पर्यटकों के इंतजार में मंदिर मालिनी शहर के हजारों लोगों की जीविका, पैदा हुआ रोजी-रोटी का संकट
राजधानी भुवनेश्वर में बने सैकड़ों मंदिरों पर हजारों लोगों की जीविका निर्भर करती है लेकिन पर्यटन स्थलों के बंद होने के कारण लोगों की रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।
भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। राजधानी भुवनेश्वर को मंदिर मालिनी शहर भी कहा जाता है। राजधानी की गलियों से लेकर विभिन्न जगहों पर एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों ऐसे मंदिर हैं जिन पर हजारों लोगों के परिवार की रोजी-रोटी निर्भर करती है। उसी तरह से नंदनकानन अभयारण्य, धौली, खंडगिरी, उदयगिरी जैसे पर्यटन स्थल है जिससे सीधे तौर पर हजारों की संख्या मे लोगों की जीविका चलती है। हालांकि कोरोना संक्रमण के बाद से ही केन्द्र एवं राज्य सरकार की तरफ से जारी दिशा निर्देश के कारण इन तमाम जगहों पर व्यापार से जुड़े लोगों की जीवन जीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है। अभी भी पर्यटन स्थलों को खोलने की अनुमति सरकार ने नहीं दिया है। कब अनुमति मिलेगी इस बारे में भी किसी को पता नहीं है, परिणाम स्वरूप कुछ व्यवसायी तो वैकल्पिक व्यवस्था अपना लिए हैं जबकि काफी संख्या में व्यवसायियों का मानसिक संतुलन अब बिगड़ने लगा है। यह संख्या एक दो नहीं बल्कि हजारों में है।
नंदनकानन में हजारों लोगों के रोजगार पर ताला
ओडिशा के प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक नंदनकानन अभयारण्य को राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण का मामला सामने आने के बाद से ही बंद कर दिया है। ऐसे में नंदनकानन में कार्यरत 100 गाइड को सीधे तौर पर रोजगार समाप्त हो गया है। इसके अलावा कार्यरत कर्मचारी तथा नंदनकानन गेट से लेकर नंदनकानन चौक एवं बस स्टैंड तक रहने वाले सैकड़ों व्यवसायी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। इन व्यवसायियों का कोरोना से पहले जहां दैनिक 5000 रुपये से अधिक की सामग्री बिक्री हो रही थी वहीं अब 500 रुपये की भी बिक्री नहीं होने की बात स्थानीय व्यापारी समीर पात्र ने कही है। नंदननकानन गाइड संघ ने राज्य सरकार एवं प्रशासन को पत्र लिखकर सहयोग करने को अनुरोध किया है। गाइड संघ के सचिव सौमेन्द्र त्रिपाठी ने कहा है कि सरकार यदि शीघ्र कदम नहीं उठाती है तो फिर आगामी दिनों में स्थिति गम्भीर हो सकती है।
खंडगिरी एवं उदयगिरी में ताला
राष्ट्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्था द्वारा संरक्षित कीर्ति में से एक खंडगिरी एवं उदयगिरी में कोरोना संक्रमण के कारण ताला लटका हुआ है। ऐसे में पर्यटकों का आगमन यहां लगभग पूरी तरह से बंद हो गया है। बावजूद इसके कुछ दुकानदार दुकान खोल रहे हैं, किन्तु पर्यटक ना होने से उनका व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। एक व्यवासयी देवेन्द्र परिड़ा ने कहा है कि उन्हें सरकार से सहायता राशि मिली है। मगर यह सहायता राशि नाममात्र है। जब तक पर्यटन स्थल नहीं खुल जाते हैं और पर्यटक यहां नहीं आते हैं तब तक उनकी यह स्थिति दयनीय बनी रहेगी।
धौली के ऊपर निर्भर 120 परिवार के रोजी-रोटी पर संकट
ऐतिहासिक धौली स्तूप पर पूरी तरह से निर्भर रहने वाले 120 परिवार पर कोरोना संक्रमण के चलते रोजी रोटी का संकट अब आन पड़ा है। यहां पर हर दिन 10 हजार से अधिक पर्यटकों का समागम होता है, इससे 120 परिवार की रोजी रोटी चलती है। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले 4 महीने से धौलीगिरी को बंद कर दिया गया है। ऐसे में पर्यटकों का आगमन यहां पुरी तरह से बंद हो गया है और इससे जुड़े रहने वाले 120 परिवार पर रोजी रोटी का संकट आन पड़ा है।
एक व्यवसायी ने कहा है कि पुरी को लेकर हमारा व्यवसाय होता है। जब तक पुरी को नहीं खोला जाता है तब तक धौली में पर्यटक नहीं आएंगे। हमें आज तक सरकार से एक रुपया भी सहायता राशि नहीं मिली है। अब तक सरकार ने हम लोगों के संदर्भ में विचार तक नहीं किया है।
लिंगराज मंदिर
राजधानी भुवनेश्वर में प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है लिंगराज मंदिर। यहां पर दैनिक हजारों की संख्या में राज्य एवं राज्य के बाहर से लोगों का आवागमन होता है। कोरोना के बाद से यहां पर भी पर्यटकों का आगमन पूरी तरह से बंद है। ऐसे में इस ऐतिहासिक मंदिर के से जुड़े रहने वाले सैकड़ों लोगों के घरों में आज रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। पिछले 4 महीने से हम लोग कैसे अपनी परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं आज तक एक भी बार सरकार ने हमारी सुध नहीं ली है।
बरमुंडा बस स्टैंड
राज्य का सबसे बड़ा और प्रमुख बस स्टैण्ड है बरमुंडा। अन्त: राज्यीय बस सेवा ठप होने से यहां पर लोगों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है। ऐसे में इस बस स्टैंड के कारण सैकड़ों की संख्या में लोगों के पास आज रोजी रोटी के संकट आन पड़े हैं। इस बस स्टैंड पर सैकड़ो व्यवसायी निर्भर करते हैं जबकि हर दिन यहां 800 से अधिक बसों का आवागमन होता है। 40 हजार से अधिक यात्री आते जाते हैं। मगर कोरोना संक्रमण के कारण सब कुछ बंद है। यहां पर इस समय दैनिक रोजगार 5 प्रतिशत भी नहीं हो रहा है।
अबड़ा व्यापार
अबड़ा व्यापार (मंदिर में बनाया जाने वाला भोजन) भी पार्सल तक सीमित है ऐसे में मात्र 20 प्रतिशत ही अबड़ा व्यापार हो रहा है। कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण ने आम लोगों के साथ विभिन्न पर्यटन स्थलों से जुड़े हजारों की संख्या में लोगों की जीविका पर बुरी तरह से प्रभाव डाला है और आज इससे जुड़े व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है।