उत्कल अनुज वाचनालय में मनी भारतेंदु की जयंती
हिदी के प्रचार-प्रसार के लिए सक्रिय शहर के पहले हिदी वाचनालय सह पुस्तकालय में शनिवार को साहित्कार भारतेंदु हरिश्चंद्र की जयंती एवं हिंदी दिवस मनाया गया।
जासं, भुवनेश्वर : हिदी के प्रचार-प्रसार के लिए सक्रिय शहर के पहले हिदी वाचनालय सह पुस्तकालय में शनिवार को भारतेंदु हरिश्चंद्र की जयंती एवं हिदी दिवस मनाया गया। साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र की जयंती 9 सितंबर तथा हिदी दिवस 14 सितंबर को है। मगर दोनों ही अवसरों को वाचनालय में पहले मनाने का निर्णय लिया गया। भारतेंदु जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं सरस्वती वंदना के साथ शुरू इस कार्यक्रम में कमला नेहरू महिला महाविद्यालय की हिदी प्राध्यापिका डॉ. वेदुला रामालक्ष्मी ने हिन्दी साहित्य के आदिकाल से लेकर वर्तमान तक की यात्रा पर प्रकाश डाला। इसके बाद युवा कवि अनूप अग्रवाल ने हिंदी की मौजूदा स्थिति पर अपनी कविता, मैं हिन्दी हूं, अब वेंटिलेटर पर जिंदा हूं.., पेश कर राष्ट्रभाषा का दर्द बखान किया। फिर रितु महिपाल ने अपनी कविता उलझनें के जरिए मानव मन की उलझनों को प्रस्तुत किया। सीमा अग्रवाल की कविता प्रतिमा नहीं पाषाणी हूं.., ने भी दिल को छुआ। अंजना भुरा ने भावभीनी वंदना भगवन चरणों में चढाएं.., प्रस्तुत कर लोगों का ध्यान खींचा। कवि किशन खंडेलवाल ने श्रृंगार रस की कविता सुनो रुपसी मदन मोहिनी.., पेश की। कवि नारायण दास ने मौजूदा मोटरयान अधिनियम- 2019 पर व्यंग्य कविता फाइन (जुर्माना) वेरी फाइन.., सुनाकर जनता का दर्द उभारा।
इस मौके पर वाचनालय के संरक्षक सुभाष भुरा, सलाहकार डॉ. शंकर लाल पुरोहित, मर्ग दर्शक अशोक पांडेय ने भी अपने विचार रखे। डॉ. शंकर लाल पुरोहित की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में हिदी के विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सभी से इसके लिए अपने स्तर पर प्रयास करने की अपील की गई। सभी को हिदी दिवस की अग्रिम शुभकामना के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।