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सरकार के पास नहीं है पुरी जगन्नाथ मंदिर के नई संचालन कमेटी के गठन करने का समय: खामियाजा भुगत रहे हैं सेवक और भक्त

Puri Jagannath Templeपुरी जगन्नाथ मंदिर की नई संचालन कमेटी गठन तथा चयन में देरी होने के कारण ये तमाम कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इसका खामियजा जगन्नाथ मंदिर के सेवक एवं भक्तों को भुगतना पड़ रहा है। पांच माह पहले ही मंदिर संचालन कमेटी का कार्यकाल खत्म हो चुका है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 11:55 AM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 11:56 AM (IST)
सरकार के पास नहीं है पुरी जगन्नाथ मंदिर के नई संचालन कमेटी के गठन करने का समय: खामियाजा भुगत रहे हैं सेवक और भक्त
पुरी जगन्नाथ मंदिर संचालन कमेटी का कार्यकाल खत्म हो गया है।

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। पुरी जगन्नाथ मंदिर के संचालन में मंदिर संचालन कमेटी की प्रमुख भूमिका होती है। जगन्नाथ मंदिर का विकास की बात हो या सेवकों के हित की बात या फिर नीति निर्धारण, अनुशासन सभी कार्य के लिए जगन्नाथ मंदिर संचालन कमेटी के अनुमोदन की जरूरत होती है। बावजूद इसके नई संचालन कमेटी गठन तथा चयन में देरी होने के कारण ये तमाम कार्य प्रभावित हो रहे हैं। 5 महीने पहले ही पुरी जगन्नाथ मंदिर संचालन कमेटी का कार्यकाल खत्म हो गया है, मगर सरकार को नई संचालन कमेटी के गठन करने का समय नहीं मिल रहा है और इसका खामियजा जगन्नाथ मंदिर के सेवक एवं भक्तों को भुगतना पड़ रहा है।

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सब कुछ जानते हुए भी सरकार नई कमेटी के गठन में तत्परता नहीं दिखा रही है, लग रहा है मानो नई कमेटी गठन करने की बात ही सरकार भूल गई है। इसका सीधा प्रभार जगन्नाथ मंदिर के सेवक एवं भक्तों पर पड़ रहा है। उम्मीद थी कि सरकार, महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथयात्रा के बाद नयी कमेटी का गठन कर देगी। रथयात्रा खत्म हुए भी अब काफी समय हो गया है और फिर भी नई कमेटी गठन को लेकर सरकार की तरफ से किसी प्रकार की तत्परता नहीं दिख रही है।

पुरी जगन्नाथ मंदिर कानून 1954, सेक्शन 6 के आधार पर जगन्नाथ मंदिर विधि व्यवस्था में अनुशासन तथा विभिन्न सुविधा असुविधा का समाधान करने के लिए संचालन कमेटी का गठन किया गया है। इसमें मुक्ति मंडप, विभिन्न नियोग, मठ आदि से 10 लोग का चयनित सदस्य हैं। अंतिम बार 15 मार्च 2018 को जगन्नाथ मंदिर संचालन कमेटी का गठन किया गया था। इसमें गजपति महाराज संचालन कमेटी के स्थायी अध्यक्ष हैं जबकि चयनित सदस्यों में मुक्तिमंडप से सिदेश्वर महापात्र, पूजापंडा नियोग से माधव पूजा पंडा, पुष्पालक नियोग से तलुच्छ नीलकंठ महापात्र, प्रतिहारी नियोग से माधव महापात्र, सुआर महासुआर नियोग से अनंत कुमरा तिआड़ी, दइतापति नियोग से रामचन्द्र दास महापात्र का चयन किया गया था। उसी तरह से भास्कर शिल्पी स्व. रघुनाथ महापात्र, खंजापीठा मठ के अध्यक्ष सचिदानंद दासमहाराज, चार्टर्ड एकाउंटेंट विजयक साहू, जगन्नाथ मंदिर के पूर्व प्रशासक महिमोहन त्रिपाठी भी मनोनीत कमेटी में शामिल थे। पिछले 15 से इस कमेटी का कार्यकाल खत्म हो गया है। करीबन 5 महीने पहले कमेटी का कार्यकाल खत्म होने के बाद से बिना कमेटी के जगन्नाथ मंदिर चल रहा है। इतना समय गुजर जाने के बावजूद सरकार को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है। परिणामस्वरूप जगन्नाथ मंदिर दानकोष से लेकर अन्य विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

रथयात्रा से पहले इस संबंध में जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक से मीडिया प्रतिनिधियों ने सवाल किया था तब मुख्य प्रशासक ने कहा था कि बहुत जल्द नई संचालन कमेटी का गठन किया जाएगा। रथयात्रा के कारण नई कमेटी की घोषणा को रोका गया है। रथयात्रा के बाद नई कमेटी की घोषणा होने की बात प्रशासनिक अधिकारी के सात पूर्व संचालन कमेटी के सदस्यों ने भी कही थी फिर भी आज तक नई संचालन कमेटी का गठन नहीं हो पाया है। इससे जगन्नाथ मंदिर के बजट से लेकर रथ पहिया का दान जैसे अनेक प्रस्ताव, प्रस्ताव तक ही सीमित है।


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