मृत गर्भवती के पेट से बच्ची निकाल नदी में फेंकी
अंधविश्वास के वशीभूत होकर इंसान किस हद तक जा सकता है, इसका उदाहरण केंद्रपाड़ा जिला के महाकालपड़ा इलाके में सामने आया है।
भुवनेश्वर, जेएनएन। अंधविश्वास के वशीभूत होकर इंसान किस हद तक जा सकता है, इसका उदाहरण केंद्रपाड़ा जिला अंतर्गत महाकालपड़ा इलाके में देखने को मिला है। यहां एक व्यक्ति ने अपनी मरी हुई गर्भवती पत्नी का पेट चीरकर उसके अंदर से मृत बच्ची को निकालकर नदी में बहा दिया। इससे गांव में उत्तेजना का माहौल बन गया।
घटना की खबर मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्ची के शव को नदी से निकलवा कर दोनों का अंतिम संस्कार कराया। हालांकि किसी प्रकार की शिकायत नहीं होने से मामले में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।
घटनाक्रम के अनुसार, केंद्रपाड़ा जिले के पटामुंडाई ब्लॉक अंतर्गत बड़मोहनपुर पंचायत के भुईपणा गांव के रहने वाले भास्कर मलिक उर्फ बोधी की पत्नी ममता चौथी बार गर्भवती थी। उसे प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल में भर्ती किया गया था। हालत में सुधार नहीं होने पर बोधी पत्नी को इलाज के लिए कटक ले गया जहां बुधवार को ममता की मौत हो गई। बोधी ममता के शव को गांव ले आया और अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगा।
इसी बीच गांव के कुछ लोग उसके पास आए और कहा कि परंपरा के मुताबिक बच्चे के पेट में रहते महिला का अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में शिशु को पेट बाहर निकालने की लोगों ने सलाह दी। बोधी लोगों की सलाह को मान गया और पत्नी के शव को गांव से पांच किलोमीटर दूर ले जाकर नदी के किनारे उसके पेट को चीरकर मरे हुए शिशु को बाहर निकाला और नदी में बहा दिया। यह खबर फैलते ही लोगों की वहां भीड़ जुट गई।
ममता के शव को केले के पेड़ में बांधा गया था और उसका पेट चीरा हुआ था। यह देख लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए स्थानीय पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने घटनास्थल पहुंचकर नदी से शिशु का शव बाहर निकलवाया। इसके बाद दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। बोधी के तीन बच्चे हैं। उल्लेखनीय है कि आदिवासी प्रभावित इलाकों में इस तरह की घटनाएं होती रहती है मगर केंद्रपाड़ा जिला मे इस तरह की घटना सामने आने से लोगों मे चर्चा का विषय बनी हुई है।