भरतपुर कोयला खदान पर गिरी गाज, उत्पादन परिवहन बंद
राज्य के अनुगुल जिला अंतर्गत तालचेर स्थित महानदी कोल फील्डस लिमिटेड की भरतपरु कोयला खदान में सुरक्षा नियमों की अनदेखी करना कंपनी प्रबंधन को महंगा पड़ा।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : राज्य के अनुगुल जिला अंतर्गत तालचेर स्थित महानदी कोल फील्डस लिमिटेड (एमसीएल) भरतपुर कोयला खदान में जारी आंदोलन खत्म होने के बाद मंगलवार से कोयला उत्पादन एवं परिवहन का कार्य शुरू हुआ था, मगर बुधवार अपराह्न से भरतपुर खदान को एक बार फिर बंद कर दिया गया है। इस बार आंदोलन के चलते नहीं बल्कि खान सुरक्षा निदेशालय, भारत सरकार के निर्देश पर खदान को बंद किया गया है।
खान सुरक्षा निदेशालय, भुवनेश्वर क्षेत्र की तरफ जारी पत्र के अनुसार, विगत 24 एवं 25 जुलाई को विभाग के उपनिदेशक सत्यनारायण ने भरतपुर कोयला खदान दुर्घटना का जायजा लिया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में खदान नियम 1952 के मुताबिक 22(3) अधिनियम में इस खदान को बंद करने के लिए निर्देश दिया है। बताया है कि खदान से खनन कार्य सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। खदान नियम के उल्लंघन के चलते 4 लोगों की जान जा चुकी है। खदान में श्रमिकों की सुरक्षा के लिए ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में खदान को बंद करना हितकर होगा। इसके चलते बुधवार अपराह्न से भरतपुर खदान को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। हालांकि तालचेर में मौजूद अन्य 9 कोयला खदानों से उत्पादन एवं परिवहन सही ढंग से चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि विगत 23 जुलाई की रात में भरतपुर कोयला खदान में कोयले का ढेर धंस जाने से वहां कार्यरत चार श्रमिकों की मौत हो गई थी। इस घटना को लेकर श्रमिक संगठन एवं स्थानीय लोग मृतकों के परिवार को मुआवजा एवं खदान में कार्यरत कर्मचारियों व श्रमिकों की समुचित सुरक्षा की मांग को लेकर कोयला खनन व परिवहन ठप करा दिया था। 24 जुलाई से शुरू इस आंदोलन के कारण आसपास की कोयला खदानों में भी खनन व परिवहन कार्य बंद कराने से बिजली उत्पादन का संकट उत्पन्न हो गया था। एनटीपीसी कनिहा में कोयले के अभाव में चार यूनिटों को बंद करना पड़ा था।