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चेतावनी के चंद घंटे में ही मान ली गई चार मांगें

राज्य पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डॉ. राजेंद्र प्रसाद शर्मा से चार मांगें पूरी करने का आश्वासन मिलने के बाद हवलदारए कांस्टेबल एवं सिपाही महासंघ ने अपना आदंोलन समाप्त कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 04:54 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 04:54 PM (IST)
चेतावनी के चंद घंटे में ही मान ली गई चार मांगें
चेतावनी के चंद घंटे में ही मान ली गई चार मांगें

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : राज्य

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पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डॉ. राजेंद्र प्रसाद शर्मा के साथ हुई वार्ता के बाद हवलदार, कांस्टेबल एवं सिपाही महासंघ ने आंदोलन नहीं करने का निर्णय लिया है। ओडिशा पुलिस समन्वय समिति ने 6 सूत्री मांग को लेकर गुरुवार से काला बैच पहनकर आंदोलन शुरू करते हुए शुक्रवार से सामूहिक अवकाश पर जाने का ऐलान किया था। यह मामला संज्ञान में आते ही डीजीपी डॉ. राजेंद्र प्रसाद शर्मा ने भुवनेश्वर स्थित पुलिस महानिदेशक कैंप कार्यालय में पुलिस समन्वय समिति के सदस्यों के साथ वार्ता की तथा छह में से चार मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया। डीजीपी से आश्वासन मिलने के बाद महासंघ ने अपना आंदोलन वापस ले लिया।

उल्लेखनीय है कि विभिन्न छुट्टी के दिन में एवं अपनी जान को खतरे में डालकर काम करने वाले पुलिस कर्मचारियों को भत्ता के रूप में साल में एक महीने का अतिरिक्त वेतन, एएसआइ, एसआइ एवं इंस्पेक्टर को छठवां तथा सातवां वेतन लागू करना, कैशलेस हेल्थ कार्ड के जरिए कम से कम 5 लाख रुपये की सहायता, आरसीएम के बदले 1200 मेडिकल भत्ता, मोटर साइकिल भत्ता 750 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये करने, ठेका कर्मचारियों को सभी प्रकार भत्ता में शामिल करने, डीएसपी पद के लिए सीधी नियुक्ति आदि 6 सूत्री मांग को लेकर महासंघ की ओर से आंदोलन का आह्वान किया गया था। इन 6 मांगों में से 4 मांग को लेकर हवलदार, कांस्टेबल एवं सिपाही महासंघ के साथ ओपीए एवं ओपीएस संघ ने हाथ मिलाया था। इसी के तहत गुरुवार से पुलिस कर्मचारी काला बैच पहनकर काम शुरू किया था। महासंघ ने साफ किया था कि शाम तक यदि मांग पूरी नहीं होती है तो फिर शाम से वे अपनी वर्दी तथा गाड़ी की चाबी को वापस करने के साथ शुक्रवार सुबह से सभी 72हजार कर्मचारी सामूहिक छुटटी पर जाने की चेतावनी दी थी। इसी चेतावनी को लेकर डीजीपी ने हवलदार, कांस्टेबल एवं सिपाही महासंघ के सदस्यों के साथ चर्चा कर उन्हें उनकी मांग पूरा होने का आश्वासन दिया जिसके बाद महासंघ ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया।


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