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बड़ अखाड़ा मठ को बचाने के लिए 7 राज्यों से जुटे साधु संत: मठ के अन्दर कर रहे हैं भजन कीर्तन

बड़अखाड़ा मठ तोड़े जाने का विरोध करने के लिए 7 राज्यों से आए साधु संता यहां एकत्रित होकर कीर्तन कर रहे हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 02:52 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 02:52 PM (IST)
बड़ अखाड़ा मठ को बचाने के लिए 7 राज्यों से जुटे साधु संत: मठ के अन्दर कर रहे हैं भजन कीर्तन
बड़ अखाड़ा मठ को बचाने के लिए 7 राज्यों से जुटे साधु संत: मठ के अन्दर कर रहे हैं भजन कीर्तन

भुवनेश्वर/पुरी, जेएनएन। सुप्रीमकोर्ट के निर्देश के बाद श्रीक्षेत्र धाम पुरी में श्रीमंदिर से 75 मीटर की परिधि में मठ मंदिर व घरों को तोड़ने की प्रक्रिया दो दिन के अवकाश के बाद मंगलवार को पुन: शुरू हो गई है। हालांकि साधु संत एवं सामाजिक कार्यकर्ता के विरोध के कारण प्रशासन ने निर्धारित समय से काफी देर दोपहर 12:30 बजे बड़ अखाड़ा मठ को तोड़ने के बजाय सूचना केन्द्र को तोड़ना शुरू किया है। पुरी जिला के उप जिलाधीश भवतरण साहू ने कहा है कि सूचना केन्द्र के आधे घर को पहले ही तोड़ दिया गया था, उसे अभी हम तोड़ रहे हैं। 

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वहीं दूसरी तरफ अखिल भारतीय संत समिति के संयोजक ब्रह्मचारी तेजमय स्वरूप महाराज के साथ अन्य 7 राज्यों से आए साधु संतों ने बड़अखाड़ा मठ तोड़े जाने का विरोध किया है। साधु संत मठ के अन्दर बैठकर भजन कीर्तन कर रहे हैं। वहीं संतों के विरोध का जगन्नाथ मंदिर के सेवक विनायक दास महापत्र एवं कुछ वुद्धिजीवियों ने भी समर्थन किया है। ब्रह्मचारी तेजमय स्वरूप ने कहा है कि पुरी को विश्व ऐतिहासिक शहर बनाने लिए मठ को तोड़ने का काम सरकार जो कर रही है, आगामी दिनों में अखिल भारतीय संत समिति व सभी साधु संत मिलकर सरकार के इस कदम का विरोध करेंगे और बड़अखाड़ा मठ को तोड़ने नहीं देंगे। इस मठ को बचाने के लिए हम अपना जी जान लगा देंगे। यहां उल्लेखनीय है कि बड़ अखाड़ा मठ तोड़े जाने की सूचना मठ के महंत से मिलने के बाद देश के 7 राज्यों से दिग्गज सन्यांसी सोमवार से पहुंच गए हैं और मठ के अन्दर भजन कीर्तन कर रहे हैं। 

ब्रह्मचारी तेजमय स्वरूप ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि सरकार सुरक्षा के नाम पर मठ को तोड़ना चाहती है। भारत जब गुलाम था तो उस समय ब्रिटिश एवं मुगलों ने भगवान जगन्नाथ मंदिर पर कई बार आक्रमण किए थे। उसी समय मठ के संत व सेवक मिलकर भगवान को ओड़िशा के कई जिलों में गुप्त रखे थे। यह मठ श्री पंच रामायण दिगम्बर बैठक का अखाड़ा है।

पूरे भारत के कुल 13 अखाड़ा में से यह पांचवां अखाड़ा है। इसमें वैष्णव नागा साधु रहते हैं। यदि यह मठ विपद संकुल है तो फिर रथयात्रा में कैसे मुख्यमंत्री, सुप्रीमकोर्ट व हाईकोर्ट के जज तथा हजारों की संख्या में भक्त मठ के ऊपर कैसे बैठकर रथयात्रा देख रहे थे। उस समय प्रशासन को क्या कुछ नहीं पता है। सरकार ने 2006 से मंदिर के चारों तरफ कुछ पुराने जर्जर मठ हैं, जिसे हम तोड़ेंगे, उसमें बड़ अखाड़ा मठ का नाम शामिल है। कई सालों किस प्रकार से सिंहद्वार थाना एवं दमकल आफिस असुरक्षित दफ्तर में चल रहा था। 

मठ महंतों के साथ आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश कुमार राउतराय ने भी पुरी में सरकार द्वारा तोड़े जा रहे मठों का विरोध किया है। सुरेश राउतराय ने कहा कि पुरी में और अधीक मठ न तोडे जांए। कांग्रेस प्रतिनिधियों को साथ लेकर पुरी के दौरे पर गए सुरेश राउतराय ने सरकार के निर्णय का तो स्वागत किया मगर अंधाधुंध मठ तोडे जाने का विरोध किया है। राउतराय के अनुसार पुराने मठों को इस तरह तोडा जाना उचित नहीं है पहले मठों का पुनःरुद्धार हो बाद में मठों को तोडा जाए।  

पुरी के बड आखडा मठ के महंत हरि नारायण दास ने कहा कि मठ को खरतनाक इमारत बताने वाले कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए उन पर दवाब डाला जा रहा है। महंत के अनुसार भारतीय पुरातत्व विभाग या देवोत्तर विभाग ने बड आखडा मठ को खतरनाक नहीं बताया है ऐसे में उनके मठ को खतरनाक बताकर तोडने का उद्देश्य क्या है। यह मठ सन 1402 में बनाया गया था। मुगल आक्रांताओं से मंदिर की सुरक्षा केलिए नागा अखाडा द्वारा स्थापित यह मठ पुरी के प्राचीनतम मठों में से एक है। साधुसंत समिति के अध्यक्ष शंकरानन्द गिरि का आरोप है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन मनमाने ढंग से काम कर रही है। यह एक तरफा कार्य हमारी संस्कृति और परंपरा पर आक्रमण जैसा कार्य है।


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