Move to Jagran APP

सतत शिक्षा हर पेशे में महत्वपूर्ण है, आई.आई.एल. सतत शिक्षा की संस्कृति को बढ़ावा देगा: जस्टिस उदय उमेश ललित

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ (आई.आई.एल.) की नींव पट्टिका का अनावरण भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश उदय उमेश ललित न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई और न्यायाधीश वी.रामासुब्रमण्यम के द्वारा के.आई.आई.टी. विश्वविद्यालय भुवनेश्वर में किया गया। यह संस्थान देश के युवा लॉ स्कूल शिक्षकों को सुविधा प्रदान करेगा।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 03:09 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 03:09 PM (IST)
सतत शिक्षा हर पेशे में महत्वपूर्ण है, आई.आई.एल. सतत शिक्षा की संस्कृति को बढ़ावा देगा: जस्टिस उदय उमेश ललित
सतत शिक्षा हर पेशे में महत्वपूर्ण है, आई.आई.एल. सतत शिक्षा की संस्कृति को बढ़ावा देगा।

जासं, भुवनेश्वर। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ (आई.आई.एल.) की नींव पट्टिका का अनावरण भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई और न्यायाधीश वी.रामासुब्रमण्यम के द्वारा के.आई.आई.टी. विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर में किया गया।

loksabha election banner

इस समारोह में सीनियर एडवोकेट और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बी.सी.आई.) तथा बार काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट ( बी.सी.आई.टी.) के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा, ओडिशा के एडवोकेट जनरल अशोक परीजा, सीनियर एडवोकेट एवं बी.सी.आई.टी. के चेयरमैन देबी प्रसाद धल, बी.सी.आई.टी. के एसोसिएट मैनेजिंग ट्रस्टी एवं के.आई.आई.टी. व के.आई.एस.एस.के फाउंडर प्रो. अच्युत सामंत सहित कई कानूनी दिग्गजों ने मेजबानी करते हुए भाग लिया एवं सभा को सम्बोधित किया।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट (बी.सी.आई.टी.) के समर्थन एवं के.आई.आई.टी. विश्वविद्यालय के सहयोग से इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ लॉ (आई.आई.एल.) की स्थापना की जा रही है, जो कानून के शिक्षकों के लिए कौशल विकास और वकीलों के अभ्यास करने के साथ-साथ, निरंतर शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने एवं कानूनी शिक्षकों की अकादमी के लिए एक मॉडल संस्थान होगा। यह संस्थान, देश के युवा लॉ स्कूल शिक्षकों को सुविधा प्रदान करेगा और उनकी विशेषज्ञता, पेशेवर कौशल और कुशाग्रता को बढ़ाने में सहायक होगा।

फाउंडेशन समारोह में बोलते हुए जस्टिस उदय उमेश ललित ने आई.आई.एल. की स्थापना का स्वागत किया और इस कदम के लिए बी.सी.आई.टी. और के.आई.आई.टी. डीम्ड विश्वविद्यालय की सराहना की। जीवन में परिवर्तन एकमात्र स्थिर है। सतत शिक्षा हर पेशे में महत्वपूर्ण है जो हर किसी के जीवन का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि शायद, यह एक पहला कदम है, जो संस्कृति को फिर से आत्मसात करेगा, जब हमारे पास इस तरह के अधिक से अधिक संस्थान होंगे और इस शिक्षा को जारी रखने के लिए अधिक से अधिक हर किसी के दिमाग में जड़ें जमाते रहने का विचार करेंगे।

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने इस महत्वपूर्ण कदम के लिए बी.सी.आई. और के.आई.आई.टी. को बधाई दी। उन्होंने कहा कि बी.सी.आई. द्वारा वर्ष 1988 में स्थापित बेंगलुरु में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने कानूनी शिक्षा और वकीलों की गुणवत्ता में एक विशाल परिवर्तन लाया। इसी तरह आई.आई.एल. की स्थापना भी बार काउंसिल ऑफ इंडिया के इतिहास में एक मील का पत्थर है। न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम ने कहा कि वर्तमान में देश में 1000 से अधिक लॉ कॉलेज हैं, जो हर वर्ष लगभग 2.5 लाख लॉ ग्रेजुएट पैदा करते हैं।

उन्होंने कहा कि आई.आई.एल. शिक्षाविदों और पेशेवरों के बीच अन्तर स्पष्ट करने पर विचार-विमर्श करेगी। मनन कुमार मिश्रा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि वर्तमान में कानून के शिक्षकों और अधिवक्ताओं के कौशल विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए देश में कानून का कोई प्रशिक्षण संस्थान नहीं है। उन्होंने प्रो. अच्युत सामंत की पहल के प्रति उनके उदार समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त किया। 

प्रो. अच्युत सामंत ने कहा कि भुवनेश्वर में आई.आई.एल. जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान की स्थापना, ओडिशा राज्य के लिए एक गौरव की बात है। बी.सी.आई. का के.आई.आई.टी. डीम्ड विश्वविद्यालय के साथ भागीदारी के लिए धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि यद्यपि के.आई.आई.टी. एक युवा विश्वविद्यालय है, परन्तु इसे भारत सरकार द्वारा इंस्टीच्यूशन ऑफ एमिनेंस टैग से नवाजा गया है। के.आई.आई.टी., टाइम्स हायर एजुकेशन (टी.एच.ई.) द्वारा ‘वर्कप्लेस ऑफ द ईयर’ श्रेणी में ‘अवार्ड्स एशिया 2020’ का विजेता है। शिक्षाविदों और शोध के अलावा, इसने खेल और सामाजिक आउटरीच के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

अशोक परीजा ने कहा कि पिछले तीन दशकों में कानूनी शिक्षा में बहुत बदलाव आया है। आज, इंजीनियरिंग, चिकित्सा और प्रबंधन के साथ-साथ कानून भी आकांक्षी युवाओं के लिए अध्ययन का एक पसंदीदा क्षेत्र बन गया है। आई.आई.एल. देश में कानून संकाय की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए एक लम्बा रास्ता तय करेगा। सीनियर एडवोकेट और सदस्य, विशेष समिति, ओडिशा स्टेट बार काउंसिल मानस रंजन महापात्रा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.