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भुवनेश्वर में अन्न की बर्बादी रोकने की अनूठी पहल: उतना ही लो थाली में जूठा न जाए नाली में

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में पहली बार बाबा रामदेव रुणिचावाले ट्रस्ट की तरफ सेअन्न की बर्बादी को रोकने के लिए एक अनूठी पहल की शुरुआत की गयी है ।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 12:50 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 12:50 PM (IST)
भुवनेश्वर में अन्न की बर्बादी रोकने की अनूठी पहल: उतना ही लो थाली में जूठा न जाए नाली में
भुवनेश्वर में अन्न की बर्बादी रोकने की अनूठी पहल: उतना ही लो थाली में जूठा न जाए नाली में

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां अन्न को भी देवता माना जाता रहा है। आज भी फसल जब पक कर तैयार हो जाती है तो पहले उसकी पूजा की जाती है और फिर उसके उपभोग करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि शहरी क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश लोगों को शायद अन्न की महत्ता की जानकारी नहीं है। यही कारण है कि आज प्राय: शादी समारोह, उत्सव आदि सामूहिक भोज या घरों में भी लाखों लोगों के खाने को नालियों में फेंक दिया दिया जाता है। शादी समारोह में तो लोग जिस प्रकार से प्लेट में खाद्य लेते हैं और मनमर्जी से जितना खा सके खाए बाकी प्लेट में ही छोड़ देते हैं। शायद उन्हें पता नहीं है कि हमारे देश में आज भी ऐसे लोगों की आबादी कम नहीं जिन्हें बमुश्किल दो वक्त की रोटी नसीब होती है। ऐसे में अन्न बरबाद न होने पाए इसके लिए राजधानी भुवनेश्वर में पहली बार बाबा रामदेव रुणिचावाले ट्रस्ट की तरफ से इतना लो थाली में जूठा न जाए नाली में के नारे के साथ मुहिम शुरू की गई है। 

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ट्रस्ट की यह बानगी हाल में आयोजित बाबा रामदेव रुणिचा वाले के जम्मा जागरण उत्सव के दौरान आयोजित सामूहिक प्रसाद सेवन (भोज) में देखने को मिला। ट्रस्ट के 30 से 40 कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी हाथ जोड़कर लोगों से अपील करते देखे गए कि अपने थाली में आप उतना ही खाना लीजिए जितना खा सकें। इस दौरान कुछ लोग जब थाली में बचे हुए खाद्य को प्लेट के साथ रखने जा रहे थे वहीं पर खड़े कार्यकर्ता उन्हें उक्त खाद्य न फेंकने की अपील करने के साथ यह कहते सुने गए कि खाद्य सामग्री मत फेंकिए, आप खुद खा लीजिए या फिर अपने हाथों से मुझे खिलाइए। अन्न का अपमान मत करिए। इसके लिए बकायदा माइक के जरिए भी लोगों से अपील की जा रही थी। 

 

इतना ही नहीं पहली बार किसी राजधानी में देखा गया कि लोगों को पानी पीने के लिए प्लास्टिक ग्लास के बजाय स्टील ग्लास की व्यवस्था की गई थी। लोगों को प्रसाद आवंटन के लिए प्लास्टिक थैली के बदले जूट के थैले में प्रसाद दिया गया। हालांकि राजधानी में पहली बार शुरू की गई इस व्यवस्था से कुछ लोगों असुविधा जरूर हुई लेकिन ट्रस्ट के इस कदम की एक स्वर में लोगों ने सराहना की है। 

इस व्यवस्था को अपनाने के संदर्भ में ट्रस्ट वरिष्ठ सदस्य तथा महामंत्री लालचन्द मोहता ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि हर व्यक्ति एवं हर वर्ग लोगों व समाज को अन्न का सम्मान करना चाहिए। मैं कुछ दिन पहले जोधपुर में माहेश्वरी समाज के एक कार्यक्रम में गया था, जहां पर यह व्यवस्था हमने देखी। तभी से इस व्यवस्था को भुवनेश्वर में समाज के सामूहिक समारोह में लागू करने के लिए ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ चर्चा कर इस व्यवस्था को लागू किया गया। लोगों ने इस व्यवस्था की सराहना की है। उन्होंने बताया कि आगामी दिनों इस व्यवस्था को सभी समाज एवं लोग अपनाएं तो हमारे देश में एक भी व्यक्ति भूखा नहीं रहेगा। हर साल यह जम्मा जागरण उत्सव होता था और सैकड़ों लोगों के खाने जितना खाद्य तो जूठन में बर्बाद हो जा रहा था, हमें खुशी है कि लोगों ने हमारी इस मुहिम को समझे और अन्न को बर्बाद होने बचाया जा सका।

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