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नई परंपरा सृष्टि करने हो रहा प्रयास ठीक नहीं : शंकराचार्य

शिक्षा, संस्कृति, सेवा एवं धर्म का अनुष्ठान है श्रीमंदिर। यहां पर ज

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 03:45 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 03:45 PM (IST)
नई परंपरा सृष्टि करने हो रहा प्रयास ठीक नहीं : शंकराचार्य
नई परंपरा सृष्टि करने हो रहा प्रयास ठीक नहीं : शंकराचार्य

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : शिक्षा, संस्कृति, सेवा एवं धर्म का अनुष्ठान है श्रीमंदिर। यहां पर जो शास्त्रीय विधि व्यवस्था या परंपरा के मुताबिक पूजा होती आ रही है उसी परंपरा के मुताबिक पूजा विधि करना उचित है। इसमें किसी भी प्रकार का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। श्रीमंदिर के प्राचीन वेद के मुताबिक परंपरा का विरोध कर नई परंपरा सृष्टि करने के लिए हो रहा प्रयास, ठीक नहीं है। इससे हर किसी को दूर रहना चाहिए। श्रीमंदिर सेवा पूजा संबंध में सुप्रीमकोर्ट को ठीक से जानकारी देने की जरूरत है। सुप्रीमकोर्ट द्वारा नियुक्त ऑमिकसक्यूरी के सामने श्रीमंदिर परंपरा के बारे में सभी तथ्य रखना होगा। जगतगुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने किसी को भी अंधकार में न रखने के लिए सेवायतों को परामर्श दिया है। सुप्रीमकोर्ट की राय एवं प्रस्ताव को लेकर शंकराचार्य के मार्गदर्शन के लिए गुरुवार शाम को गजपति महाराज के नेतृत्व में करीब 50 सेवायत गोबर्धन पीठ गए थे। इस दौरान करीब 15 सेवकों ने शंकराचार्य के समक्ष अपना मत रखा। इस पर शंकराचार्य ने कहा कि श्रीमंदिर दर्शन करने के लिए आने वाले भक्तों के साथ दु‌र्व्यवहार की खबर हर तरफ सुनने को मिल रही है। वर्तमान के सेवकों के साथ जनसाधारण की भावना अनुकूल नहीं है। फिर भी इसी के बीच समाधान का रास्ता निकालना होगा। श्रीमंदिर की सेवा व पूजा के बारे में ऑमिकेसक्यूरी से लेकर जिला जज तक सबको अच्छी तरह से समझाना होगा। हर क्षेत्र में शंकराचार्य की उपेक्षा की जा रही है। यह उसी का परिणाम होने की बात कहते हुए जगतगुरु शंकराचार्य ने सभी से मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए काम करने को आह्वान किया।

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गजपति महाराज दिव्य¨सहदेव ने कहा कि श्रीमंदिर की सेवा पूजा व परंपरा विश्व में अनन्य है। वर्तमान सुप्रीमकोर्ट की यह अंतरिम राय है। सुप्रीमकोर्ट सभी पक्ष की बात सुनने के बाद पूरी राय देगी। सेवकों की भावना व तर्क निश्चित रूप से सुना जाएगा। सन 1977 में रथ खींचने में हुई गड़बड़ी के बाद सरकार ने बीके पात्र आयोग का गठन किया था। उस समय वंशानुक्रमिक सेवा व्यवस्था को हटाने की बात उठी थी। ऐसा हो सकता है कि इसी सिफारिश के आधार पर वर्तमान जिला जज ने वंशानुक्रमिक सेवा व्यस्था हटाने की सिफारिश की हो। इसके लिए सबको मिलकर अपनी बात रखनी होगी। महाप्रभु की सेवा पूजा में बदलाव करने की कोई जरूरत नहीं है। सुप्रीमकोर्ट पूरी बात सुनने के बाद निश्चित रूप से उत्तम राय देगी। गजपति महाराज की सलाह के आधार पर इस अवसर पर पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया। यह टीम सुप्रीमकोर्ट की राय को अच्छी तरह से समझेगी और सभी सेवकों के साथ चर्चा कर एक प्रस्ताव तैयार करेगी। इस प्रस्ताव के बारे में पहले शंकराचार्य के साथ चर्चा की जाएगी। इसके बाद श्रीमंदिर प्रशासन एवं राज्य सरकार के साथ चर्चा की जाएगी। अंत में सुप्रीकोर्ट को यह प्रस्ताव दिया जाएगा। कमेटी में सेवकों में रवीन्द्र नाथ प्रतिहारी, लोकनाथ सुआर, हरेकृष्ण प्रतिहारी, बाबन महासुआर एवं गोपीनाथ महापात्र को शामिल किया गया है। समयानुसार कमेटी में और सदस्यों को रखने पर भी चर्चा की गई।

उल्लेखनीय है कि श्रीमंदिर प्रसंग पर सुप्रीमकोर्ट की राय एवं प्रस्ताव ने सेवायतों के मन में भय का माहौल बना दिया है। वंशानुक्रमिक सेवक नियुक्ति हटाने की सिफारिश ने उनकी नींद उड़ा दी है। इस सिफारिश के कार्यकारी होने पर उनकी सत्ता चली जाएगी। किस प्रकार से वंशानुक्रमिक सेवा बनी रहे, दान दक्षिणा पर दिखाई दे रहा संकट खत्म हो, श्रीमंदिर को गैर ¨हदू प्रवेश प्रस्ताव को किस प्रकार से खत्म किया जाए, उसे लेकर गुरुवार को सेवायत शंकराचार्य से मार्गदर्शन लेने के लिए उनके पास गए थे।


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