संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। आज से वारुणी स्नान शुरू हो रहा है। इस स्नान को ले कर ओडिशा के जाजपुर जिला में वैतरणी नदी के दशाश्मेध घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है।

कोरोना के लंबे विराम के तीन साल बाद वैतरणी नदी के दशाश्वमेध घाट पर पवित्र स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी है क्योंकि श्रद्धालु इस साल बिना किसी प्रतिबंध के स्नान कर रहे हैं। हालांकि, ननी में चल रहे निर्माण कार्य के चलते प्रशासन ने वहां बारुणी स्नान को प्रतिबंधित कर दिया है।

वहीं, प्रशासन ने स्नान योग को देखते हुए दशाश्वमेध घाट पर स्नान की अनुमति दे दी है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, लोगों का मानना ​​है कि वैतरणी नदी गंगा से बारह साल बड़ी हैं। ओडिशा में गंगा नदी की तरह बारुणी स्नान के लिए बैतरणी नदी को सर्वोत्तम माना गया है।

जाजपुर जिले और बाहर के हजारों श्रद्धालुओं ने दशाश्वमेध घाट पर वैतरिणी नदी में पवित्र डुबकी लगाई। उन्होंने बाद में, बरुनी रीति-रिवाजों के के रूप में अपने पूर्वजों को 'पिंड' अर्पित किया। तीर्थयात्रियों ने जिले के पीठासीन देवता बिरजा तीर्थ के भी दर्शन किए।

प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए किसी भी स्थिति से निपटने के व्यापक व्यवस्था किया है। वहीं, गंजाम और गजपति जिले के श्रद्धालुओं ने स्नान के लिए अस्का के पास रुशिकुल्या और बड़नदी नदि के संगम स्थल पर पवित्र डुबकी लगाई।

मान्यता है कि इस अवसर पर संगम पर डुबकी लगाने से लोग अपने पापों, दुखों और बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं। रुशिकुल्या नदी, जो कंधमाल जिले के रुशीमाला पर्वत से निकलती है और गंजाम शहर के पास बंगाल की खाड़ी में मिलती है, जो पवित्र मानी जाती है।

इधर, किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अस्का पुलिस के अधिकारियों ने इलाके में डेरा डाल दिया है।गंजाम जिले के बरही के पास कांजियामा और बहुदा नदी तट पर भी भीड़ देखी गई। गजपति जिले के केरंडी, बाघशाला, कामधेनु और मचामेरा के पास महेंद्रतन्या नदी में भी पवित्र स्नान की व्यवस्था की गई।

Edited By: Roma Ragini