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रत्न सिंहासन पर विराजमान हुए महाप्रभु जगन्नाथ

रत्न सिंहासन छोड़कर मौसी के घर महाप्रभु के चले जाने से नाराज मां लक्ष्मी को रसगुल्ला खिलाकर महाप्रभु ने उनके क्रोध को शांत किया।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 07 Jul 2017 12:51 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jul 2017 12:51 PM (IST)
रत्न सिंहासन पर विराजमान हुए महाप्रभु जगन्नाथ
रत्न सिंहासन पर विराजमान हुए महाप्रभु जगन्नाथ

भुवनेश्वर, जेएनएन। महाप्रभु जगन्नाथ 12 दिन तक विभिन्न लीला करने के बाद गुरुवार को अपने रत्न सिंहासन पर विराजमान हो गए। तमाम रीति-नीति व नीलाद्री बिजे प्रकिया पूरी होने के बाद भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ महाप्रभु जगन्नार्थ ंसहद्वार होते हुए 22 पाहाच (सीढ़ी) के जरिये श्रीमंदिर में प्रवेश किए। 

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सबसे पहले रामकृष्ण मदन मोहन का बिजे किया गया इसके बाद बड़े भाई बलभद्र, देवी सुभद्रा एवं आखिरी में कालिया ठाकुर जगत के नाथ श्री जगन्नाथ को पहंडी कर श्रीमंदिर में रत्न सिंहासन पर विराजमान किया गया। नीलाद्री बिजे के मौके पर महाप्रभु के समक्ष रसगुल्ला का भोग लगाया गया। रत्न सिंहासन छोड़कर मौसी के घर महाप्रभु के चले जाने से नाराज मां लक्ष्मी को रसगुल्ला खिलाकर महाप्रभु ने उनके क्रोध को शांत किया। नीलाद्री बिजे नीति शांति के साथ संपन्न कराने के लिए श्रीमंदिर प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की गई थी। महाप्रभु के नीलाद्री बिजे नीति देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ श्रीक्षेत्र धाम पहुंची थी। 

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