संस्कारों का अभाव परिवार में तनाव का सबसे बड़ा कारण : बेताला
ज्ञानशाला, भुवनेश्वर का वाíषक उत्सव स्थानीय तेरापंथ भवन में मनाया गया।
जासं, भुवनेश्वर : ज्ञानशाला, भुवनेश्वर का वाíषक उत्सव स्थानीय तेरापंथ भवन में मनाया गया। इसमें बतौर अतिथि तेरापंथ महासभा के क्षेत्रीय संयोजक प्रकाश बेताला ने कहा कि आचार्य तुलसी ने बालकों को संस्कारी बनाने के लिए ज्ञानशाला का शुभारंभ किया था। ज्ञानशाला उपयोगी उपक्रम है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कुम्हार मिट्टी के बर्तन को तभी तक कोई आकार रूप दे सकता है जब तक कि घड़ा कच्चा हो, एक बार घड़ा पक जाने के बाद उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। उसी प्रकार से हमें अपने बच्चों को परिपक्व होने से पहले ज्ञानशाला के माध्यम से संस्कारी बनाने की शिक्षा देनी होगी। उन्होंने कहा कि आज के युग में स्कूली शिक्षा जरूरी है, मगर विद्या के साथ सद्गुण का विकास बच्चों में जाग्रत हो, इसे हमें समझना होगा। शिक्षा के साथ आध्यात्म का ज्ञान जरूरी है। उन्होंने कहा कि संस्कार की कमी किसी भी परिवार में तनाव का सबसे बड़ा कारण होती है। अपने परिवार को संस्कारी बनाने के लिए प्रत्येक जरूरी कार्य के साथ अपने बच्चों को ज्ञानशाला में भेजने पर उन्होंने जोर दिया। कहा कि ज्ञानशाला में संस्कार निर्माण, तत्व ज्ञान जैसे प्रशिक्षण बच्चों को दिए जाते है। उन्होंने बताया कि आज पूरे देश में 495 ज्ञानशाला चल रही हैं। इस उत्सव में अखिल भारतीय ज्ञानशाला के ओडिशा-झारखंड के प्रभारी वीरेंद्र बेताला, जगदीश प्रसाद अग्रवाल, मंत्री प्रेमलता सेठिया, संयोजिका नयनतारा सुखानी, सुशीला सेठिया, मंडल उपाध्यक्ष मधु गीड़िया सहित अन्य पदाधिकारी व बच्चों ने भाग लिया।