Move to Jagran APP

बेटे का शव कंधे पर लाद कर पांच किमी पैदल ले गया पिता

राज्य में सरकारी तंत्र में अव्यवस्था और गरीबी का आलम यह है लोगों की सुविधा के लिए शव वाहन तक उपलब्ध नही हो पाते।

By BabitaEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 10:50 AM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 01:39 PM (IST)
बेटे का शव कंधे पर लाद कर पांच किमी पैदल ले गया पिता
बेटे का शव कंधे पर लाद कर पांच किमी पैदल ले गया पिता

भुवनेश्वर, जेएनएन। राज्य में सरकारी तंत्र में अव्यवस्था और गरीबी का आलम यह है उसके सामने मानवता के लिए कोई जगह नहीं है। तभी तो ढेकानाल जिला अंतर्गत कामख्यानगर ब्लाक कानपुरा पंचायत स्थित एकताली गांव में शुक्रवार को एक बार फिर दाना माझी जैसी घटना की पुनरावृत्ति हो गई। महापरायण गाड़ी (शव वाहक वाहन) न मिलने से गांव के जगा मुंडा को अपने बेटे का शव कंधे पर लादकर पोस्टमार्टम कराने के लिए ले जाते देखा गया। 

prime article banner

सूचना के मुताबिक जगा का बेटा नौ वर्षीय सुमंत मुंडा गुरुवार की रात में गांव में ही मौजूद क्रसर कैंपस में सोया था। वहां पर उसे सांप ने काट लिया। रात 10 बजे घटना की जानकारी होने पर उसे इलाज के लिए कामख्यानगर मेडिकल को ले जाया गया। वहां पर इलाजरत के दौरान उसकी मौत हो गई। शुक्रवार सुबह एक ऑटो से बेटे का लेकर परिवार वाले घर पहुंचे।

जहां आशा कर्मचारी व सरपंच ने उससे कहा कि शव का पोस्टमार्टम कराने पर आपको सरकारी सहायता मिलेगी। मगर जगा के पास घर से पांच किमी दूर कामख्या नगर मेडिकल तक ले जाने के लिए पैसा नहीं था। ऐसे में वह बेटे का शव कंधे पर लादकर पोस्टमार्टम कराने के लिए निकल पड़ा। 

यहां उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले भुवन में पिता के शव को लेकर बेटियां ट्राली पर रखकर 5 किमी. दूर नीलकंठपुर गांव ले गई थी, जो कि राज्य में चर्चा का विषय बनी थी। राज्य में इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी है। ऐसे में दान माझी की घटना को भला कौन भुल सकता है, जो कि न सिर्फ ओड़िशा  बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई थी। इसके अलावा दो अगस्तउको बौद्ध जिले के एक गांव में  आर्थिक तंगी और सामाजिक बहिष्कार के चलते एक महिला का शव घंटों पड़ा रहा।

बाद में महिला का जीजा उसके शव को अपनी साइकिल पर बांध कर अंत्येष्टि के लिए ले गया। उसी तरह तीन अगस्त को झारसुगुड़ा जिला में आर्थिक तंगी के चलते एक महिला का शव घंटो वहीं पड़ा रहा। बाद में इसकी जानकारी रेंगाली के विधायक रमेश पटुआ को हुई तो उन्होंने आगे बढ़कर महिला की अंत्येष्टि कराई। अब एक बार आज फिर इस तरह की घटना ने सरकार की योजनाओं के दावों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है ।

नहीं सुनी डॉक्टर की बात

इस बीच जानकारी मिली है कि राज्य सरकार द्वारा चलाया गया महापरायण वाहन न मिलने से जगा को यह कदम उठाना पड़ा। हालांकि इलाज करने वाले डॉक्टर का कहना है कि हमने उसे शव को रखने के लिए कहा था, मगर उसने हमारी एक न सुनी और यहां से शव को लेकर चला गया। अस्पताल से किसी तरह पैसों का प्रबंध कर वह अपने बेटे का शव लेकर गांव पहुंचा पर वहां से पैदल ही शव लेकर पोस्टर्माटम हाउस चला गया।

पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं

- 25 अगस्त 2016 : कालाहांडी जिले में दीना माझी को कोई वाहन नहीं मिलने से अपनी पत्नी का शव कंधे पर लाद कर 10 किमी दूर गांव ले जाना पड़ा।

- 8 सितंबर 2016 : मलकानगिरी में बीच सड़क पर एंबुलेंस से उतार देने पर एक व्यक्ति को अपनी बेटी का शव गोद में लेकर गांव लौटने को बाध्य हुआ।

- 11 जनवरी 2017 : जाजपुर में महाप्रयाण वाहन नहीं मिलने से एक युवक अपनी मां की लाश कंधे पर लादकर गांव तक ले जाना पड़ा।

- 7 जनवरी 2018 : अनुगुल में एक मजबूर पिता को अपनी बेटी का शव कंधे पर लादकर 15 किमी दूर गांव ले जाना पड़ा।

- 2अगस्त, 2018 : बौद्ध जिले में आर्थिक तंगी और सामाजिक बहिष्कार के चलते एक महिला का शव

घंटों पड़ा रहा। बाद में महिला का जीजा उसके शव को अपनी साइकिल पर बांध कर अंत्येष्टि के लिए ले गया। 

- 3 अगस्त, 2018 : झारसुगुड़ा जिले में आर्थिक तंगी के चलते एक महिला का शव घंटों पड़ा रहा। बाद में रेंगाली के विधायक रमेश पटुआ ने आगे बढ़कर उसकी अंत्येष्टि कराई।

- 8 अगस्त, 2018:  ढेंकानाल : गरीब परिवार की शादीशुदा बेटियां अपने पिता का शव मालवाही रिक्शा

पर लाद कर गांव तक ले चला गया ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.