उड़ीसा के युवक ने पेश की मिसाल- विधवा भाभी का हाथ थाम चार जिंदगियों को दिया सहारा, कैंसर से हो गई थी भाई की मौत
अनिल सेठी अपनी विधवा भाभी के साथ सात फेरे लेकर न सिर्फ भाभी को एक नया जीवन दिया बल्कि तीन बच्चों को भी बाप का साया दिया है। सोमवार को अनिल नेअपनी विधवा भाभी काजल सेठी के माथे में सिंदूर लगाकर पत्नी के रुप में स्वीकार कर लिया।
संबलपुर/भुवनेश्वर, संवाद सूत्र: अनिल सेठी अपनी विधवा भाभी के साथ सात फेरे लेकर न सिर्फ भाभी को एक नया जीवन दिया है बल्कि तीन बच्चों को भी बाप का साया दिया है। सोमवार के दिन उसने अपने माता- पिता और गांव वालों की उपस्थिति में अपनी विधवा भाभी काजल सेठी के माथे में सिंदूर लगाकर पत्नी के रुप में स्वीकार कर लिया। इसी के साथ विधवा भाभी के तीन मासूम बच्चों को भी इस विवाह के बाद एक नया जीवन और सुरक्षित भविष्य मिल गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्रपाड़ा जिले के आली ब्लॉक अंतर्गत कुमार रंगा गांव के पुरुषोत्तम सेठी का बड़ा बेटा सुनील सेठी गांव में रहकर अपने पिता के काम में हाथ बंटाता था, जबकि छोटा बेटा अनिल सेठी विदेश में काम करता था। करीब सात साल पहले, सुनील ने अपने ही गांव की काजल सेठी से प्रेम विवाह किया था।
इस विवाह से दोनों के परिवार भी राजी थे। सुनील और काजल के जीवन में खुशहाली थी। उनके तीन बच्चे भी हुए लेकिन नियति को शायद सेठी परिवार की यह खुशी बर्दास्त नहीं हुई। करीब डेढ़ साल पहले कैंसर से सुनील की मौत हो गई और काजल विधवा हो गई। तीनों बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। ससुराल में रहने के बावजूद काजल और उसके तीनों मासूम बच्चों को सुनील की कमी खल रही थी।
काजल के सास और ससुर को भी विधवा बहू काजल और उसके तीनों बच्चों के दुख का अहसास था। इसी बीच, विदेश में रहने वाला छोटा बेटा अनिल अपने गांव लौटा। विदेश में काम कर लौटे अनिल के विवाह के लिए कई प्रस्ताव आने शुरु हो गए लेकिन माता- पिता ने अनिल के लिए कुछ अलग सोच रखा था। उन्होंने अनिल को अपनी विधवा भाभी काजल से विवाह करने और उसके मासूम बच्चों को पिता का संरक्षण देने की सलाह दी। माता- पिता की बात पर अनिल भी राजी हो गया और सोमवार को रीति-रिवाजों के मुताबिक भाभी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।