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Malnutrition: ओडिशा के 12 जिलों में कुपोषण दर राष्ट्रीय से अधिक, सबसे अधिक कुपोषित बच्चे मालकानगिरी में

मालकानगिरी में सबसे अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार है। यहां कुपोषण की दर 78.7 प्रतिशत है। वहीं सबसे कम कुपोषण दर बालेश्वर जिले में है। महिला एवं बाल विकास मंत्री बसंती हेम्ब्रम ने बताया कि ओडिशा के जिले में कुपोषण दर राष्ट्रीय से अधिक है।

By Jagran NewsEdited By: Roma RaginiPublished: Sun, 19 Mar 2023 01:32 PM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2023 01:32 PM (IST)
Malnutrition: ओडिशा के 12 जिलों में कुपोषण दर राष्ट्रीय से अधिक, सबसे अधिक कुपोषित बच्चे मालकानगिरी में
ओडिशा के 12 जिलों में कुपोषण दर राष्ट्रीय से अधिक

शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। ओडिशा के12 जिलों में छह से 59 माह के बच्चों के बीच कुपोषण दर राष्ट्रीय दर से अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर इस श्रेणी के बच्चों की कुपोषण दर 67.1 प्रतिशत है, जबकि ओडिशा के 12 जिले में कुपोषण दर 70 प्रतिशत से अधिक है।

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अनुगुल में 75.3 प्रतिशत, बलांगीर में 74.9 प्रतिशत, बौद्ध में 68.7 प्रतिशत, कालाहांडी में 68.8 प्रतिशत, कोरापुट में 69.7 प्रतिशत, मालकानगिरी में 78.7 प्रतिशत, मयूरभंज में 71.7 प्रतिशत, नबरंगपुर में 70.8 प्रतिशत, नुआपाड़ा में 73.5 प्रतिशत, रायगडा में 73.5 प्रतिशत, सोनपुर 73.8 प्रतिशत और सुन्दरगड़ जिले में 77.1 प्रतिशत कुपोषण दर है।

बालेश्वर जिले में कुपोषण की दर सबसे कम 43.2 प्रतिशत बच्चों में है। वहीं, पूरे ओडिशा में कुपोषण की दर 64.2 प्रतिशत है। इसी तरह से राज्य में पांच साल से कम उम्र के 29.7 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 32.1 प्रतिशत है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री बसंती हेम्ब्रम ने कहा है कि बलांगीर, बौद्ध, देवगढ़, गजपति, कालाहांडी, कंधमाल, क्योंझर, कोरापुट, मालकानगिरी, मयूरभंज, नबरंगपुर, नुआपाड़ा, रायगड़ा, संबलपुर, सोनपुर और सुंदरगढ़ जिलों में इसकी दर राष्ट्रीय दर से अधिक है।

मंत्री हेम्ब्रम ने कहा कि महिला और बाल विकास मंत्रालय की ओर से पोषण ट्रैकर विकसित किया गया है। इससे उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जन्म से पांच साल के बीच राज्य में स्टंटिंग के शिकार शिशुओं की दर 31.2 प्रतिशत है। नबरंगपुर जिले में यह सबसे अधिक 52.7 प्रतिशत प्रतिशत है। अनुगुल में स्टंटिंग दर सबसे कम 15.7 प्रतिशत है।

मंत्री बोली-बच्चों को दिया जा रहा पूरक पौष्टिक आहार 

मंत्री ने कहा कि बच्चों के विकास के लिए पूरक पोषण योजना (एसएनपी) के तहत आंगनबाड़ी केंद्र पर 25 दिन प्रतिमाह के हिसाब से साल में 300 दिन बच्चों को पूरक पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया गया है। इस योजना के माध्यम से 6 महीने से 3 साल तक के सामान्य बच्चों को टीएचआर मशरूम, अंडे, लड्डू, सूखा राशन आदि प्रदान किया जा रहा है।

जो बच्चे अंडे नहीं खाते हैं, उन्हें प्रति माह अतिरिक्त लड्डू दिए जा रहे हैं। आंगनवाड़ी केंद्र में तीन से छह साल की उम्र के बच्चों को गर्म पके हुए भोजन पर सप्ताह में पांच अंडे दिए जाते हैं। इसके लिए 2010 से दिसंबर 2022 के बीच 9,77,228 लाख रुपये खर्च किए गए हैं।

एनएफएचएस-3 (2005-06) के अनुसार राज्य की सफलता दर 45 प्रतिशत और एनएफएचएस-5 (2020-2021) के अनुसार 31 प्रतिशत है।


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