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अकेले नव किशोर नहीं, ओडिशा में कई और राजनेता भी हो चुके हैं हमले का शिकार, कुछ बचे तो कुछ की हुई मौत

ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नव किशोर दास के निधन से पूरे राज्‍य में सनसनी मच गई है। उन पर ब्रजराजनगर में हमला हुआ जिसके चलते उनकी मृत्‍यु हो गई। हालांकि वह ऐसे पहले नहीं हैं बल्कि इससे पहले भी राज्‍य के कई राजनेता जानलेवा हमले के शिकार हो चुके हैं।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenPublished: Mon, 30 Jan 2023 09:29 AM (IST)Updated: Mon, 30 Jan 2023 09:29 AM (IST)
अकेले नव किशोर नहीं, ओडिशा में कई और राजनेता भी हो चुके हैं हमले का शिकार, कुछ बचे तो कुछ की हुई मौत
ओडिशा में इन राजनीतिक नेताओं पर भी हो चुके हैं हमले

अनुगुल, संतोष कुमार पांडेय। ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नव किशोर दास पर झारसुगुडा के ब्रजराजनगर के गांधी चौक पर हमला हुआ, जिसके परिणामस्वरूप रविवार को उनकी मृत्यु हो गई। उनके इस असामयिक निधन ने लोगों को ओडिशा में राजनीतिक नेताओं पर ऐसे कई हमलों की याद दिला दी। जब प्रदेश में राजनीतिक नेता तक सुरक्षित नहीं हैं, तो ऐसे में आम आदमी की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। एक तरफ ओडिशा में जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध में पहले से ही अधिक इजाफा हुआ है, वहीं नेताओं पर क्रूर हमले हो रहे हैं।

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राज्‍य में राजनेताओं पर हुए कुछ उन हमलों पर हम दोबारा गौर करेंगे, जिसने राज्य को हिलाकर रख दिया :-

1.माहेश्वर मोहंती

बीजू जनता दल (बीजद) के वरिष्ठ नेता और पुरी के पूर्व विधायक माहेश्वर मोहंती पर 22 फरवरी, 2014 को उनके गृह नगर पुरी में हमला किया गया था। मोहंती उस रात एक कार्यक्रम में शामिल होकर घर लौट रहे थे। करीब 8 बज रहे थे कि घर से कुछ दूरी पर बाइक सवार दो बदमाशों ने उनका रास्ता रोक लिया। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाते बदमाशों ने उन पर फायरिंग कर दी। गनीमत रही कि गोली उनके हाथ में लगी और वह बाल-बाल बच गए।

2.सुदाम मरांडी

बीजद के वरिष्ठ नेता सुदाम मरांडी भी कभी हत्यारों के निशाने पर रहे। यह घटना 13 अक्टूबर, 2009 को हुई थी। तब वह (झारखंड मुक्ति मोर्चा) झामुमो नेता थे। वह एक फुटबॉल मैच देखने के लिए बारीपदा से लगभग 30 किलोमीटर दूर ओडिशा-पश्चिम बंगाल की सीमा पर सुलियापाड़ा पुलिस सीमा के अंतर्गत बंडाबा गांव गए थे। जब वह मैच देख रहे थे तभी कुछ बदमाशों ने उन पर अचानक हमला कर दिया। तब आरोप लगाया गया था कि हमले के पीछे नक्सलियों का हाथ है। महेश्वर मोहंती की तरह मरांडी भी हमले से बच गए, लेकिन तीन जवान शहीद हो गए।

3.जगबंधु मांझी

एक तरफ जहां मरांडी और मोहंती जैसे राजनेता नक्सली हमले में जिंदा बच गये, वहीं बीजद विधायक जगबंधु माझी लाल विद्रोहियों के प्रकोप से बच नहीं सके। 24 सितंबर, 2011 को नक्सलियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। माझी तब उमरकोट के विधायक थे। जिस दिन घटना हुई, उस दिन वह रायघर प्रखंड के गोना गांव में आदिवासियों के बीच जमीन के दस्तावेज बांट रहे थे औा उस दौरान कुछ बदमाशों ने उन पर गोलियां चलाईं, जिससे उनकी और उनके पीएसओ प्रशांत पात्रा की मौत हो गई।

4.अभिमन्यु साहू

वाणिज्य और परिवहन मंत्री टुकुनी साहू के पति अभिमन्यु साहू की भी हत्या कर दी गई थी। 15 दिसंबर, 2013 को कुछ बदमाशों ने उनकी हत्या कर दी थी। टिटलागढ़ के बंधुपाल में सुबह की सैर पर निकलते समय उन पर हमला किया गया था। अपराध को तब व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। साहू टिटलागढ़ क्षेत्र में एक शक्तिशाली युवा बीजद नेता थे।

5.धनुर्जय सिद्धू

इसी तरह कांग्रेस के पूर्व विधायक धनुर्जय सिद्धू पर भी 26 फरवरी, 2007 को हमला हुआ था। तब वह चंपुआ के विधायक थे। जब वह अपने वाहन से कहीं जा रहे थे, तभी बाइक सवार कुछ बदमाशों ने उसका रास्ता रोक लिया और फायरिंग कर दी। हालांकि, खुशकिस्‍मती से वह इस हमले में बच गए। 

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