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ओडिशा में पीपीई किट एवं मास्क खरीददारी में भ्रष्टाचार का आरोप, जांच की मांग

पीपीई किट एवं मास्क खरीददारी में भ्रष्टाचार का आरोप जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 03:18 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 03:18 PM (IST)
ओडिशा में पीपीई किट एवं मास्क खरीददारी में भ्रष्टाचार का आरोप, जांच की मांग
ओडिशा में पीपीई किट एवं मास्क खरीददारी में भ्रष्टाचार का आरोप, जांच की मांग

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस से मुकाबला करने के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट एवं मास्क राज्य सरकार ने खरीदा है। इसमें भ्रष्टाचार का आरोप सामने आने के बाद सोमवार को इसकी सीबीआइ या फिर न्यायिक जांच के लिए हाईकोर्ट में दो जनहित याचिका दायर की गयी है। एक याचिका वकील अक्षय पति की तरफ एवं दूसरी एक नेशनलिस्ट लायर्स फोरम की तरफ से दायर की गयी है।

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 आवेदन में उल्लेख किया गया है कि कोरोना संक्रमण दिखाई देने के बाद मास्क की कालाबाजारी शुरु हुई थी। इसे रोकने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा डबल लेयर मास्क 8 रुपये एवं ट्रिपल लेयर मास्क की कीमत 10 रुपये निर्धारित की गई थी। यह निर्देश 21 मार्च को जारी किया गया था जो कि 30 जून तक लागू है। राज्य दवा निगम ने 15 अप्रैल को ट्रिपल लेयर मास्क को 9 रुपये 90 पैसे में खरीदने के लिए एक कंपनी को आर्डर दिया था।हालांकि इसके मात्र दो दिन बाद 17 अप्रैल को तमिलनाडु की एक कंपनी को 16 रुपये के हिसाब से 30 लाख ट्रिपल लेयर मास्क खरीदने का आर्डर दिया गया।

 श्रीविष्णु डिस्पोजल प्राइवेट लिमिटेड नामक इस कंपनी की वेबसाइट में दो प्रकार के ट्रिपल लेयर मास्क की कीमत 6 रुपया एवं 10 रुपये लिखी गई है। उसी तरह से प्रत्येक पीपीई किट 900 रुपये के हिसाब से एक लाख किट के लिए तमिलनाडु की एक कंपनी एमएस लफ्टी अप्टीक्लास इंडस्ट्रीज को 16 अप्रैल को आर्डर दिया गया। 

 टेस्टिंग किट भी भिन्न-भिन्न कीमत में खरीदी गई है। कोलकाता की एक कंपनी को 21 अप्रैल को प्रत्येक टेस्टिंग किट 1321 रुपये के हिसाब से 2 लाख किट के लिए आर्डर दिया गया है। उसी तरह से 7 मई को आरएमआरसी की तरफ से 1125 रुपये में 45 हजार किट, 11 मई को भुवनेश्वर की एक कंपनी को 980 रुपये के हिसाब से 4920 किट के लिए आर्डर दिया गया है। पीसीआर मशीन की कीमत बाजार में 4 से 5 लाख रुपये है जबकि राज्‍य  सरकार ने इसे 12 लाख 94 हजार रुपये में खरीदने की बात कही जा रही है। ऐसे में सामग्री खरीद में योजनाबद्ध तरीके से भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए मामले की सीबीआइ या फिर न्यायिक जांच कराने के लिए निर्देश देने हेतु अदालत से प्रार्थना की गयी है।

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