आदिवासी धरोहर: समाज के पुरातन चकी खेल को चमकाने में जुटी टाटा स्टील, शुरू किया प्रचार-प्रसार
आदिवासियों का पारंपरिक चकी खेल विलुप्त होने की कगार पर है ऐसे में टाटा स्टील कंपनी उनके इस खेल को मजबूत तथा सुरक्षित करने पर बल दे रही है।
भुवनेश्वर, जेएनएन। आदिवासियों की विशेष जरूरतों की पहचान कर टाटा स्टील कंपनी ने उनकी समृद्ध संस्कृति तथा धरोहर को और मजबूत करने तथा सुरक्षित रखने पर बल दे रही है। साथ ही कंपनी ने ओडिशा के आदिवासियों के समृद्ध इतिहास तथा संस्कृति एवं इसके प्रचार-प्रसार के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। कंपनी ने ओडिशा के आदिवासियों के प्राचीन चकी खेल के प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय समाज के साथ संपर्क स्थापित करते हुए विभिन्न जगहों पर प्रतियोगिता आयोजित कर रही है।
उल्लेखनीय है कि चकी खेल इस इलाके का प्राचीन खेल है। यह पारंपरिक खेल इन दिनों विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया था। एक डंडा एवं एक गोलाकार बाल को लेकर दो टीमों के बीच यह खेल खेला जाता है। इस खेल में प्रत्येक टीम में नौ सदस्य होते हैं। सुकींदा ब्लॉक के चिंगुड़ीपाल ग्राम पंचायत के आदिवासियों के इस पारंपरिक खेल को चकी खेल कहा जाता है। यह खेल केवल चिंगुड़ीपाल में ही नहीं बल्कि ओडिशा के ढेंकानाल एवं केंदुझर जिला के कुछ इलाकों में भी खेला जाता है।
चिंगुड़ीपाल ग्राम पंचायत के कुछ पुराने चकी खिलाड़ियों के विचार को लेकर टाटा स्टील ने इस आदिवासी खेल को सुकींदा एवं जाजपुर के विभिन्न स्कूलों तथा कॉलेजों में प्रचार-प्रसार करने का निर्णय लिया है। हाल ही में चिंगुड़ीपाल ग्राम पंचायत के कुमडिहवाहाली के यंग उत्कल क्लब की तरफ से चकी टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था, जिसमें टाटा स्टील ने पूरा सहयोग दिया था। इस टूर्नामेंट में ओडिशा के तीन जिला केंदुझर, ढेंकानाल एवं जाजपुर की 62 टीमों ने भाग लिया था। विजेता प्रतिभागी पुरस्कृत किए गए थे।
क्या है चकी खेल चकी खेल
आदिवासियों का प्राचीन खेल है। एक डंडा व एक गोलाकार बाल से दो टीमों के बीच यह खेल खेला जाता है। इस खेल में प्रत्येक टीम में नौ सदस्य होते हैं।