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CAG Report: ओडिशा सरकार की कई योजनाओं में हुआ भ्रष्टाचार, बीजू गां गाड़ी योजना समेत कई योजनायें विफल

ओडिशा सरकार की कई योजनाओं में भ्रष्टाचार सामने आया है। परिवहन उद्योग समवाय ओपीटीसीएल इडको एवं ब्रीज निर्माण आदि क्षेत्र में व्यापक भ्रष्टाचार होने की बात का सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है। 1 लाख भूमि बैंक बनाने में इडको विफल।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 11:30 AM (IST)
CAG Report: ओडिशा सरकार की कई योजनाओं में हुआ भ्रष्टाचार, बीजू गां गाड़ी योजना समेत कई योजनायें विफल
ओडिशा सरकार की कई योजनाओं में भ्रष्टाचार हुआ है।

 भुवनेश्वर, जागरण संवादाता। राज्य सरकार की कई योजनाओं में भ्रष्टाचार हुआ है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण बीजू गां गाड़ी योजना विफल हुई है। परिवहन, उद्योग, समवाय, ओपीटीसीएल, इडको एवं ब्रीज निर्माण आदि क्षेत्र में व्यापक भ्रष्टाचार होने की बात भारत महालेखा नियंत्रक तथा महासमीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है। 

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विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद यहां आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन के जरिए प्रधान महालेखाकार विभुदत्त बसंतिया एवं उप महालेखाकार के.सुजीथ ने इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी है। ऑडिट के समय कुछ कार्यालय के अधिकारी सहयोग नहीं किए हैं, ऐसे में सरकार की तरफ से इनके खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है। आर्थिक दृष्टिकोण से पिछड़े अनुसूचित ब्लाक के पाहाड़िया तथा दूर दराज के गांव एवं राज्य कई पिछड़े इलाके में स्थानीय वासिंदा को परिवहन सेवा मुहैया कारने के लिए राज्य सरकार ने बीजू गां गाड़ी योजना (बीजीजीवाई) बनायी थी। 

 योजना में 100 बस खरीदने के लिए राज्य सड़क परिवहन के लिए 21 करोड़ रुपये की आर्थिक व्यवस्था की गई थी। हालांकि समन्वय की कमी के कारण यात्रियों की संख्या विचार में ना लेने तथा आपरेटरों को प्रोत्साहन ना देने से योजना अपने वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पायी है। सीएजी नथीपत्र जांच से पता चला है कि बीजीजीवाई परमिट जारी नहीं किया गया था, जिससे गाड़ी चलाने में दिक्कत आयी है। इससे निर्धारित रूट में ग्रामीण संयोगीकरण व्यवस्था प्रभावी नहीं हो पायी। रास्ता शुल्क एवं परमिट शुल्क के बाबद 67.91 करोड़ रुपये को अनिमितता के तौर पर माफ किया गया था। 

राज्य सरकार ओपीटीसीएल द्वारा ओड़िशा वितरण व्यवस्था उन्नतिकरण प्रोजेक्ट के माध्यम से तूफान के समय सुदृढ़ बिजली वितरण व्यवस्था करने के 33 बटा 11 केवी के 473 उपकेन्द्र निर्माण करने के लिए लक्ष्य रखा था। योजना के कार्यकारी होने में देरी एवं गलती के कारण प्रोजेक्ट सफल नहीं हो पाया। समीक्षा से पता चला है कि उपकेन्द्र के लिए जगह मुहैया कराने में देरी, आवश्यकता से पहले ही सामग्री खरीदने एवं करार संचालन में गलती के कारण प्रोजेक्ट को अपना उद्देश्य पूरा करने में बाधा आयी। 

इस योजना में ओड़िशा शक्ति संचारण निगम ट्रांसफार्मर खरीदी को इपीसी ठेकेदार करार के अन्तर्गत शामिल किया था। परिणामस्वरूप ओपीटीसीएल ने ट्रांसफार्मर खरीदा। 946 ट्रांसफार्मर खरीदने के लिए 173.91 करोड़ रुपया खर्च हुआ। हालांकि खरीदा गया ट्रांसफार्मर अनपयुक्त होने से उच्चक्षमता सम्पन्न ट्रांसफार्मर लगाए गए। इससे 22.31 करोड़ रुपया अतिरिक्त खर्च करना पड़ा। समवाय समिति द्वारा किसानों को सरकारी तौर पर किसान कार्ड प्रदान करने के लिए पिछले साल जनवरी महीने में 17.43 करोड़ रुपये खर्च कर18.48 लाख कार्ड की छपाई की गई। कार्ड को वैद्ध समयसीमा खत्म होने से पहले किसानों में वितरित नहीं किया गया और कार्ड नष्ट हो गए। इससे 17.43 करोड़ रुपया डूब गया। बाद में भी कार्ड को पुन: सक्रिय करने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया। 

 उसी तरह से औद्योगिक संस्थानों को जल्द जमीन आवंटन करने के लिए इडको ने 1 लाख एकड़ जमीन बैंक बनाने का लक्ष्य रखा था, मगर इडको अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पायी है। औद्योगिक नियम का उल्लंघन कर दो तापज बिजली केन्द्र लानको एवं जीएमआर को 117 एकड़ सरकारी जमीन कम दर में मुहैया की गई है। बाजार की दर जहां 10 से 12 लाख रुपये थी वहीं 2 से 4 लाख रुपये की दर से जमीन प्रदान कर दी गई। गोपालपुर में इंडीग्रेटेड स्टील प्लांट निर्माण के लिए इडको 537.82 एकड़ जमीन टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी लिमिटेड (टिस्को) को दिया था। टिस्को को जिस उद्देश्य से जमीन दी गई थी उस उद्देश्य से कंपनी इस जमीन का प्रयोग नहीं कर रही है। 

 इडको जमीन वापस लाने के बदले 2014-18 में इस जमीन को वैकल्पिक रूप से प्रयोग करने को पुन: आवंटित कर दी। इससे 14.23 करोड़ रुपये की जमीन प्रीमियम एवं 1.42 करोड़ रुपये प्रशासनिक देय कम अदाय हुआ है। वहीं दूसरी तरफ डेरास में मेगा फूड पार्क के लिए इडको ने शिल्प विभाग की बिना विज्ञप्ति के 18 प्रतिष्ठान को 62.16 एकड़ जमीन आवंटित किया था। 10 शिक्षानुष्ठान को 171.34 एकड़ जमीन आवंटन की गई है। जमीन का मूल्य निर्धारण किए बगैर ही इडको ने जमीन आवंटित कर दिया है। इससे 18.29 करोड़ रुपये कम राजस्व अदा हुआ है। उसी तरह से प्राथमिक समवाय समिति के द्वारा किसानों को ऋण प्रदान किया है हालांकि पुराने कर्ज जमा नहीं होने से किसान लम्बे समय तक के लिए कर्ज के बोझ के नीचे दब गया है।


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