क्योंझर जंगल में घायल हाथी को बचाने थर्मल ड्रोन से निगरानी, एंटीबायोटिक डार्टिंग…फिर भी जंग हार गया वयस्क हाथी
ओडिशा के क्योंझर जिले के जंगलों में एक घायल हाथी की मौत हो गई। हाथी को बचाने के लिए वन विभाग ने कई प्रयास किए, जिसमें थर्मल ड्रोन से निगरानी और एंटीबा ...और पढ़ें

घायल हाथी का उपचार करता वनकर्मी और पशु चिकित्सक की टीम। (फाइल फाेटो)
संवाद सूत्र, बड़बिल । ओडिशा के क्योंझर जिले के जंगलों में पिछले तीन महीनों से घायल अवस्था में भटक रहे एक वयस्क हाथी की सोमवार शाम 6:35 बजे मौत हो गई। हाथी सितंबर में झुंड से अलग हो गया था और तब से उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी।
कई बार झुंड में शामिल होने की कोशिश के दौरान नर हाथियों के हमलों से उसे गंभीर चोटें लगती रहीं। क्योंझर डीएफओ धनराज एचडी ने बताया कि वन विभाग ने हाथी को बचाने के लिए काफी प्रयास किए।
27 सितंबर को पहली बार उसे ट्रैक किया गया था। पिछले तीन महीनों में विभाग, एमवीएस क्योंझर टीम और वनकर्मियों ने थर्मल ड्रोन और ग्राउंड ट्रैकिंग के माध्यम से उसकी निरंतर निगरानी की।
11 नवंबर को घाव की सफाई के लिए केमिकल इमोबिलाइजेशन और एंटीबायोटिक डार्टिंग की प्रक्रिया भी अपनाई गई, लेकिन हाथी के असहयोगी व्यवहार और झुंड के आक्रामक रुख के कारण उपचार असरदार नहीं हो सका।
वन अधिकारियों के अनुसार घायल हाथी बार-बार झुंड के पास जाने की कोशिश करता था, जिससे उसे नई चोटें लगतीं और स्थिति और खराब होती गई। सोमवार को वह कलिमा गांव के पास एक दलदली धान के खेत में गिर पड़ा और उठ नहीं सका।
पशु चिकित्सा टीम ने सीडबल्यूएच भुवनेश्वर के विशेषज्ञों के परामर्श से आपातकालीन सहायक उपचार दिया, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।
वन विभाग के मुताबिक, हाथी की मौत का मुख्य कारण झुंड से बार-बार हुई चोटों के चलते सेप्टीसीमिया और सिस्टम फेलियर रहा। विभाग ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

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