Odisha: पुरी में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के लिए सीएम नवीन पटनायक ने पीएम मोदी को लिखा खत
Odisha ओडिशा के सीएम के मुताबिक श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध है। पुरी बेलाभूमि के पास ब्लू फाग बेलाभूमि की मान्यता मिली है। देश और विदेश से लाखों पर्यटक व श्रद्धालु पुरी आते हैं। ऐसे में पुरी में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट होना चाहिए।
जासं, भुवनेश्वर। Odisha: ओडिशा के पुरी में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस एयरपोर्ट का नाम श्रीजगन्नाथ अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट रखने के लिए मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में उल्लेख किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने पुरी में जमीन की पहचान कर ली है। एयरपोर्ट बनाने के लिए राज्य सरकार सभी प्रकार का सहयोग करेगी। इसी संदर्भ में शुक्रवार को फाइव टी सचिव वीके पांडियन ने पुरी दौरे पर जाकर एयरपोर्ट के लिए जमीन का भी मुआयना किया है। ऐसे में केंद्र जहाजरानी मंत्रालय से कदम उठाने के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा कि श्रीक्षेत्र धाम पुरी एक विश्वविख्यात आध्यमिक स्थल होने के साथ पर्यटन क्षेत्र है। देश के चारों धाम में से एक जगन्नाथ धाम है। पुरी से 35 किलोमीटर की दूरी पर विश्व प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर है। चिलिका झील भी पुरी से जुड़ी हुई है। धौलीगिरी व उदयगिरी भी पुरी के पास ही है। श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध है। पुरी बेलाभूमि (सुनहला समुद्र तट) के पास ब्लू फाग बेलाभूमि की मान्यता मिली है। देश और विदेश से लाखों पर्यटक व श्रद्धालु पुरी आते हैं। ऐसे में पुरी में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट होना चाहिए। प्रस्तावित कोस्टल हाइवे चिलिका, पुरी, कोणार्क, पारादीप, भीतरकनिका होते हुए जाएगा। पुरी को विश्व एतिहासिक नगरी बनाने के लिए काम शुरू हो गए हैं। इन सभी को ध्यान में रखते हुए पुरी में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनना जरूरी होने की बात मुख्यमंत्री नवीन पटनायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कही है।
गौरतलब है कि दिसंबर, 2020 में पटनायक ने कहा था कि पुरी श्रीमंदिर की तर्ज पर भुवनेश्वर स्थित महाप्रभु श्रीलिंगराज मंदिर के लिए भी बहुत जल्द एक विशेष कानून बनाया जाएगा। ओडिशा हिंदू देवोत्तर कानून 1951 के अनुसार, मंदिर संचालन करने के बदले राज्य सरकार के इस नए कानून के द्वारा सभी कार्य संपादित होंगे। श्रीलिंगराज मंदिर व यहां नीति के साथ जुड़े सभी मंदिर के संचालन का दायित्व एक 15 सदस्यीय संचालन कमेटी पर निर्भर होगा। मंदिर की सभी संपत्ति का रखरखाव, आधारभूमि विकास, आय, नीति नियम, सेवकों के हित के साथ सभी निर्णय लेने की क्षमता इस कमेटी के पास होगी।