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देश का इकलौता एवं अनूठा भगवान विमलेश्वर मंदिर: विशेषता ऐसी की यहां आना नहीं भूलते पर्यटक

Vimleshwar Templeओडिशा के सम्‍बलपुर में बना भगवान विमलेश्वर का मंदिर अपनी विशिष्ट कला के लिए पूरे विश्व में अनूठा है। पिछले 40 से 50 साल के दौरान मंदिर के झुकाव में कोई बदलाव नहीं हुआ है। झुकाव का कोण 13.8 डिग्री है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 08:20 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 09:06 AM (IST)
देश का इकलौता एवं अनूठा भगवान विमलेश्वर मंदिर: विशेषता ऐसी की यहां आना नहीं भूलते पर्यटक
सम्बलपुर जिले के हुमा नामक स्थान पर बना भगवान विमलेश्वर का मंदिर

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। सम्बलपुर जिले के हुमा नामक स्थान पर बना मंदिर अपने विशिष्ट कला के लिए पूरे विश्व में अनूठा है। इस तरह का पूरी दुनिया में दो ही मंदिर हैं। इसमें से एक मंदिर ओडिशा के सम्बलपुर जिले में हैं। यहां भगवान विमलेश्वर के नाम से शिवजी की पूजा होती है। इस मंदिर की विशेषता है कि मंदिर एक तरफ झुका हुआ है। हालांकि इसके झुके होने का कोई निश्चित प्रमाण नहीं है। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मन्नतें सफल होने का भी दावा करते हैं। इसकी वजह से ये मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।  

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 शिवरात्रि पर लगता है मेला

महानदी के किनारे बने इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां पाए जाने वाली मछलियों को कोई नहीं मारता है। क्योंकि लोगों को विश्वास है कि ये मछलियां ईश्वर की संपत्ति हैं। यहां हर साल शिवरात्रि के मौके पर बड़ा मेला लगता है। आमतौर पर पश्चिम ओडिशा घूमने आने वाले पर्यटक हुमा के इस झुके हुए मंदिर का दर्शन करना नहीं भूलते हैं। इस मंदिर के झुके हुए कारण को निश्चित नहीं कहा जा सका है कि इसका निर्माण ऐसे ही है या फिर यह अन्य किसी कारणों से झुक गया है।

 मंदिर के झुकाव का कारण 

इस मंदिर के बायीं तरफ भैरवी मंदिर है और मंदिर के दायीं तरफ भैरो मंदिर है। ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, गंगा वामसी सम्राट अनंगभीम देव (तृतीय) ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर का पुनर्निर्माण या मरम्मत सम्बलपुर के पांचवें चौहान राजा बलियार सिंह ने (1660–1690 ) के बीच में कराया था। बाकी मंदिर का निर्माण संबलपुर के राजा अजीत सिंह (1766-1788)डी.) के शासन के दौरान हुआ था। माना जाता है कि संभवत: चट्टानी बिस्तर का आंतरिक विस्थापन हुआ होगा, जिस पर यह मंदिर खड़ा है, या फिर महानदी नदी में बाढ़ की धाराओं के कारण, या फिर भूकंप के कारण यह मंदिर एक तरफ झुक गया है। हालांकि इसका सही कारण आज तक किसी को नहीं पता है। स्थानीय लोग एवं मंदिर के पुजारियों का कहना है कि पिछले 40 से 50 साल के दौरान मंदिर के झुकाव में कोई बदलाव नहीं हुआ है। झुकाव का कोण 13.8 डिग्री है।

 मंदिर की विशेषता

हुमा मंदिर के पुजारी दिलीप ने दैनिक जागरण के साथ बात करते हुए बताया कि भगवान शिवजी का लिंग जमीन से 3 फुट नीचे हैं। हम लोग बचपन से ही मंदिर को एक तरफ झुका हुआ देखते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि शिवलिंग से लेकर नदी तट तक एक सुरंग है। यहां की विशेषता है कि बारिश के दिनों में जब नदी में बाढ़ आ जाती है तब नदी से मछली सुरंग में आ जाती है। सुरंग में काफी दिनों तक रहती है। बाढ़ का पानी कम होने के बाद वापस नदी में लौट जाती हैं।


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