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सौतेले भाइयों ने रची बुलंदी की कहानी: पंजाब फुटबाल क्लब के लिए गोल करेंगे ओडिशा के बेटे

ओडिशा के दो बेटे रंजन सोरेन और सुनील सोरेन पंजाब फुटबाल क्लब के लिए गोल करेंगे। दोनों की क्षमताओं से प्रभावित होने के बाद ओडिशा फुटबाल क्लब और पंजाब फुटबाल क्लब (Punjab Football Club ) ने अनुबंध की पेशकश की थी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 09:12 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 09:12 AM (IST)
सौतेले भाइयों ने रची बुलंदी की कहानी: पंजाब फुटबाल क्लब के लिए गोल करेंगे ओडिशा के बेटे
ओडिशा के दो बेटे रंजन सोरेन और सुनील सोरेन पंजाब फुटबाल क्लब के लिए खेलेंगे

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। इस बात को ओडिशा के दो बेटों ने एक बार फिर सही साबित कर दिखाया है। बस्ती में रहने वाले ये दोनों बेटे पंजाब फुटबाल क्लब की ओर से पेशेवर फुटबॉल मैच खेलेंगे। इसके लिए पंजाब फुटबाल क्लब और दोनों खिलाड़ियों के बीच कांट्रैक्ट हो चुका है।

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रिश्ते में दोनों सौतेले भाई

राष्ट्रीय टीमों को स्पांसर करने वाले ओडिशा राज्य का ओडिशा फुटबाल क्लब से अधिक बेहतर आफर पंजाब फुटबाल क्लब ने दिया था। जानकारी के अनुसार, ये दोनों खिलाड़ी रंजन सोरेन और सुनील सोरेन हैं। ये दोनों ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित सालिया साही की मलिन बस्ती में रहते हैं। इन दोनों की क्षमताओं से प्रभावित होने के बाद ओडिशा फुटबाल क्लब और पंजाब फुटबाल क्लब ने अनुबंध की पेशकश की थी। बेहतर आफर को देखते हुए दोनों खिलाड़ियों ने पंजाब फुटबाल क्लब के साथ जाने का फैसला किया। रंजन की आयु 15 साल है, जबकि सुनील की 16 साल है। रिश्ते में दोनों सौतेले भाई हैं।

देश के लिए खेलना मेरा सपना

सुनील ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि पंजाब फुटबाल क्लब ने मुझसे एक पेशेवर अनुबंध किया है। मैं कड़ी मेहनत कर रहा था, लेकिन अब मैं और भी कड़ी मेहनत करूंगा, क्योंकि प्रतियोगिता कठिन हो जाएगी। मेरे परिवार ने मेरा समर्थन किया और इस करार से परिवार के लोग भी काफी खुश हैं।

 दूसरी ओर रंजन ने कहा कि मैं भारत के लिए खेलना चाहता हूं। मैं बीते छह-सात साल से फुटबॉल खेल रहा हूं। मेरे परिवार ने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। आज हमें यह जो यह अवसर मिला है उस अ​वसर का लाभ उठाते कड़ी मेहनत करूंगा। देश के लिए खेलना मेरा सपना है। आज इस सपना की तरफ आगे बढ़ने की एक मंजिल मिल गई है।

सुनील और रंजन दोनों की कहानी दूसरों के लिए प्रेरक

इन दोनों बच्चों के कोच तथा अर्डर फुटबाल एकेडमी के डायरेक्टर जयदेव महापात्र महापात्र ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि सुनील और रंजन दोनों की कहानी दूसरों के लिए प्रेरक है और उम्मीद करते हैं कि दोनों भविष्य में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने कहा कि यह ओडिशा के इतिहास में पहली बार है कि 15 साल की उम्र में दो युवा खिलाड़ियों को दो प्रमुख क्लबों, ओडिशा फुटबाल क्लब और पंजाब फुटबाल क्लब ने एक पेशेवर अनुबंध की पेशकश की। उन्होंने कहा कि अनुबंध और कागजी कार्रवाई को देखने के बाद हमने आखिरकार फैसला किया कि दोनों पंजाब एफसी के साथ जायेंगे। 

बच्चों को मुफ्त में देते हैं फुटबाल प्रशिक्षण 

यह युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक कहानी होगी। मुझे उम्मीद है कि वे भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करेंगे, उन्होंने बताया कि सुनील सोरेन एवं रंजन सोरेन के पिता ने दो शादी की है। एक मां से सुनील (16) है तो दूसरी मां से रंजन सोरेन (15) है। परिवार बहुत ही गरीब है और बस्ती में रहता हैं। पिता दैनिक मजदूर हैं। संथाल आदिवासी हैं। पिता का घर मयूरभंज जिला में हैं। वह काफी समय से भुवनेश्वर में रहते हैं। उन्होंने कहा कि बस्ती के बच्चों को मैं मुफ्त में फुटबाल प्रशिक्षण चलाता हूं। 8 बस्ती में हमारा प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है। बच्चों को मुफ्त में कीट-जूता सब कुछ मुफ्त में दिया जाता है। बच्चों को शनिवार एवं रविवार को अंडा एवं केला भी दिया जाता है, जिससे बच्चे आकर्षित होकर यहां सीखने आते हैं। संथाल आदिवासियों में फुटबाल का लगाव है। 

हर गांव फुटबाल की टीम है

ओडिशा से जो भी नेशनल खिलाड़ी निकले हैं सब संथाल एवं सादरी से हैं। सुन्दरगड़, मयूरभंज जिले में अभी भी हर गांव में फुटबाल टूर्नामेंट होते हैं। हर गांव फुटबाल की टीम है। क्रिकेट के लिए बड़ा ग्राउंड चाहिए, ओडिशा में कोई एकेडमी नहीं हैं, जो बच्चों को सिखा पाए। ओडिशा से फुटबाल में काफी बच्चे भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इन बच्चों का भी कि वे एक दिन अपने देश लिए खेलें। उन्होंने कहा कि 500 बच्चों को मैं प्रशिक्षण देता हूं, जिसमें 95 प्रतिशत बच्चे बस्ती से है और किसी भी बच्चे से किसी भी प्रकार कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। उन्होंने कहा कि सुनील और रंजन ओडिआ सरकारी स्कूल में पढ़ते है। इन दोनों बच्चों की खेल के प्रति इतना ज्यादा रूचि है कि ये स्कूल नहीं जा पाते हैं। ऐसे में ये अपनी ज्यादातर पढ़ाई ऑनलाइन करते हैं। दोनों ही बच्चे अनुशासन में रहते हैं। इस संस्थान से 22 बच्चे अब तक राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। 2012 से ओडिशा में हम यह संस्थान चला रहे हैं।


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