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Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: घर से 3 किमी. दूर स्कूल होने के बावजूद हॉस्टल में रह कर ली थी स्कूली शिक्षा

Subhash Chandra Bose Jayanti 2021देश के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती (125th Birth Anniversary ) के लिए उनके जन्म स्थान संग्रहालय को खास तरीके से सजाया गया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस 23 जनवरी 1897 को कटक में पैदा हुए थे।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 10:24 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 10:24 AM (IST)
Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: घर से 3 किमी. दूर स्कूल होने के बावजूद हॉस्टल में रह कर ली थी स्कूली शिक्षा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती आगामी 23 जनवरी को देश भर में बड़े उत्साह के साथ मनायी जाएगी।

 भुवनेश्वर/कटक, शेषनाथ राय/अक्षय प्रधान। देश के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती आगामी 23 जनवरी को उनके जन्म स्थान कटक ओडिआ बाजार में मौजूद नेताजी संग्रहालय के साथ पूरे प्रदेश एवं पूरे देश भर में बड़े उत्साह के साथ मनायी जाएगी। जिसके लिए इन दिनों व्यापक तैयारियां की जा रही है। 

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 23 जनवरी 1897 को कटक में पैदा हुए थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी वर्ष 1897 को कटक में था। पिता जानकीनाथ बोस और माता प्रभावती बोस के बेटे सुभाष वर्ष 1902 में अपने स्कूल की पढ़ाई अंग्रेजी मीडियम स्कूल से शुरू की। जो कि उस समय प्रोटेस्टैंट यूरोपियन स्कूल के तौर पर जाना जाता था और बाद में यह स्कूल स्टुअर्ट स्कूल के तौर पर नामित किया गया। यह स्कूल आज भी कटक के मिशन रोड में मौजूद है। इसके बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस हाईस्कूल की पढ़ाई कटक के और एक स्कूल (जो कि उस समय क्रिस्चियन मिशनरी विलियम बैंपटन द्वारा चलाया जा रहा था और बाद में यह स्कूल रावेंशा कॉलेजिएट स्कूल के तौर पर जाने जाने लगा) में हुई। यह स्कूल कटक के जिलाधीश कार्यालय के पास मौजूद है। घर से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर यह स्कूल होने के बावजूद नेता जी के पिता जानकीनाथ बोस ने उन्हें स्कूल के हॉस्टल में रखा था। ताकि वह स्कूल के शिक्षक से अच्छी तरह से जुड़ सकें और एक आम जिंदगी जीने की प्रेरणा लेते हुए ऊंची सोच रख सकें। इसके बाद नेताजी राज्य के बाहर अपनी पढ़ाई जारी रखें । 

 दूसरों से अलग रखते थे सोच विचार 

शिक्षा के दौरान ही देश को अंग्रेजों से स्वतंत्र करने के लिए देश के कई तत्कालीन दिग्गज स्वतंत्रता सेनानियों के जिंदगी से प्रेरित होकर देश की आजादी की मुहिम में खुद को शामिल किए थे। नेताजी देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए दूसरों से अलग सोच विचार रखते थे और वह अपने ही बलबूते पर देश के युवाओं को शामिल करते हुए आजाद हिंद फौज का गठन भी किया था। 9 भाई बहनों में से नेताजी सुभाष चंद्र बोस मां-बाप की छठी संतान थे। बचपन से ही नेता जी पढ़ाई में काफी होशियार थे और देशभक्ति से काफी प्रेरित हुए थे। देश को स्वतंत्र कराने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा। 

 125वीं जन्म जयंती की व्‍यापक तैयारी 

आगामी 23 जनवरी को उनका जन्म जयंती होने हेतु केंद्र सरकार की ओर से उनके 125वीं जन्म जयंती को व्यापक तौर पर मनाने के लिए योजना तैयार की गई है। देश के विभिन्न जगहों पर नेताजी जयंती मनाया जाएगी और उनके जन्म स्थान कटक के ओडिआ बाजार में  तो भव्य कार्यक्रम चलेगा। इसमें केंद्र मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के शामिल होने का कार्यक्रम है। ठीक उसी तरह 23 जनवरी की सुबह मुख्यमंत्री नवीन पटनायक नेताजी जन्म स्थान संग्रहालय में पहुंचकर उनके प्रति मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पण करने का कार्यक्रम है।उसी दिन ओडिशा और महाराष्ट्र के युवा कलाकारों द्वारा एक विशेष रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम संग्रहालय परिसर में पेश किया जाएगा।  नेताजी के जिंदगी के ऊपर आधारित यह कार्यक्रम निश्चित तौर पर मौजूद दर्शकों को काफी हद तक प्रेरित करेगा यह बात राज्य संस्कृति विभाग के सचिव रंजन दास ने गुरुवार को संग्रहालय परिसर का दौरा करते समय कही है। हर साल की भांति इस साल भी नेताजी जन्म स्थान संग्रहालय में 6 नई फोटो यहां की गैलरी में देखने को मिलेगी। 

