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किसानों को 1100 रुपये प्रति क्विंटल बेचना पड़ रहा धान : महांती

केंद्र सरकार ने धान का सर्वनिम्न सहायक मूल्य (एमएसपी) 1750 रुपये निर्धारित किया है बावजूद इसके सरकार की मिलीभगत से किसानों को 11 सौ रुपये प्रति क्विंटल धान बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 10:01 PM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 10:01 PM (IST)
किसानों को 1100 रुपये प्रति क्विंटल बेचना पड़ रहा धान : महांती
किसानों को 1100 रुपये प्रति क्विंटल बेचना पड़ रहा धान : महांती

जासं, भुवनेश्वर : केंद्र सरकार ने धान का सर्वनिम्न सहायक मूल्य (एमएसपी) 1750 रुपये निर्धारित किया है, बावजूद इसके राज्य सरकार एवं व्यापारियों की मिलीभगत के चलते किसान 1100 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से धान बेचने को मजबूर हो रहे है। भाजपा किसान मोर्चा ने यह आरोप लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। राज्य भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष शिवाजी महांती ने कहा है कि किसानों के प्रति क्विंटल धान में से पांच किलो की कटौती की जा रही है। यह किसानों का शोषण है। उन्होंने ऐसा शोषण करने वाले व्यक्ति के खिलाफ आपूर्ति विभाग क्यों कार्रवाई नहीं कर रहा है, सवाल किया।

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शिवाजी ने कहा है कि मंत्री सूर्य नारायण पात्र ने 14 नवंबर से राज्य में सभी मंडियों को खोलने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक नहीं खोली गई। इस पर हमने 26 नवंबर को बलांगीर जिलाधीश के साथ चर्चा की थी। उन्होंने आश्वासन दिया कि बहुत जल्द सभी मंडियां खोल दी जाएंगी। हमने 30 नवंबर को पुन: जब दौरा किया तो स्थिति जस की तस थी। महांती ने कहा कि सरकार केवल घोषणा कर रही है। पश्चिम ओडिशा के किसान सितंबर के पहले सप्ताह से धान कटाई कर लेते है। इसके बाद किसान धान को ज्यादा दिनों तक अपने पास नहीं रख सकते हैं। ऐसे में मंडी न खोले जाने से किसानों को अपने खर्च के लिए मजबूरी में अपना धान दलालों के हाथ 1100 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मंडी खोलने एवं एमएसपी के बारे में प्रचार-प्रसार कर किसानों को जागरूक करने को हजारों करोड़ रुपये राज्य सरकार को प्रदान कर रही है, मगर राज्य सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही। उन्होंने कहा कि हाल ही में बलांगीर जिला के पुईतला ब्लॉक महिमुंडा सोसाइटी में किसानों को सात किलों के हिसाब से प्रति क्विंटल धान छोड़ने को मजबूर किया गया। इसे लेकर समस्या सामने आने के बाद जिलाधीश ने हस्तक्षेप किया था। हालांकि कोई लाभ नहीं हुआ।


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