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21वीं शताब्दी में इस राज्य में सालाना 42334 लोगों की होगी मौत, चौंकाने वाली है वजह

ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन यदि इसी तरह जारी रहा तो प्रदेश में 30 गुना अधिक पड़ेगी गर्मी जिससे 21वीं शताब्दी में 42334 लोगों को जान गंवानी पड़ेगी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 07:55 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 07:55 AM (IST)
21वीं शताब्दी में इस राज्य में सालाना 42334 लोगों की होगी मौत, चौंकाने वाली है वजह
21वीं शताब्दी में इस राज्य में सालाना 42334 लोगों की होगी मौत, चौंकाने वाली है वजह

भुवनेश्वर, जेएनएन। ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन यदि इसी तरह से बढ़ता रहा तो सन् 2100 तक ओडिशा में गर्मी असहनीय हो जाएगी और तब इसके प्रभाव से साल में 42,334 लोगों को जान गंवानी पड़ेगी। प्रतिवर्ष राज्य में हार्डअटैक से जितनी मृत्यु होती है, उससे पांच गुना अधिक लोग जलवायु परिवर्तन के इस कुप्रभाव से मारे जाएंगे।यह भविष्यवाणी क्लाइमेट इम्पैक्ट लैब की तरफ से यूचिकागो टाटा सेंटर फार डेवलेपमेंट के सहयोग से 33 प्रकार के विश्व स्तरीय जलवायु माडल के अनुसंधान करने के बाद की गई है। 

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राजधानी भुवनेश्वर में आयोजित एक कार्यशाला में उपरोक्त बातें बताने के साथ भारत के जलवायु एवं मौसम झटका संबन्धित मनुष्य एवं आर्थिक क्षति को लेकर तैयार पहली सर्वेक्षण रिपोर्ट का भी उपस्थित विशेषज्ञों ने विमोचन किया। इस अवसर पर क्लाइमेट इम्पैक्ट लैब के अनुसंधानकर्ता डा. अमीर जीना ने कहा कि ओडिशा में सन् 2100 तक तापमान राष्ट्रीय स्तर को पार कर जाएगा।

तापमान में 30 गुना तक बढ़ोत्तरी 

यदि यही स्थिति रही तो सन् 2010 तक वार्षिक तापमान औसत 28.87 डिसे. को अतिक्रम कर शताब्दी के अंत तक यह 32.19 डिसे. तक पहुंच जाएगा। इसके हिसाब से सन् 2100 तक तापमान में 30 गुना तक बढ़ोत्तरी होगी। इसका मतलब है कि साल में 48 दिन तक गर्म कड़ाही में लोगों को तड़पना होगा। ऐसे में हमारी आने वाली पीढ़ी को इसका सहन करना मुश्किल हो जाएगा और जलवायु परिवर्तन से प्रदेश में सन् 2100 में सालाना 42 हजार 334 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ेगी। 

आने वाले दिन होंगे चुनौती भरे

ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य महाप्रबंधक प्रदीप कुमार नायक ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन अनुशीलन के मुताबिक गर्मी के दिनों की संख्या में 30 गुना बढ़ोत्तरी होने की बात सामने आने के बाद इसके मुकाबला के लिए हमें प्रतिरोधक व्यवस्था को मजबूत करना होगा। टाटा सेंटर फार डेवलेपमेंट के फैकल्टी के निदेशक माइकेल ग्रीनस्टोन ने कहा है कि 2010 से 2018 के बीच प्रचंड ग्रीष्म प्रवाह में भारत में 6100 लोगों की जान चुकी है। इसमें 90 प्रतिशत से अधिक मौत ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश, तेलेंगाना एवं पश्चिम बंगाल में हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिन हम लोगों के लिए चुनौती भरा रहने वाला है।

नई पीढ़ी के लिए चुनौती

जलवायु परिवर्तन एवं वायु प्रदूषण जैसी आपदा को खत्म करना हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस कार्यशाला में अमीर जीना के साथ नवकृष्ण चौधरी सेंटर फार इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक हेल्थ के सहयोगी प्रो. डा.अमरीश दत्त प्रमुख ने जलवायु परिवर्तन तथा इस संदर्भ में प्रत्येक व्यक्ति के सामने आने वाली चुनौती के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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