Move to Jagran APP

सामूहिक दुष्कर्म के मुख्य आरोपित को 22 साल से तलाश रही थी CBI, ओडिशा पुलिस ने मुंबई से किया गिरफ्तार

अंजना मिश्र सामूहिक दुष्कर्म मामला बहुचर्चित अंजना मिश्र सामूहिक दुष्कर्म मामले का मुख्य अभियुक्त बिवन विश्वाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। 22साल से सीबीआइ इसकी तलाश कर रही थी लेकिन ओडिशा पुलिस ने इसे मुंबई से धर दबोचा।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 02:18 PM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 02:18 PM (IST)
सामूहिक दुष्कर्म के मुख्य आरोपित को 22 साल से तलाश रही थी CBI, ओडिशा पुलिस ने मुंबई से किया गिरफ्तार
22 साल से सीबीआइ कर रही थी तलाश, मुम्बई से ओडिशा पुलिस ने दबोचा

भुवनेश्वर/ कटक,  जागरण संवाददाता। बहुचर्चित अंजना मिश्र सामूहिक दुष्कर्म मामले का मुख्य अभियुक्त बिवन विश्वाल आखिरकार पुलिस के हत्थे लग ही गया। सीबीआइ की टीम जिस अभियुक्त की तलाश नहीं कर पायी उसे 22 साल बाद कमिश्नरेट पुलिस ने महाराष्ट्र मुंबई से गिरफ्तार किया है। बिवन विश्वाल के गिरफ्तारी की जानकारी खुद पुलिस कमिश्नर सुधांशु षंडगी ने आज एक पत्रकार सम्मेलन के जरिए दी है। पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि पहले ही इस मामले दो अभियुक्त प्रदीप साहू एवं धीरेन्द्र महांति गिरफ्तार हो चुके हैं। इन्हें 26 जनवरी 1999 को क्राइमब्रांच की टीम ने गिरफ्तार किया था। मामले की गम्भीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआइ को दी थी।

loksabha election banner

 क्‍या है मामला

 9 जनवरी 1999 में एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म होने का मामला दर्ज हुआ था। भुवनेश्वर-बारंग रास्ते पर कार के अन्दर महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इसे लेकर राज्य में जबरदस्‍त हंगामा उस समय हुआ। इस घटना को लेकर लोगों के आक्रोश का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री जानकी बल्लभ पटनायक को अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ा था। घटना के बाद बिवन विश्वाल अपना नाम बदलकर मुंबई चला गया और महाराष्ट्र के आम्बीभैली लोनावाला इलाके में जलंधर स्वांई के नाम से रहने लगा और वहां पर पाइप मिस्त्री के तौर पर काम करने लगा। परिचयपत्र, आधार कार्ड, पासबुक सब कुछ जालंधर के नाम से ही बनवा लिया था। 

पुलिस कमिश्नर सुधांशु षडंगी ने कहा

पत्रकार सम्मेलन में इस संदर्भ में जानकारी देते हुए पुलिस कमिश्नर सुधांशु षडंगी ने कहा है कि 1999 जनवरी 9 तारीख को बारंग थाना क्षेत्र के बेलगछिया महला एवं भालुका जंगल में कार के अन्दर अभियुक्तों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। 3 से 4 घंटे तक अमानवीय ढंग से इन दुष्कर्मियों ने जघन्य कांड किया। सामूहिक दुष्कर्म के बाद से बिवन व उसके अन्य दो साथी प्रदीप साहू एवं धीरेन्द्र महांति फरार हो ग्ए। क्राइम ब्रांच की टीम 26 जनवरी 1999 को प्रदीप साहू एवं धीरेन्द्र महांति को गिरफ्तार किया था जबकि बिबन फरार था। इस घटना की जांच बाद में हाईकोर्ट के निर्देश अनुसार सीबीआइ को सौपी गई। सीबीआइ ने घटना की जांच शुरू की। 

 साइलेंट वाइपर 

5 मई 1999 को निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। बिबन का कुछ भी पता नहीं चल पाया था। ऐसे में प्रदीप साहू एवं धीरेन्द्र महांति को निचली अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी बाद में इन दोनों की सजा को कायम रखा था। इस बीच प्रदीप साहू की मौत हो चुकी है जबकि धीरेन्द्र उम्र कैद की सजा काट रहा है। बिबन 2007 से महाराष्ट्र चला गया था। लेकिन वहां पर अपना परिचय पूरी तरह से बदलने के बावजूद अपने परिवार वालों के संपर्क में था। चालाकी  से वह परिवार वालों को रुपये से लेकर अन्य तमाम मदद करते आ रहा था। यहां तक कि परिवार वालों को अपनी मौत का प्रमाणपत्र लाने के लिए उकसा रहा था। कमिश्नरेट पुलिस पिछले तीन महीने से साइलेंट वाइपर के नाम से एक अभियान चलाते हुए बिबन के बारे में कुछ सुराग जुटाया और इसी के चलते जांच को आगे बढ़ाने के लिए कटक डीसीपी प्रतीक सिंह की अगुवाई में स्पेशल अधिकारी अजय दास, बारंग थाना अधिकारी तथा बादामबाडी थाना अधिकारी की मदद से बिबन के बारे में पुख्ता जानकारी ली गई। 

 इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस की मदद से ओडिशा पुलिस वहां पहुंचकर उसकी पहचान को पक्का करने के बाद उसे दबोच लिया। पुलिस कमिश्नर के मुताबिक उसे फिर से कोर्ट में पेश किया जाएगा। निश्चित तौर पर कोर्ट इसे भी उम्र कैद की सजा देगी। पुलिस कमिश्रनर ने कहा कि सीबीआइ जो नहीं कर सकी उसे उसे ओडिशा पुलिस ने करके दिखा दिया। विवन की गिरफ्तारी के संदर्भ में हमने सीबीआई को जानकारी दे दी है। विवन को गिरफ्तार करना ओडिशा पुलिस की बहुत बड़ी सफलता होने की बात कमिश्नर ने कही है।

 मीडिया ने दी प्रतिक्रिया

दूसरी ओर अंजना मिश्र ने इस संदर्भ में मीडिया को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि निश्चित रूप से ओडिशा पुलिस की एक बहुत बड़ी सफलता है। मैं पुलिस कमिश्नर एवं उनकी टीम को बहुत बधाई देती हूं। 22 साल से मैं घुट-घुट कर जी रही थी। इस घटना के बाद से मेरी जिंदगी दुश्‍वार हो गई। मुझे जीने के लिए संघर्ष करना पड़ा और उस समय घटना के पश्चात मुझे कहीं पर रहने भी नहीं दिया जा रहा था। मेरे घर पर पथराव किया जाता था। ऐसी हालत में मैं अपनी मां के साथ रहने लगी। मैं दूसरे तमाम पीड़िताओं से यही कहना चाहूंगी कि इस तरह के आरोपियों को खिलाफ खुद को मजबूत कर खड़ा होकर इंसाफ की मांग करनी चाहिए। इसे उम्रकैद या फिर फांसी की सजा मिलनी चाहिए। फांसी मिलने से मुझे ज्यादा खुशी होगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.