Lockdown Effect: ओडिशा के जंगलों पर भी पड़ा लॉकडाउन का असर, पर्यावरण भी हुआ बेहतर
Lockdown Effect लॉकडाउन के कारण इस साल ओडिशा के जंगलों में आग लगने की घटनाएं कम हुई है। पिछले साल हुई थी 19 हजार जबकि इस साल हुई है 9 हजार।
भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। इस साल ग्रीष्म ऋतु में ओडिशा में जंगल में लगने वाली आग घटनाओं में कमी आयी है। पिछले साल की तुलना में ग्रीष्म प्रवाह भी कम हुआ है। परिणामस्वरूप जंगल में आग की घटना भी कम हुई है। जंगल में आग में लगने के कारण उसमें जलकर मरने वाले जीव जंतुओं की मृत्यु दर भी कम हुई है। जंगल एवं पर्यारण विभाग की तरफ से मिले तथ्य के मुताबिक 2019 के गर्मी के 4 महीने में ओडिशा में 19800 अग्निकांड की घटना हुई थी। केवल मार्च महीने में 4495 जंगल आग की घटना हुई थी।
एक हजार से अधिक वन्य जंतुओं की मौत हुई थी। पहाड़ के ऊपर एवं समतल भूमि में मौजूद जंगल में मनुष्य के कारण आग की घटना बढ़ने से कई मूल्यवान पेड़ पौधे, विरल किस्म के जीव जंतुओं की जान चली जा रही है। लोग जंगल में आग लगाकर वन्य जंतुओ का शिकार करने की घटना भी सामने आयी है। अनुगुल, बौद्ध, केन्दुझर, मयूरभंज, बलांगीर, कंधमाल जैसे जिले में जंगल आग की घटना शीर्ष पर पहुंच गई थी। उक्त जिलों में कई घने जंगल जल जाने से निरीह वन्यजंतुओं का जीवन भी गया था, जिसका हिसाब भी नहीं किया जा सकता है।
आग की घटना पर नियंत्रण
अच्छी बात यह है कि इस साल आग की घटना नियंत्रण में है। मार्च से मई महीने में करीबन 9 हजार जंगल आग की घटना सामने आयी है। पीसीसी (प्रधान मुख्य वन संरक्षक) संदीप त्रिपाठी ने कहा है कि पिछले सालों की तुलना में इस बार आग की घटना कम हुई है। सेटेलाइट के जरिए इस तरह के तथ्य सामने आए हैं। पहले घने जंगलों में जिस प्रकार से आग लगती थी, इस बार उस तरह की घटना नहीं देखने को मिली है। बड़े स्तर पर जंगल आग को इस बार नहीं देखा गया है। छोटे-छोटे अग्निकांड की घटना हुई है। यह सब लॉकडाउन के कारण सम्भव हुआ है।
लॉकडाउन से पर्यावरण हुआ बेहतर
लॉकडाउन के कारण पर्यावरण बेहतर हुआ है। सेटेलाइट के जरिए आग लगने के बारे में पता चलते ही अत्याधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर आग को बुझाने का काम किया जा रहा है। इंडिया स्टेट आफ फारेस्ट रिपोर्ट 2019 के मुताबिक ओडिशा में 1449 वर्ग किमी. जंगल अत्यधिक आग प्रवण की सूची में शामिल है। पर्यावरणविदों के मुताबिक अतीत में जो पहाड़ हरे भरे थे, वह अब नंगे हो गए हैं। जंगलों का नष्ट होना अनेकों नदी एवं झरनों के खत्म होने का कारण है।
अत्याधुनिक तकनीकी पर करना होगा फोकस
अनेक विरल प्रजाति के जंगली पशु पक्षी, सरीसृप, वृक्षलता भी जंगल की आग में जलकर नष्ट हो जा रहे हैं। राज्य की जंगल संपदा को आग से बचाना होगा। राज्य सरकार को इस दिशा में प्रयत्नवान होना उचित है। जंगल आग के बारे में तुरन्त खबर संग्रह करना, आग को बुझाने के लिए कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण देने की जरूरत है। इसके साथ ही अत्याधुनिक तकनीकी पर भी फोकस करना होगा। केवल सरकार के ऊपर निर्भर रहने से यह सब नही हो पाएगा। इसके लिए आम लोगों का भी सहयोग जरूरी है।