Move to Jagran APP

MRSAM Missile: एमआरएसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण, जानें-इसकी खासियत

MRSAM Missile यह मिसाइल 70 किलोमीटर के दायरे में आने वाली किसी भी मिसाइल लड़ाकू विमान हेलीकाप्टर ड्रोन निगरानी विमानों को मार गिराने में सक्षम है। यह हवा में एक साथ आने वाले कई टारगेट या दुश्मनों पर 360 डिग्री घूम कर एक साथ हमला कर सकती है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 04:45 PM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 08:09 PM (IST)
MRSAM Missile: एमआरएसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण, जानें-इसकी खासियत
ओडिशा में एमआरएसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण। फाइल फोटो

लावा पांडे, बालासोर, MRSAM Missile: भारत ने मध्यम दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल एमआरएसएएम (मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल) का बुधवार अपराह्न 3:52 बजे चांदीपुर के एलसी-3 (लांच कांप्लेक्स) से परीक्षण किया। यह मिसाइल 70 किलोमीटर के दायरे में आने वाली किसी भी मिसाइल, लड़ाकू विमान, हेलीकाप्टर, ड्रोन, निगरानी विमानों को मार गिराने में पूरी तरह से सक्षम है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह हवा में एक साथ आने वाले कई टारगेट या दुश्मनों पर 360 डिग्री घूम कर एक साथ हमला कर सकती है। इस मिसाइल का 17 मई 2019 को नौसेना के युद्धपोत से परीक्षण किया गया था।

loksabha election banner

इस मिसाइल को इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री के सहयोग से डीआरडीएल हैदराबाद और डीआरडीओ ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। भारत डायनामिक्स लिमिटेड में एमआरएसएएम का निर्माण किया गया है। परीक्षण के मौके पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा अंतरिम परीक्षण परिषद (आइटीआर) से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों का दल मौजूद था।

ऐसे किया गया परीक्षण

बुधवार को चांदीपुर के एलसी-1 से सबसे पहले बंसी नामक एक मिसाइल को हवा में दागा गया था। इसके चंद मिनटों बाद एमआरएसएएम मिसाइल को हवा में दागा गया। एमआरएसएएम मिसाइल ने सटीक निशाना लगाते हुए बंसी को हवा में ही ध्वस्त कर दिया।

बालासोर में उपलब्ध हैं आधुनिक सुविधाएं

केंद्र सरकार ने 1980 के आसपास सैन्य मिसाइल टेस्ट रेंज के विकास के लिए जगह की खोज शुरू की। तब अग्नि मिसाइल पर काम चल रहा था। इस बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा स्थित बालासोर जिले के चांदीपुर में प्रूफ एंड एक्सपेरिमेंट इस्टेब्लिशमेंट (पीएक्सई) सुविधा का विकास किया। 1986 में भारत सरकार ने बालासोर जिले में ही बालियापाल के पास नेशनल टेस्ट रेंज विकसित करने का निर्णय लिया। हालांकि, 1995 में इस निर्णय को स्थगित कर दिया गया और चांदीपुर के लांच कांप्लेक्स-3 के करीब अब्दुल कलाम द्वीप पर लांच कांप्लेक्स 4 के निर्माण का काम शुरू किया गया। इन्हें एकीकृत परीक्षण रेंज यानी आइटीआर नाम दिया गया। यहां मिसाइलों के परीक्षण व मूल्यांकन संबंधी सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। जलवायु के हिसाब से भी यह अनुकूल है। अब तक पृथ्वी व अग्नि सीरीज की बैलिस्टिक मिसाइलों, जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश और त्रिशूल मिसाइल, एंटी टैंक मिसाइल नाग आदि का परीक्षण किया जा चुका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.