अतिबड़ी जगन्नाथ दास की मनायी गई जयंती
पवित्र राधाष्टमी के मौके पर कवि जगन्नाथ दास की जयंती मनाई गई।
संसू, भुवनेश्वर: पवित्र राधाष्टमी के मौके पर कवि जगन्नाथ दास की जयंती मनाई गई। अखिल भारतीय साहित्य परिषद, ओडिशा की ओर से स्थानीय भारत सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी शामिल हुए। देवी सरस्वती की आराधना एवं जगन्नाथ दास के चित्र पर पुष्प अर्पण के साथ शुरू हुए इस कार्यक्रम में मुख्यवक्ता प्रभाकर महापात्र एवं सम्मानित अतिथि डॉ. देवाशीष पात्र एवं डॉ. रमण अग्रवाल ने अपने विचार रखे। डॉ. रमण ने कहा कि ओडिशा के घर-घर में भागवत का पाठ होता था। कभी यही हमारे लिए ज्ञान व मनोरंजन का साधन हुआ करता था। बचपन से ही हमें भागवत पाठ सुनने का सौभाग्य मिलता रहा लेकिन आज नई पीढ़ी आधुनिक तकनीक की चकाचौंध से भागवत से सरोकार नहीं रख पा रही है। उन्होंने कहा कि अतिबडी जगन्नाथ दास ने ओड़िआ भागवत की रचना कर समाज को एक अमूल्य निधि प्रदान की है। सम्मानित अतिथि डॉ. देवाशिष पात्र ने ओड़िआ भागवत को सर्वश्रेष्ठ गाया जाने वाला ग्रंथ बताया। डॉ. पात्र ने कहा कि जगन्नाथ दास द्वारा पुरी के श्रीमंदिर में जब भागवत का पाठ होता था तब भक्त मंत्रमुग्ध होकर बैठे रहते थे। श्री चैतन्य देव जगन्नाथ दास के अभिन्न मित्र बन गए और अंत तक पुरी में ही रहे। इस मौके पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका 'दिग ओ दिगंत' का विमोचन किया गया। परिषद के राज्य संपादक डॉ. संतोष कुमार महापात्र ने पुस्तक के संदर्भ में बताया कि कचरा साहित्य से दूर इस पत्रिका में केवल विश्वसनीय एवं तथ्य परक रचनाओं को ही शामिल किया जाता है। नारायण दास ने अतिथि परिचय एवं संचालन तथा चिन्मय बोडे ने धन्यवाद प्रदान किया।