Talabania Fire: तालाबनिया जंगल में 16 दिन में चार बार लगी आग, पर्यावरणविदों ने की ठोस व्यवस्था करने की मांग
स्थानीय लोगों के अनुसार घटनाएं शराब और सिगरेट के कारण हुईं। इतना ही नहीं इस बीच दावत का आयोजन किया जा रहा है। जैसे-जैसे पिकनिक का मौसम जारी है समूह इस बीच एक दावत का आयोजन करता है लेकिन वे आग को बुझाए बिना जा रहे हैं।
भुवनेश्वर, संवाददाता। भुवनेश्वर में तालाबनिया क्षेत्र में जंगल का निर्माण ताजे पानी के भंडार के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए किया गया है। लेकिन प्रतिबंधों के बावजूद, तालाबानिया जंगल वनभोज का केंद्र बन गया है। नतीजतन, पिछले 16 दिनों में चार बार जंगल में आग लग हो चुकी है। आग फैलने से पहले ही काबू पा लिए जाने से बड़े हादसे टल गए हैं, लेकिन बार-बार हो रही घटनाओं ने आने वाले दिनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।
सुरक्षा के लिए पर्यावरणविदों ने की ठोस व्यवस्था करने की मांग
जंगल को 20 साल पहले कृत्रिम रूप से डिजाइन किया गया था। करीब 100 एकड़ के तालाबनिया क्षेत्र में जंगल बनाया गया हैं। हालांकि, कचरे और आग का डंपिंग हरियाली व पर्यावरण के लिए खतरा है। दरअसल वन विभाग और नगर पालिका दोनों का ही प्रभार वन विभाग का है, लेकिन इसकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। दूसरी ओर, असामाजिक तत्वों ने अक्सर इस जंगल को नशा सेवन के लिए एक सुरक्षित स्थान के रूप में अपनाया है।
शराब और सिगरेट के कारण हुईं घटनाएं
स्थानीय लोगों के अनुसार, घटनाएं शराब और सिगरेट के कारण हुईं। इतना ही नहीं, इस बीच दावत का आयोजन किया जा रहा है। जैसे-जैसे पिकनिक का मौसम जारी है, समूह इस बीच एक दावत का आयोजन करता है, लेकिन वे आग को बुझाए बिना जा रहे हैं। नतीजतन आशंका जताई जा रही है कि इस तरह की आग सूखी पत्तियों में फैल रही है। दूसरी ओर, कुछ लोग जंगल के अंदर कचरा फेंकने और उसे आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
पर्यावरणविद डैनियल नायक ने कहा, 'पिछले साल से, जंगलों को कचरा मुक्त रखने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि लोग इस मीठे जलाशय के महत्व को समझें और इसके संरक्षण के प्रति ईमानदारी दिखाएं। दीवारों पर, वन परिसर पर जागरूकता संदेश लिखे गए हैं।
असामाजिक नागरिकों की वजह से लगता है इस तरह की आग
हालांकि कुछ असामाजिक नागरिकों की वजह से इस तरह की आग बार-बार लग रही है। वे भूल जाते हैं कि आग बुझाना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है, भले ही वे अपनी खुशी और मनोरंजन के लिए दावत करते हैं। 13, 16, 20 और 24 मई को जंगल में विभिन्न स्थानों पर आग लग गई थी।
दमकल कर्मियों ने तीन बार आग पर काबू पाया। एक बार फिर कुछ छोटे बच्चों और पर्यावरणविदों ने आग बुझाई। संयोग से आग पर काबू पा लिया गया और आग लगने के तुरंत बाद दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंची। आग ज्यादा फैलने से पहले ही जंगल को बुझाने से बचा लिया गया है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आने वाले दिनों में बड़ी घटनाएं नहीं होंगी। कम से कम इस पर कड़ी नजर रखने पर ध्यान देने की मांग की जा रही है।
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