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एंबुलेंस न मिलने पर पालकी में लाद महिला को पहुंचाया अस्पताल, तय किया इतना लंबा रास्ता

एंबुलेंस न मिलने पर एक महिला मरीज को पालकी में डाल 15 किमी.की दूरी तय कर अस्‍पताल तक पहुंचाया।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 03:53 PM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 03:53 PM (IST)
एंबुलेंस न मिलने पर पालकी में लाद महिला को पहुंचाया अस्पताल, तय किया इतना लंबा रास्ता
एंबुलेंस न मिलने पर पालकी में लाद महिला को पहुंचाया अस्पताल, तय किया इतना लंबा रास्ता

भुवनेश्वर, जेएनएन। ओडिशा के रायगड़ा जिला अन्तर्गत मुनीगुड़ा में शुक्रवार को पालकी में लादकर और एक महिला को अस्पताल पहुंचाने की घटना सामने आयी है। एम्बुलेंस न मिलने से बांस में कपड़े की पालकी बनाकर डंगरिया महिला मरीज को उसके परिवार वाले करीबन 15 किमी. पैदल चलकर अस्पताल पहुंचने की घटना अब शहर के साथ पूरे राज्य में चर्चा का विषय बनी हुई है। 

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 जानकारी के मुताबिक पिछले दो सप्ताह पहले डेंगुणी गांव के हुंडारी सिक्का की तबियत खराब हो गई थी। लगातार बारिश होने से गांव का रास्ता खराब होने से हुंडारी को अस्पताल पहुंचाने में असुविधा हो रही थी। शुक्रवार को उसकी तबियत ज्यादा खराब हो गई तब परिवार वालों ने उसे करीबन 10 किमी. तक पालकी में ढो कर लाने के बाद एम्बुलेंस के लिए फोन किए। इसके बावजूद एम्बुलेंस नहीं पहुंची। इससे मजबूरी में पालकी से ही मरीज को मुनीगुड़ा शहर में मौजूद अस्पताल लाए जाने की बात उनकी एक रिश्तेदार मालती सिक्का के साथ उनके साथ आए लोगों ने कही है। अस्पताल में पहुंचने के बाद मुनीगुड़ा मेडिकल अधिकारी के साथ अन्य डाक्टरों ने तुरन्त इलाज प्रक्रिया शुरू कर दी। मुनीगुड़ा मेडिकल अधिकारी डा. संजय कुमार ने कहा है मरीज रक्तहीनता का शिकार थी ऐसे में उन्हें रायगड़ा जिला मुख्य अस्पताल को स्थानान्तरित कर दिया गया है।

एबुलेंस तक पहुंचने के लिए गर्भवती महिला ने 12 किमी. इस तरह तय किया सफर

ओडिशा के नेहला गांव में एक गर्भवती महिला को एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए कल्लीगुमा नदी तक के लिए जेलिंगधोरा नदी से कम से कम 12 किमी. दूर खाट पर ले जाना पड़ा क्योंकि वहां कोई उचित सड़क नही बनी हुई थी। 

गौरतलब है कि मूलभूत सुविधाओं के लिए अक्सर ओडिशा में ग्रामीणों को इस तरह की कठिनाईयों को सामना करना पड़ता है, अभी कुछ दिन पहले की ही घटना है जब यहां एक व्यक्ति को मौत के बाद शव वाहन तक नसीब नहीं हुआ, ऐसे में मजबूरीवश उसके परिवार के लोगों ने उसे कपड़े की झोली में डालकर घर तक पहुंचाया।

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