के लिए हमारे शरीर में क्षमता है, उस क्षमता को हमें पहचानना होगा और उसके अनुरूप काम करना होगा। उन्होंने नियमित प्राणायाम करने का भी परामर्श दिया।

शर्मा ने कहा कि कैंसर आदि के लिए एलोपैथिक इलाज स्थायी इलाज नहीं है। मात्र गाय, वह भी देशी गाय के दूध, गोबर, मूत्र, घी आदि से कैंसर और समस्त संक्रामक बीमारियों का इलाज संभव है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. रमेश ने कहा कि कैंसर आदि बीमारियों का इलाज पूरी तरह से आयुर्वेद और पंचगव्य चिकित्सा के माध्यम से संभव है। सोसाइटी के सचिव जितेंद्र मोहन गुप्ता ने बताया कि यह शिविर 20 दिसंबर तक सुबह:10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा। उन्होंने कैंसर और संक्रामक बीमारियों से पीड़ित लोगों को पंचगव्य चिकित्सा आदि के माध्यम से इलाज और परामर्श का लाभ उठाने की अपील की। इस मौके पर लक्ष्मण महिपाल, उमेश खंडेलवाल, मायुमं के अध्यक्ष किशन बलोदिया, परशुराम मित्र मंडल के कवि किशन खंडेलवाल प्रमुख शामिल थे।


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