ओडिशा में लैंगुएज लैब्रोटरी के नाम पर अनियमितता
राज्य में लैंगुएज लैब्रोटरी (भाषा प्रयोगशाला) के नाम पर बड़ी अनियमितता होने का मामला सामने आया है।
संसू, भुवनेश्वर: राज्य में लैंगुएज लैब्रोटरी (भाषा प्रयोगशाला) के नाम पर बड़ी अनियमितता होने का मामला सामने आया है। महालेखाकार एवं नियंत्रक (सीएजी) की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के हर कॉलेज, विश्वविद्यालयों में लैंगुएज लैब्रोटरी खोलने के लिए राज्य सरकार ने निर्णय लिया था। तत्कालीन उच्चशिक्षा सचिव गगन बिहारी धल ने एक संस्था पर अनुकंपा दर्शाते हुए करोड़ों का ठेका प्रदान किया जिसके लिए सारे नियम-कायदे ताक पर रखे गए।
कैग की रिपोर्ट में छात्रों के बीच कम्युनिकेशन स्कील बढ़ाने के लिए जिस सेंटर फॉर एडवांस कम्युनिकेशन (सीएसएम) का चयन हुआ वह भी दावा अनुरूप आइआइटी, खड़गपुर की एक सहायक संस्था नहीं है, उल्लेख किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने वर्ष 2012 में लैंगुएज लैब्रोटरी के लिए 92 करोड 82 लाख रुपये का खर्च आकलन किया था । मार्च 2013 को सेंटर फॉर एडवांस कम्युनिकेशन (सीएसएम) के साथ राज्य सरकार ने लैंगुएज लैब्रोटरी स्थापना के लिए करार भी किया था। नियमानुसार 5 लाख से अधिक के कार्य के लिए टेंडर किया जाना चाहिए लेकिन सीएसएम को सीधे-सीधे लैंगुएज लैब्रोटरी स्थापना के लिए वर्ष 2017 तक 22 करोड 88 लाख का भुगतान किया जा चुका है। सीएजी ने सवाल उठाया है कि गैरसरकारी संस्था होने के कारण कैसे सीएसएम का चयन मनमाने ढ़ंग से किया गया है।
कैग रिपोर्ट के अनुसार, लैंगुएज लैब्रोटरी के अधीन हर कॉलेज में 2 कमरे प्रयोगशाला के लिए बनाए जाने थे। हर कक्ष में 24 छात्र-छात्रा के बैठने की सुविधा करनी होती है। अब तक 102 कॉलेजों में लैंगुएज लैब्रोटरी की स्थापना की गई है जिनमें से 56 सेंटर पर किसी विद्यार्थी का पंजीकरण तक नहीं हुआ है। ऑडिट टीम को जो तथ्य दिए गए हैं उसके अनुसार सीएसएम आइआइटी, खड़गपुर की एक संस्था है मगर वास्तव में यह आइआइटी, खडगपुर साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंटरप्रेन्योर पार्क के अधीन गठित एक निजी संस्था है। इसपर ऑडिट टीम ने आपत्ति दर्ज कराते हुए इसके मनोनयन पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही लैंगुएज लैब्रोटरी के अंतर्गत उपस्थिति पर भी सीएजी ने सवाल उठाए हैं। अब सीएजी के आपत्ति उठाने के बाद सरकार के जवाब पर सबकी नजर है।