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भुवनेश्वर में भी परंपरानुसार मनाई गई हेरा पंचमी

मानवीय लीला के लिए प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ से जुड़ा हेरा पंचमी एक महत्वपूर्ण उत्सव है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 01 Jul 2017 02:39 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jul 2017 02:39 PM (IST)
भुवनेश्वर में भी परंपरानुसार मनाई गई हेरा पंचमी
भुवनेश्वर में भी परंपरानुसार मनाई गई हेरा पंचमी

भुवनेश्वर, जेएनएन। महाप्रभु श्री जगन्नाथ रथयात्रा का अंयतम प्रमुख पर्व हेरा पंचमी विधि पूर्वक संपन्न हुई। यह पर्व अपने भाई-बहन के साथ रथारुढ़ होकर मंदिर छोड़ आए भगवान से नाराज महालक्ष्मी से जुड़ा है। महाप्रभु से नाराज महालक्षी अपने सखियों के संग शरधाबाली तक आती हैं।

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लक्ष्मी की उत्सव प्रतिमा को गाजे बाजे के साथ गुण्ड़चिा मंदिर तक ले जाया गया। जहां भगवान जगन्नाथ द्वार रथयात्रा में अपने को सात न ले जाने से गुसस्ई लक्ष्मी प्रतीक के तौर पर नन्दिघोष रथ का एक हिस्सा तोड़ देती हैं। मानवीय लीला के लिए प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ से जुड़ा हेरा पंचमी एक महत्वपूर्ण उत्सव है। रथ को तोडऩे के बाद महालक्ष्मी श्री मंदिर लौट जाती हैं।

हेरा गोहिरा साही होते हुए महालक्ष्मी का विमान श्री मंदिर लौटने के कारण इस विधि को हेरा पंचमी कहा जाता है। हेरा पंचमी के अवसर पर पुरी के शरधा बाली में हजारों श्रद्धालुओं का जमावड़ा हुआ। शऱधा बाली में भजन का भी आयोजन किया गया जिसमें मशहुर गायक सुरेश वाड़ेकर, महम्मद अजीज ने भगवान जगन्नाथ के कई भजन गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।


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