Odisha: पिछले 8 वर्षों में पुलिसवालों के खिलाफ दर्ज हुए 406 आपराधिक मामले, कोई भी दोषी न हो सका करार
Odisha खाकी वर्दी पहनने वाले अपराधियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ड्यूटी के दौरान खाकी वर्दी में सर्विस पिस्टल से मंत्री नब किशोर दास की गोली मारकर हत्या करने वाले पुलिस एएसआई गोपाल दास को भी सूची में शामिल किया गया है।
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। ओडिशा में खाकी वर्दी पहनने वाले अपराधियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ड्यूटी के दौरान खाकी वर्दी में सर्विस पिस्टल से मंत्री नब किशोर दास की गोली मारकर हत्या करने वाले पुलिस एएसआई गोपाल दास को भी सूची में शामिल किया गया है। पिछले आठ वर्षों में राज्य में पुलिस बाबुओं के खिलाफ 406 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें हत्या से संबंधित मामले भी शामिल हैं। हालांकि, अदालत में अब तक एक भी पुलिस अधिकारी को दोषी नहीं ठहराया गया है, ऐसे में गोपाल दास को लेकर आगे क्या होगा, इसे लेकर संशय बढ़ रहा है।
2021 में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ 59 मामले दर्ज
आंकड़ों के अनुसार, 2021 में ओडिशा पुलिस में काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ 59 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, इनमें से 17 मामलों में चार्जशीट और तीन फाइनल रिपोर्ट दी जा चुकी हैं, जबकि चार पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है। इसी तरह 2020 में 73 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 10 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई और केवल एक मामले में अंतिम रिपोर्ट दी गई। 13 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है। 2019 में 52 मामले दर्ज किए गए और चार मामलों में चार्जशीट दायर की गई, लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। 2018 में, 19 मामले दर्ज किए गए, एक आरोप पत्र दायर किया गया और चार की अंतिम रिपोर्ट दायर की गई। चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। किसी को दोषी नहीं ठहराया गया है।
2017 में, 44 मामले दर्ज किए गए, 23 में चार्जशीट दायर की गई और 18 में अंतिम रिपोर्ट दायर की गई, लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। 2016 में 64 मामले दर्ज किए गए और 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 28 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए, लेकिन किसी को दोषी नहीं ठहराया गया है। इसी तरह 2015 में 95 मामले दर्ज किए गए थे। केवल 39 मामलों में, चार्जशीट दायर हुई और 55 लोगों को गिरफ्तार किया गया। दो मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन उसमें भी दो पुलिस बाबुओं को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
सबूतों के अभाव में दोषी नहीं ठहराया जा सका
हाईकोर्ट के वकील धरणीधर नायक ने कहा कि जब पुलिस अपराध करती है तो वे अपराधी बन जाते हैं, पुलिस नहीं, इसलिए अगर ओडिशा पुलिस के खिलाफ संवेदनशील मामलों की जांच सीबीआई से कराई जाती है तो जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। पुलिस के खिलाफ खुद से जांच करते हुए गवाह सीआरपीसी की धारा 161 के तहत अपने बयान ठीक से दर्ज नहीं करा रहे हैं। पुलिस ने आरोपपत्र में बरामदगी की सूची नहीं बताई है। नायक ने कहा कि नतीजतन, पुलिस अदालत में सबूतों के अभाव में आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सका।