 कटक के शेखबाजार आयी थी नेताजी की बेटी

12 जनवरी 1961 को नेताजी की बेटी अनिता बोस कटक के शेखबाजार में रहने वाले डी.एन सुर के परिवार वालों से मिलने आयी थी। उसी समय का यादगार फोटो को नेताजी जयंती से पहले गुरुवार को डी.एन सुर के परिवार वाले गोपाल चंद्र सुर और विश्वजीत सुर नेताजी संग्रहालय के इंचार्ज ज्योति प्रकाश दास को सौंपी। एक संबलपुरी साड़ी पहनकर अनिता बोस वहां पहुंची थी और रात्रि भोजन कर वहां से लौटी थी। उसी दौरान कई गणमान्य व्यक्ति भी उन्हें वहां पर अनीता बोस से भेंट भी किए थे।

  गोपाल चंद्र सुर के मुताबिक, अनिता बोस के दौरे के समय उनकी उम्र महज 10 से 12 साल  थी। नेताजी की बेटी उनके घर आने की बात जानकार वह काफी भी गर्व महसूस किए थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पिता जानकीनाथ बोस उस जमाने के एक जाने-माने वकील थे और डी.एन सुर उस समय के जाने-माने ठेकेदार होने हेतु नेताजी के पिता उनके तमाम मामलों का संचालन करते थे। उसी के चलते इन दोनों परिवारों के बीच काफी अच्छे संबंध थे और उसी संबंध के चलते नेताजी की बेटी अनिता बोस उनके घर आयी थी। नेताजी की जन्म जयंती के लिए संग्रहालय परिसर में तमाम तैयारियां खत्म हो चुकी है।

 खास तरह से सजाया गया संग्रहालय परिसर

 संग्रहालय के इंचार्ज ज्योति प्रकाश दास के मुताबिक, हर साल की भांति इस साल भी यहां की इमारत को रंगा गया  है। संग्रहालय में मौजूद विभिन्न गैलरी के सामानों को केमिकल से सफाई की गई है। संग्रहालय परिसर में मौजूद नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बगीचे को भी बहुत ही सुंदर तरीके से तैयार किया गया है। नेताजी बगीचे को खूब पसंद करते थे जिसके चलते यहां पर तरह-तरह के फूल लगा कर व फाउंटेन स्थापना कर इसे तैयार की गई है। झिलमिलाती रोशनी में उनके जन्म स्थान संग्रहालय को तैयार किया गया है। इस संग्रहालय में नेताजी के जन्म से लेकर स्वतंत्रता के लिए उनकी योगदान की तमाम संघर्ष के कई यादगार चीजें मौजूद है, जो निश्चिततौर पर किसी भी इंसान को प्रेरणा देगी। 

 खासतौर पर युवा इस संग्रहालय को घूमने के बाद निश्चित तौर पर नेताजी की जिंदगी से प्रेरित होंगे। उनके जन्म जयंती से पहले 20 जनवरी से ही ओडिशा ललित कला अकादमी की ओर से 3 दिनों वाली चित्रकला कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसमें राज्य के कई जाने-माने चित्रकार शामिल होकर उनके जिंदगी के ऊपर कई चित्र तैयार करने में लगे हुए हैं। ओडिशा ललित कला अकादमी के अध्यक्ष व रेत काला के जानेमाने कलाकार सुदर्शन पटनायक, सचिव गजेंद्र नाथ साहू प्रमुख की मौजूदगी में यह कार्यक्रम का शुभारंभ की गई थी। 

 अकादमी के सचिव गजेंद्र जी के मुताबिक, चित्रकला के माध्यम से नेताजी की जिंदगी से प्रेरित होने के लिए हर साल नेताजी के जन्म जयंती के मौके पर यानी 23 जनवरी को संग्रहालय परिसर में अकादमी की ओर से आयोजन की जा रही है चित्रकला प्रदर्शनी। इस साल भी जितनी चित्र विभिन्न कलाकारों के द्वारा तैयार किया गया है। वह सभी चित्र निश्चित तौर पर आने वाले दर्शकों को नेताजी की जिंदगी से रूबरू कराएगा और उनके व्यक्तित्व से प्रेरित भी करेगा।


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