केआईआईटी छात्र मौत पर राजनीतिक घमासान: शारदा जेना बोले- ओडिशा का गौरव KIIT को निजी मामले से बदनाम न करें
विधायक शारदा जेना ने कहा है कि भुवनेश्वर स्थित केआईआईटी विश्वविद्यालय ओडिशा का गौरव है और किसी की निजी मामले को लेकर इसे बदनाम नहीं किया जाना चाहिए।एक ...और पढ़ें

कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी। सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। केआईआईटी में हुए एक छात्र की मृत्यु को लेकर केआईआईटी संस्थान को कुछ मीडिया संस्थान एवं लोगों द्वारा लगातार बनाए जा रहे निशाना पर बालिकुदा-एरसमा के विधायक शारदा प्रसन्न जेना ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
विधायक ने कहा है कि भुवनेश्वर स्थित केआईआईटी विश्वविद्यालय ओडिशा का गौरव है और किसी की निजी मामले को लेकर इसे बदनाम नहीं किया जाना चाहिए।एक स्थानीय इलेक्ट्रानिक्स मीडिया से विशेष बातचीत में जेना ने कहा कि किसी विशेष घटना के लिए किसी संस्था और व्यक्ति को दोष देना उचित नहीं है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि केआईआईटी ओडिशा का गौरव है। हज़ारों आदिवासी बच्चों को केआईआईटी-केआईएसएस के कारण मुफ्त शिक्षा और कई तरह के लाभ मिलते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भुवनेश्वर आज शिक्षा का केंद्र इसलिए बन पाया है क्योंकि यहां केआइआइटी विश्वविद्यालय मौजूद है। देश-विदेश के विभिन्न राज्यों से छात्र यहां पढ़ाई के लिए ओडिशा आते हैं।
इसलिए किसी विशेष घटना को लेकर संस्था पर आरोप लगाना और किसी एक व्यक्ति पर उंगली उठाना न तो सही है और न ही न्यायसंगत। विधायक के साथ शामिल होते हुए प्रसिद्ध आदिवासी नेता लम्बोदार कंहर ने कहा कि क्योंकि जो कुछ हुआ है वह एक व्यक्तिगत मामला है, इसलिए केआईआईटी विश्वविद्यालय को दोष देना सही नहीं है। हमें केआईआईटी -केआईएसएस से जुड़े हुए 18 साल से अधिक हो चुके हैं और हम विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेते आ रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग और मीडिया हाउस डॉ. अच्युत सामंत पर आरोप लगा रहे हैं, जो एक अच्छे इंसान और विश्वविख्यात व्यक्तित्व हैं। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और उन्हें सलाह देते हैं कि अच्युत सामंत और केआईआईटी-केआईएसएस को निशाना बनाने और दोष देने से बचें।
वहीं बीजेडी विधायक अश्विनी पात्र ने कहा है कि केआइआइटी और उसके संस्थापक को किसी भी दुर्भावनापूर्ण इरादे से बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। विधायक ने मंगलवार को संस्थान में एक छात्र की मृत्यु पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही है। मैं केआइआइटी के संस्थापक डॉ. अच्युत सामंत को लंबे समय से जानता हूं।
मैं उन्हें उस समय से जानता हूं जब वे दिनकृष्ण कॉलेज, जलेश्वर में 200 रुपये वेतन पर पढ़ाया करते थे। उनकी सेवा, समर्पण और चरित्र को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। छात्र की मौत के मामले की जांच कानून के अनुसार होनी चाहिए। इसके लिए संस्थान को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। केआईआईटी की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा है।
संस्थान का दायरा बहुत बड़ा है।वहां 50 हजार आदिवासी छात्र मुफ्त में पढ़ रहे हैं। वे कोई पैसा नहीं दे रहे हैं।ऐसी मिसाल कहीं और नहीं मिलती। अच्युत सामंत को विश्व स्तर पर सम्मानित किया गया है। कोटा में 10 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की है।वहां छात्रों की आत्महत्या के लिए संस्थान को दोषी नहीं ठहराया जा रहा है। छात्र प्रतिष्ठा खोने के बाद आत्महत्या कर रहे हैं। प्रेम संबंधों के मामलों में संस्थान को कैसे दोषी ठहराया जा सकता है? पात्रा ने सवाल किया।

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