छठ महापर्व: अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को पहला अर्घ्य
राजधानी भुवनेश्वर, कटक समेत पूरे राज्य में लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जा रहा है।
भुवनेश्वर, जेएनएन। राजधानी भुवनेश्वर, कटक समेत पूरे राज्य में लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जा रहा है। रविवार को नहाय-खाय के साथ शुरू छठ महापर्व में सोमवार को खरना उत्सव में लोगों ने परिवार के साथ खीर रोटी खाकर रात्रि से उपवास शुरू किया। मंगलवार को छठ मइया के पूजन के साथ ही संध्या के समय व्रती घाटों पर जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित करेंगे।
बुधवार को उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों द्वारा 24 घंटे के निर्जला उपवास का पारण किया जाएगा। इसे लेकर राजधानी भुवनेश्वर में प्रशासन सहित छठ कमेटियों की ओर से कुआखाई घाट, चिंतामणिश्वर घाट एवं टंकपाणी रोड पर सामूहिक रूप से छठ पूजा के लिए तैयारी पूरी कर ली गई है। खासकर राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 5 पर मौजूद कुआखाई नदी घाट पर हजारों की संख्या में छठ व्रतियों के पूजा करने के मद्देनजर सुरक्षा के साथ-साथ लोगों की सुविधा के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है।
कुआखाई घाट पर नीचे उतरने के बाद रास्ते के दोनों तरफ पार्किंग की व्यवस्था के साथ व्रतियों के लिए चेंजिंग रूम, घाट पर समुचित प्रकाश आदि की व्यवस्था किए जाने की जानकारी भुवनेश्वर छठ पूजा कमेटी के चेयरमैन चंद्रशेखर सिंह सहित संजय झा, अनिल सिंह, शंकर यादव, गणेश वर्मा आदि ने दी है। उल्लेखनीय है कि छठ मइया को सूर्यदेव की बहन माना जाता है। एक कथा के अनुसार छठ देवी को ईश्वर की पुत्री देवसेना माना गया है। देवसेना प्रकृति की मूल प्रवृति के छठवें अंश से उत्पन्न हुई हैं, यही कारण है कि उन्हें षष्टी भी कहा जाता है। कार्तिक शुक्ल मास की षष्ठी तिथि को उनकी आराधना करने वालों को विधि विधान से पूजा करने पर संतान प्राप्ति होती है।