Move to Jagran APP

900 साल पुराना ऐतिहासिक एमार मठ, जानें क्यों 2011 में पूरी दुनिया में हो रही थी इसकी चर्चा

एमार मठ धन दान कीर्ति हर क्षेत्र में अव्वल रहा है इस मठ के पास 4 एकड़ 500 डेसीमिल है मठ की जमीन है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 02:47 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 02:47 PM (IST)
900 साल पुराना ऐतिहासिक एमार मठ, जानें क्यों 2011 में पूरी दुनिया में हो रही थी इसकी चर्चा
900 साल पुराना ऐतिहासिक एमार मठ, जानें क्यों 2011 में पूरी दुनिया में हो रही थी इसकी चर्चा

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। श्रीमंदिर की सुरक्षा एवं श्रीक्षेत्र धाम के विकास को ध्यान में रखते हुए सरकार के निर्देश पर पुरी जिला प्रशासन एक के बाद एक मठ मंदिर को ध्वस्त कर रहा है। इन्हीं मठों में से एमार मठ एक ऐसा मठ है जिसे सदियों से विभिन्न कीर्तिकार्यों के लिए जाना जाता है। यह मठ धन, दान, कीर्ति हर क्षेत्र में अव्वल रहा है। आज भी इस मठ के पास 4 एकड़ 500 डेसीमिल है मठ की जमीन है। हालांकि यह मठ उस समय पूरी दुनिया के नजर में आ गया जब सन 2011 में मठ की एक कोठरी से 400 से अधिक चांदी की ईंट पायी गई। 

loksabha election banner

इतिहासकारों के मुताबिक श्रीसंप्रदाय (रामानुज संप्रदाय) के आदि प्रचारक तथा विशिष्ट अद्वेताचार्य श्रीरामानुज करीबन 900 साल पहले 12वीं शताब्दी के प्रथम भाग में पुरी आए थे। श्रीरामानुज 1122 से 1137 के बीच अपने पुरी आगमन के दौरान ही रामानुज मठ का कार्य शुरू किए थे। हालांकि तब से लेकर अब तक इस एमार मठ की संरचना में कई तरह के बदलाव किए गए हैं। पुरी में श्रीरामानुज ने दो मठ बनाए थे। एक मठ को अपने खुद के नाम से जबकि अन्य एक मठ को अपने प्रिय शिष्य गोविन्द के नाम पर नामित है। यह पुरी महाराज के अनुकंपा से बनने की बात भी कही जाती है। पहला मंठ पुरी के बासेलीसाही में जबकि दूसरा एक सिंहद्वार के सामने बनाया गया।

मठ परिसर में होती है विभिन्न देवी देवताओं की पूजा

एमार मठ परिसर में मौजूद मंदिर में श्रीरघुनाथ जी पूजा पाते हैं। यही मठ के मुख्य तथा अधिष्ठित विग्रह हैं। अन्य देवि देवताओं में श्री जगन्नाथ, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, नृसिंह, शालग्राम आदि की भी पूजा की जाती है। श्रीजगन्नाथ महाप्रभु के नवकलेवर के लिए नीम की लकड़ी का जब चयन किया जाता है उस समय यहां पर वनजाग नीति सम्पन्न की जाती है। दइतापति सेवक यहीं पर रहकर पूजा अर्चना करने के बाद नीम पेड़ (दारू) की की खोज में निकलते हैं।

एमार मठ में मिली थी 400 से अधिक चांदी की ईंट

एमार मठ को राज्य के सबसे धनिक मठों में से एक माना जाता है। अतीत में इसी मठ से चांदी की ईंट जब्त की गई थी। कुछ ही साल पहले एमार मठ के एक कमरे से 400 से अधिक चांदी की ईंट बरामद की गई थी, जिसके चर्चा प्रदेश के साथ देश एवं विदेशों में भी हुई थी। इस मामले में कुछ लोगों को जेल भी जाना पड़ा था। यह मामला अभी भी अदालत में विचाराधीन है।

धन, दान, कीर्ति हर क्षेत्र में रहा है अव्वल

अतीत में ओड़िशा के सबसे धनिक मठों में से एक एमार मठ आपत्ति के समय लोगों की सेवा करने में भी पीछे नहीं रहता था। दुखियों की मदद के लिए मठ की तरफ से दो भोजनालय (अन्नछत्र) भी खोला गया है, जो कि रीमा छत्र एवं एमार छत्र के नाम से परिचित है। महंत गदाधर रामानुज दास के समय में ओड़िशा में आपदा आयी थी तब उस समय मठ में जितने भी धान चावल मौजूद थे, उसे लोगों में बांट दिया गया था। मठ के चल अचल संपत्ति के मालिक मठ के महंत होते थे। श्रीमंदिर के संचालन में भी इस मठ का बहुत बड़ा योगदान रहा है। अतीत में श्रीमंदिर में आर्थिक संकट के समय इसी मठ ने सहयोग का हाथ बढ़ाया था। सन 1921 में नरेन्द्र पुष्करिणी के लिए 84 हजार, श्वेतगंगा पुष्करिणी के लिए 25 हजार, श्रीमंदिर के लिए 15 हजार रुपये की सहयाता इस मठ ने दिया था।

4 एकड़ 500 डेसीमिल है मठ की जमीन

4 एकड़ 500 डेसीमिल है मठ की जमीन, पहले थी एक हजार एकड़ भू संपत्ति एमार मठ राज्य का सबसे धनी मठ के रूप में तो परिचित है ही, भू संपत्ति के मामले में भी यह सबसे आगे है। राज्य के विभिन्न जगहों पर इस मठ के नाम पर पहले एक हजार एकड़ जमीन थी। वर्तमान समय पुरी सिंहद्वार के सामने कालिका देवी साही मुहल्ले में करीबन 4 एकड़ 500 डेसीमिल जमीन में यह विशाल मठ है जहां पर विजे स्थल, बल्लभ घर, रसोई घर, महंत निवास, मठ कार्यालय रघुनंदन पाठागार, धान कोठरी आदि मौजूद है, जो जमीन खाली बीच उसे लोग जबरन कब्जा कर लिए।

कड़ी सुरक्षा के बीच ओडिशा के ऐतिहासिक एमार मठ को तोड़ने की प्रक्रिया जारी, पुलिस बल तैनात

श्रीमंदिर के साथ जुड़ी है मठ की परंपरा

श्रीमंदिर में चामर सेवा सालों से एमार मठ करते आ रहा है। झूलन यात्रा मठ में बड़े ही धूमधाम के साथ की जाती है। श्रीक्षेत्र में जितने भी मठ हैं उन सबसे बड़े पैमाने पर एवं धूमधाम के साथ इस एमार मठ में झूलन यात्रा की जाती है। इसी मठ से महाप्रभु को चन्द्रिका के साथ अन्य पूजा सामग्री भी मुहैया सदियों से मुहैया की जाती है।

ओडिशा की अन्य खबरें पढऩे के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.