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ओड़िशा के मानचित्र से गायब होता एक गांव, 90 प्रतिशत लोगों को किया स्थानांतरित

अतिरिक्त जिलाधीश बसंत कुमार राउत ने कहा ग्राम पंचायत के 571 परिवार प्रभावित हुए हैं 90 प्रतिशत परिवार को पीएमवाई एवं बीजू पक्का घर योजना के तहत स्थानांतरित किया जा चुका है। केन्द्रापड़ा में मौजूद सातभाया ग्राम पंचायत क्षेत्र का यह इलाका समुद्र तट पर बसा हुआ है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 08:19 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 08:19 AM (IST)
ओड़िशा के मानचित्र से गायब होता एक गांव, 90 प्रतिशत लोगों को किया स्थानांतरित
सातभाया इलाके में मौजूद एक गांव का अस्तित्व मानचित्र से लगभग गायब होने के कगार पर

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। ओड़िशा के केन्द्रापड़ा जिले के सातभाया इलाके में मौजूद एक गांव का अस्तित्व अब राज्य के मानचित्र से लगभग गायब होने के कगार पर पहुंच गया है। गांव में बसे 90 प्रतिशत लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना एवं बीजू पक्का घर योजना के तहत स्थानीय इलाके में पुनर्वास कर दिया गया है जबकि बाकी बचे 10 प्रतिशत लोग भी जल्द प्रधानमंत्री आवास एवं बीजू पक्का घर योजना द्वारा निर्मित आवास में चले जाएंगें। 

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  केन्द्रापड़ा जिले में मौजूद सातभाया ग्राम पंचायत क्षेत्र का यह इलाका समुद्र तट पर बसा हुआ है। सन् 1960 से समुद्र की लहरों से इलाके में तटों का क्षरण हो रहा है और धीरे-धीरे यह गांव अब ओड़िशा के मानचित्र से गायब होने की कगार पर पहुंच गया है। लोगों के जानमाल की हानि ना हो इसके लिए सतर्क जिला प्रशासन ने इलाके से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बसाने की प्रक्रिया शुरू की और अब यह प्रक्रिया अंतिम पर्याय में पहुंच गई है। 

जानकारी के मुताबिक केंद्रपाड़ा जिले के सातभाया ग्राम पंचायत इलाके में लोगों का जीना दूभर हो गया है। समुद्री लहरें इस इलाके में रहने वाले लोगों के लिए लगातार दिक्कत पेश कर रही है। आज के दिन यह हालत है कि इलाके में एक भी घर नहीं बचा है। कभी यहां के लोगों के लिए आस्था का केंद्र रहा मंदिर इन दिनों सुनसान पड़ा हुआ है‌। इलाके में जिधर भी नजर दौड़ाओ केवल रेत ही रेत नजर आती है। स्थानीय प्रशासन ने यहां के लोगों के लिए पुनर्वास योजना चलाई है जिसके अंतर्गत हर परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना तथा बीजू पक्का घर योजना के तहत 10 डिसमिल आवासीय जमीन में आवास बनाकर दिया जा रहा है। 

इन लोगों को 10 डिसमिल जमीन और प्रधानमंत्री आवास योजना तथा बीजू पक्का घर योजना के अंतर्गत मकान बनाने के लिए डेढ़ लाख रुपए का अनुदान दिया गया है। बाकी बचे लाभार्थियों को उनके कागजात का काम पूरा होने पर योजना का लाभ पहुंचाया जाएगा। इलाके के पुराने निवासी 40 वर्षीय प्रफुल्ल स्वाई आज भी यहां आते जाते रहते हैं जिनका कहना है कि हम आज भी यहां आते हैं क्योंकि हमारे पशुओं की देखभाल जो करने की आवश्यकता है। क्योंकि यह हमारा पुराना गांव है।वैसे यहां चारों ओर केवल बालू के ढेर ही नजर आ रहे हैं और मानवीय जीवन का दूर दूर तक कोई निशान नजर नहीं आता। एक पुराना मंदिर और बालू में खड़ा परित्यक्त हैंडपंप इस बात का गवाह है कि यहां कभी बस्ती हुआ करती थी।

इस संबंध में केन्द्रापड़ा जिले के अतिरिक्त जिलाधीश बसंत कुमार राउत ने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि समुद्री ज्वार धीरे-धीरे रिहायशी क्षेत्र की तरफ बढ़ने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। गांव के लोगों पर जानमाल के खतरे को देखते हुए उन्हें सुरक्षित स्थान पर बसाया जा रहा है। पिछले 7-8 सालों से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। पूरा इलाका बालू की रेत से भर चुका है। 

 सातभाया ग्राम पंचायत के 571 परिवार के 3243 लोगों किया गया है स्थानांतरित: रेवन्यु अधिकारी सुकांत दा रेवन्यु अधिकारी बीसी. सुकांत दा दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि समुद्री क्षरण से 12 किलोमीटर क्षेत्र में सातभाया भिलेज पंचायत के अन्तर्गत आने वाले पांच गांव कान्हपुर, सातभाया, बरहीपुर, रवीन्द्र पल्ली, मगरगंडा प्रभावित हुआ है। इन गांवों से 571 परिवार के 3243 लोगों को स्थानांतरित किया गया है। प्रत्येक परिवार को 10 डेसीमिल लैंड दिया गया है और बीजू पक्का घर योजना के तहत उनके घर निर्माण किए गए हैं। 

 क्या है समुद्री क्षरण

समुद्र में उठने वाली ऊंची ऊंची लहरें किनारे की तरफ बढ़ती हैं और जहां तक लहरें जाती हैं वहां रेत भर जाती है। धीरे-धीरे यह लहरें किनारों की तरफ बढ़ती गई और लगभग 12 किमी. में इलाके को अपनी जद में लिया। कभी जनबस्ती रहने वाला इलाका आज पूरी तरह से रेत में तब्दील हो गया है।


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