एक ऐसा गांव जहां 90% युवक हैं सेना में, देश के लिए मर मिटना ही इनकी चाहत
ओडिशा में एक ऐसा गांव जहां 90% युवक सेना में हैं बचपन से ही इनकी मंशा रहती है कि हम सेना में शामिल होंगे।
बालेश्वर, लावा पांडे। सैनिक बनकर देश सेवा करना सब के नसीब में नहीं होता, चाहत होने के बावजूद भी लोग सेना में शामिल नहीं हो पाते, कारण चाहे शारीरिक उच्चता हो या फिर अन्य शारीरिक कारणों से लोग चाहकर भी सेना का अंग नहीं बन पाते। ओडिशा राज्य में एक ऐसा गांव है जहां के 90% युवक सेना में शामिल होकर आज देश को अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं। सुनने में यह आश्चर्य अवश्य लग रहा है लेकिन यह शत प्रतिशत सत्य है।
सुबह उठते ही युवक करने लगते हैं कसरत
भद्रक जिले के चांदबाली ब्लाक के अंतर्गत गोपालपुर नामक यह वही भाग्यशाली गांव है, जहां के 50 घर वाले इस गांव के 50 से ज्यादा लोग सेना के अंग बन चुके हैं। यहां के युवक सुबह उठते ही कसरत इत्यादि करते हैं। बचपन से ही इनकी मंशा रहती है कि हम सेना में शामिल होंगे और देश के लिए मर मिटने के लिए तैयार रहेंगे। सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना सरहद की रक्षा करना इनका मुख्य लक्ष्य और उद्देश्य रहता है।
उच्च कोटि का है रहन-सहन
इसी के चलते आज इस गांव में रहने वाले इतने भारी तादाद में लोग सेना में शामिल हो चुके हैं। सेना में शामिल होने के कारण एक ओर जहां वे देश को सेवा प्रदान कर रहे हैं वही इन लोगों की आर्थिक परिस्थिति भी अच्छी है, उनका रहन-सहन खान-पान उच्च कोटि का है। यहां के लोग बुजुर्ग व सभी सेना में होने के कारण अपने आप में गर्व महसूस करते हैं। सेना को श्रेष्ठ सेवा मानते हैं।
देश सेवा से बढ़कर और कोई सेवा नहीं
यह लोग चाहते हैं कि इनके गांव एक न एक दिन देश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा। यहां के कई लोग सेना से रिटायर हो चुके हैं फिर भी गर्व महसूस करते हैं। वे चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी भी सेना में शामिल हो और देश की सेवा करें। इनके बुजुर्गों का मानना है कि देश सेवा से बढ़कर और कोई सेवा नहीं होती देश के लिए मर मिटने एवं देश के लिए सब कुछ करना ही इनका मूल मंत्र है।