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Baleshwar Sadar by-election 2020: उम्र के आगे हारी राजनीति, 90 वर्ष के बेनुधर आजमा रहे हैं किस्मत

बालेश्वर सदर उपचुनाव में 90 वर्ष के बेनुधर अपनी किस्‍मत आजमा रहे हैं बेनुधर ने अपनी पूरी उम्र लोगों के बाल और दाढ़ी काटते हुए नाई के तौर पर बितायी है उनकी आर्थिक तंगी चुनाव प्रचार में बाधक बनी हुई है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 10:54 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 10:54 AM (IST)
Baleshwar Sadar by-election 2020: उम्र के आगे हारी राजनीति, 90 वर्ष के बेनुधर आजमा रहे हैं किस्मत
बालेश्वर सदर उपचुनाव में 90 वर्षीय बेनुधर अपनी किस्‍मत आजामा रहे हैं

बालेश्वर, लावा पांडे। उम्र के आगे मानो चुनाव भी बौना नजर आने लगता है। आज यह नजारा बालेश्वर सदर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में साफ देखा जा सकता है। उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुंच चुके 90 वर्षीय बेनुधर शरीर से आधा नीचे की ओर झुक चुके हैं किंतु फिर भी इनका कहना है कि दूरदृष्टि कड़ी मेहनत और पक्का इरादा किसी भी व्यक्ति को अपनी मंजिल और लक्ष्य तक अवश्य पहुंचाता है। इसी के चलते आज मैं अपना भाग्य आजमा रहा हूं।

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  आम लोगों के हितों के लिए बनना चाहते हैं विधायक 

बेनुधर मैं पैसे की लालच या अन्य आराम के लिए नहीं बल्कि बस्ती में रहने वाले आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए आम लोगों के मुख्यत: बस्ती वासियों के हितों के लिए विधानसभा में उनकी आवाज को उठाने के लिए ही विधायक बनना चाहते हैं। बेनुधर ने पूरी उम्र बतौर नाई के तौर पर बिताया है। लोगों का बाल काटना और दाढ़ी बनाना इनका काम है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बेणुधार के पास एक साइकिल के सिवा और कुछ नहीं है। वह भी टूटी-फूटी हालत में। वे आम लोगों के बीच या तो पैदल या फिर अपनी टूटी-फूटी साइकिल पर सवार होकर सुबह सुबह निकल पड़ते हैं और अपने चुनाव चिन्ह चाय की केटली के पक्ष में वोट मांगते हैं। उम्र 90 हो चुकी है फिर भी आज उनका हौसला बुलंद है।

 इस उम्र चुनाव लड़ने का मकसद 

 दैनिक जागरण से बातें करते हुए बेनुधर बारिक ने बताया कि आज उनके इस उम्र में चुनाव लड़ने का मुख्य मकसद यह है कि वह मुख्यतः बस्तियों में रहने वाले लोगों की समस्याएं लोगों की विभिन्न प्रकार की सुविधाओं को विधानसभा में उठा सकें। उन्होंने आरोप लगाया कि आज भी बालेश्वर शहर के विभिन्न इलाकों में शहर से लेकर ग्रामंचल इलाकों में कई बस्तियां मौजूद है। कई लोगों को जमीनी पट्टा नहीं मिल पा रहा है तो कई बस्तियों की हालत बताने लायक नहीं है। वहां पर रास्ते नहीं है नाले नहीं है तथा पीने के पानी की समुचित व्यवस्था तक नहीं है। लोगों की लड़ाई लड़ने के लिए ही मैं आज 90 वर्ष की उम्र में विधानसभा जाने को तैयार हुआ। 

 अजा के नाम से पुकारते हैं बच्‍चे 

यहां सबसे मजेदार बात यह है कि बेनुधर जब अपने टूटी-फूटी साइकिल पर सवार होकर किसी भी इलाके में पहुंचते हैं तो बच्चे उन्हें एक ओर जहां अजा के नाम से पुकारते हैं तो वही वयस्क उन्हें मौसा तो कोई उन्हें भाई कहकर पुकारता है। आज इनके पास आर्थिक तंगी के चलते ना तो इनका कहीं बैनर लगा है ना हीं पोस्टर। ओडिशा के जात्रा जगत के कई हस्तियों ने इनके बारे में सूचना पाकर कोई इन्हें नई साइकिल भेंट करने की सिफारिश किया है तो कोई इनके पक्ष में आकर प्रचार करने का वादा किया है। 

 लोग करते हैं सलाम 

आज बालेश्वर उपचुनाव में एक और जहां बीजू जनता दल, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस तीनों में बैनर पोस्टर और प्रचार-प्रसार की सुनामी आई हुई है, वहीं दूसरी ओर बेनुधर जैसे 90 वर्षीय नागरिक भी आम जनता की समस्याओं को दूर करने के लिए मुख्य बस्ती वासियों की विभिन्न समस्याओं को विधानसभा में उठाने का सपना देखते हुए अपने मन में ललक लिए हुए चुनाव मैदान में है। यह तो चुनाव नतीजा ही बताएगा कि आखिर विजय का सेहरा किसके माथे पर बांधा जाएगा या फिर राजनीति का ऊंट आने वाले चुनाव नतीजे ही बताएंगे कि बालेश्वर में किस करवट बैठेगा। आज चाहे जो भी हो जब बेनुधर घर-घर जाते हैं तो लोग इन्हें वोट दे या ना दे किंतु इनकी उम्र को और उनके जज्बात को देखते हुए उन्हें एक बार सलाम जरूर करते हैं और आदर के साथ अपने वोट को इनके पक्ष में देने का वादा करते हैं।


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