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कैसे मुस्कुराएगा बचपन ! ओडिशा में हर साल 500-1500 बच्चियों की कच्ची उम्र में शादी, रोक लगाने में प्रशासन विफल

Child Marriage in Odisha पिछले दो साल में चाइल्डलाइन ने जिले में 205 से अधिक बाल विवाह रुकवाया है। दुखद बात है कि बाल विवाह रुकवाने के बाद भी मां-बाप बाद में बच्चियों की दोबारा शादी करवा देते हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन रोक लगाने में विफल है।

By Jagran NewsEdited By: Roma RaginiPublished: Sun, 26 Mar 2023 03:16 PM (IST)Updated: Sun, 26 Mar 2023 03:16 PM (IST)
कैसे मुस्कुराएगा बचपन ! ओडिशा में हर साल 500-1500 बच्चियों की कच्ची उम्र में शादी, रोक लगाने में प्रशासन विफल
ओडिशा में बाल विवाह के मामले बढ़े

संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। ओडिशा सरकार बाल विवाह रोकने के लिए 'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' योजना के तहत लाखों रुपये खर्च कर रही है। इसके बावजूद ओडिशा के विभिन्न जिलों में खुलेआम कम उम्र में लड़कियों की शादी की जा रही है। नयागढ़ जिले में बड़ी संख्या में बाल विवाह हो रहे हैं।

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रिपोर्ट के अनुसार, चाइल्डलाइन ने पिछले दो साल में जिले में 205 से अधिक बाल विवाहों को रुकवाई है। इससे पता चलता है कि लोगों में बाल विवाह के बारे में जागरूकता की कमी है। वहीं, कड़ी कानूनी कार्रवाई न होने से लोगों में डर नहीं है।

वहीं, बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) जिन बच्चियों को कच्ची उम्र में शादी से बचाकर बाल कल्याण समिति भेजती हैं, उन्हें दोबारा घर भेजने पर फिर से शादी कर दी जाती है। पिछले दो साल में ऐसे 32 मामले सामने आए हैं, जिनमें नाबालिग लड़कियों को छुड़ाने के बाद फिर से शादी कर दी गई।

अनौपचारिक सूत्रों का कहना है कि जिले में बाल विवाह की सही संख्या एक साल लगभग 500 से 1,500 है। जनवरी 2021 से जनवरी 2023 तक दो साल में 205 नाबालिगों की शादियां रोकी जा चुकी हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अनैतिक प्रथा पर रोक लगाने में जिला प्रशासन विफल है। इसके साथ ही, आम लोगों के प्रयास भी सिर्फ भाषणों और बैठकों तक सीमित हैं।

बता दें कि कम उम्र में विवाह के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला प्रशासन व एक्शन एड के सहयोग से 22 मई 2022 को तत्कालीन जिला कलेक्टर के नेतृत्व में शपथ ग्रहण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसे पूरे जिले में चल रहे 'बाल विवाह को ना और स्कूल को हां' कार्यक्रम का हिस्सा माना जा रहा था।

इस कार्यक्रम में एसएचजी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत स्तर पर किशोर, एसएचजी एसोसिएशन के सदस्य, ब्लॉक स्तर पर पर्यवेक्षक, सीडीपीओ और जिला स्तर के अधिकारी इस अभियान में शामिल हुए थे लेकिन इन बैठकों में पत्रकारों को नहीं बुलाया गया।

कानूनी ढांचे में बदलाव की जरूरत

बाल विवाह की बढ़ती घटनाओं पर कलेक्टर कई बार निराशा जता चुके हैं और कानूनों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दे चुके हैं, लेकिन यह सब व्यर्थ रहा । इस संबंध में मनिकागोड़ा के वकील अमिय पटनायक का कहना है कि बाल विवाह रोकने के लिए बने कानूनी ढांचे में बदलाव की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि इस अवैध धंधे में शामिल लोगों को सलाखों के पीछे डाला जाना चाहिए और उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जाने चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को हमेशा इस मुद्दे के संबंध में आयोजित होने वाली जागरूकता बैठकों और कार्यक्रमों का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

विवाह के पंजीयकरण से बाल विवाह पर लगेगी रोक

सामाजिक कार्यकर्ता उषारानी पटनायक ने विवाह के पंजीकरण की प्रक्रिया का अनिवार्य रूप से पालन करने पर जोर देते हुए कहा कि विवाह के पंजीकरण से काफी हद तक कम उम्र में होने वाली शादियों को रोकने में मदद मिलेगी और कार्यक्रमों के हर क्षेत्र से समर्थन की जरूरत है।


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