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श्रीक्षेत्र धाम पुरी में फिर मानवता हुई शर्मसार, रिक्शे पर शव लेकर श्मशान घाट गए परिजन।

अस्पताल से नहीं मिली महापरायण गाड़ी, सवारी रिक्शा पर शव लेकर श्मशान घाट गए परिजन।

By BabitaEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 09:25 AM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 09:25 AM (IST)
श्रीक्षेत्र धाम पुरी में फिर मानवता हुई शर्मसार, रिक्शे पर शव लेकर श्मशान घाट गए परिजन।
श्रीक्षेत्र धाम पुरी में फिर मानवता हुई शर्मसार, रिक्शे पर शव लेकर श्मशान घाट गए परिजन।

भुवनेश्वर, जेएनएन। श्रीक्षेत्र धाम पुरी में एक बार फिर मानवता शर्मसार कर देने वाला मामला देखने को मिला। इस बार हाथ ट्राली (रिक्शा ठेला) नहीं बल्कि दिन दहाड़े सवारी रिक्शा पर शव लादकर लोगों को श्मशान घाट लेकर जाते देखा गया। इस शर्मनाक प्रसंग का सामना पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ का दर्शन करने उत्तर प्रदेश के तुलसीपुर से आए श्रद्धालुओं को हुआ। जिन्हें अपने एक महिला सहयात्री की मौत के बाद महापरायण गाड़ी के लिए घंटों इधर-उधर भटकना पड़ा।

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अंत में मजबूरी में परिजन शव कंधे पर लादकर अस्पताल से बाहर आए और सवारी रिक्शा पर ले जाकर स्वर्गद्वार श्मशान घाट पहुंचे। जहां अंतिम संस्कार किया गया। उत्तर प्रदेश के तुलसीपुर नैनकीनियार बेलीखुर्द गांव से 15 से अधिक भक्त सोमवार को पुरी पहुंचे थे। सभी लोग यहां पर बड़दांड में मौजूद एक धर्मशाला में ठहरे हुए थे। इसी दौरान गांव के स्वामीनाथ की 62 वर्षीय पत्नी रामकाली की शुक्रवार रात अचानक तबीयत खराब हो गई। 

इसके बाद उनके साथ आए अन्य श्रद्धालु रामकाली को ले जाकर तुरंत पुरी जिला मुख्य अस्पताल में भर्ती कर दिया। शनिवार रात 2 बजकर 30 मिनट पर रामकाली की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। इसके बाद स्वामीनाथ व साथी श्रद्धालुओं ने शव को स्वर्गद्वार तक ले जाने की व्यवस्था करने के लिए मेडिकल कर्मचारियों से अनुरोध किया।

जिस पर मेडिकल कर्मचारी उन्हें इधर-उधर भेजकर परेशान करते रहे। इस बीच सुबह हो गई मगर किसी ने उनकी सुध नहीं ली। निराश होकर भक्तों ने ऑटो रिक्शा बुलाने का प्रयास किया। मगर उसके चालक ने शव छूने से मना कर दिया। इसके बाद किसी तरह एक सवारी रिक्शा वाले को समझाबुझाकर जिला मुख्य अस्पताल से शव स्वर्गद्वार तक ले गए और अंतिम संस्कार किया। 

पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं

- 25 अगस्त 2016 : कालाहांडी जिले में दीना माझी को कोई वाहन नहीं मिलने से अपनी पत्नी का शव कंधे पर लाद कर 10 किमी दूर गांव ले जाना पड़ा।

- 8 सितंबर 2016 : मलकानगिरी में बीच सड़क पर एंबुलेंस से उतार देने पर एक व्यक्ति को अपनी बेटी का शव गोद में लेकर गांव लौटने को बाध्य हुआ।

- 11 जनवरी 2017 : जाजपुर में महाप्रयाण वाहन नहीं मिलने से एक युवक अपनी मां की लाश कंधे पर लादकर गांव तक ले जाना पड़ा।

- 7 जनवरी 2018 : अनुगुल में एक मजबूर पिता को अपनी बेटी का शव कंधे पर लादकर 15 किमी दूर गांव ले जाना पड़ा।

- 2अगस्त, 2018 : बौद्ध जिले में आर्थिक तंगी और सामाजिक बहिष्कार के चलते एक महिला का शव

- 3 अगस्त, 2018 : झारसुगुड़ा जिले में आर्थिक तंगी के चलते एक महिला का शव घंटों पड़ा रहा। बाद में रेंगाली के विधायक रमेश पटुआ ने आगे बढ़कर उसकी अंत्येष्टि कराई।

- 8 अगस्त, 2018:  ढेंकानाल : गरीब परिवार की शादीशुदा बेटियां अपने पिता का शव मालवाही रिक्शा  पर लाद कर लेकर गयी ।

- 11 अगस्त, 2018: ढेकानाल जिला अंतर्गत कामख्यानगर ब्लाक कानपुरा पंचायत स्थित एकताली गांव में हापरायण गाड़ी (शव वाहक वाहन) न मिलने से गांव के जगा मुंडा को अपने बेटे का शव कंधे पर लादकर पोस्टमार्टम कराने के लिए ले जाते देखा गया। 


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